नयी दिल्ली, 11 फरवरी (भाषा) विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने पत्रिकाओं की ‘यूजीसी-केयर’ सूची को बंद करने की घोषणा की है। यह ऐसा कदम है जिसका उद्देश्य अनुसंधान प्रकाशनों के मूल्यांकन को विकेंद्रीकृत करना है।
आयोग संकाय सदस्यों और छात्रों द्वारा विशेषज्ञ समीक्षित पत्रिकाओं को चुनने के लिए मानक विकसित करने की योजना बना रहा है।
अकादमिक अनुसंधान प्रकाशनों की गुणवत्ता विनियमित एवं सुनिश्चित करने के लिए यूजीसी-केयर सूची 2018 में पेश की गई थी। हालांकि, समय के साथ सूची को महत्वपूर्ण आलोचना का सामना करना पड़ा।
इसके अलावा, भारतीय भाषाओं में प्रकाशित पत्रिकाओं पर इसके प्रभाव और अकादमिक निर्णय लेने के व्यापक केंद्रीकरण के बारे में भी चिंताएं व्यक्त की गईं।
यूजीसी के अध्यक्ष जगदीश कुमार ने कहा, ‘‘यूजीसी-केयर सूची को बंद करना अकादमिक स्वतंत्रता को बहाल करने की दिशा में एक कदम है। शोधकर्ताओं को अब उन पत्रिकाओं में प्रकाशन की स्वतंत्रता होगी जो केंद्रीकृत सूची से बाधित हुए बिना उनके अनुरूप मेल खाती हैं। एचईआई (उच्च शिक्षा संस्थानों) को उच्च अनुसंधान मानक सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।’’
यह निर्णय एक विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के आधार पर आयोग की हालिया बैठक के दौरान किया गया था।
कुमार ने कहा, ‘‘विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के अनुरूप, यूजीसी ने अब उच्च शिक्षा संस्थानों को विशेषज्ञ-समीक्षित पत्रिकाओं के मूल्यांकन के लिए अपने स्वयं के तंत्र विकसित करने की सलाह दी है। यह दृष्टिकोण वैश्विक शैक्षणिक मानकों के अनुरूप है और संस्थानों को विश्वसनीय अनुसंधान को पहचानने में अधिक लचीलापन प्रदान करता है।’’
भाषा नेत्रपाल पवनेश
पवनेश
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