मुम्बई: उद्धव ठाकरे की महाराष्ट्र सरकार ने अपनी फ्लैगशिप योजना ‘शिव भोजन’ पर पेंच कसने शुरू कर दिए हैं, जिसमें बेहद रिआयती दरों पर पूरा भोजन उपलब्ध कराया जाता है. इस पहल के तहत स्थापित किए गए केंद्रों के खिलाफ, काफी शिकायतें मिल रहीं थीं.
राज्य के खाद्य, नागरिक आपूर्ति, और उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने, जिसके ज़रिए स्कीम लागू की जाती है उसने हर ज़िले को निर्देश दिया है कि ऐसे शिव भोजन केंद्रों का औचक निरीक्षण करके उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए जो राज्य सरकार के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं या ऐसा भोजन उपलब्ध करा रहे हैं, जो बासी या घटिया क्वालिटी का है.
विभाग के एक अधिकारी ने दिप्रिंट से कहा, ‘हमें अनुरोध मिलते रहते हैं कि किसी स्वीकृत शिव भोजन केंद्र की जगह को बदल दिया जाए, और हम अक्सर नोटिस करते हैं कि इस मामले में निर्णय लिए जाने तक, वो केंद्र बंद पड़ा रहता है. इस मामले को देखने की ज़रूरत थी’.
उन्होंने आगे कहा, ‘इसी तरह हमें इन केंद्रों के कामकाज में चल रहीं अनियमितताओं की भी, बहुत सारी शिकायतें मिल रहीं हैं. इसलिए हमने अपने ज़िला अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं कि अनियमितताओं की गंभीरता के हिसाब से, वो समय-समय पर कार्रवाई करते रहें.
विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इसी साल राज्य सरकार ने सभी केंद्रों को, अपने यहां सीसीटीवी कैमरे लगाकर, ज़रूरत पड़ने पर सरकार को फुटेज मुहैया कराने का निर्देश दिया था, जिससे कि इन केंद्रों में भ्रष्टाचार को कम किया जा सके.
CM ठाकरे की प्रिय योजना
शिव भोजन स्कीम मुख्यमंत्री ठाकरे की एक प्रिय योजना है, और 2019 के राज्य विधान सभा चुनावों से पहले, ये शिवसेना के चुनावी घोषणापत्र का हिस्सा थी. स्कीम के अंतर्गत, राज्य सरकार निजी व्यक्तियों और स्वयं-सहायता समूहों को, ऐसे केंद्र या कैंटीन चलाने की मंज़ूरी देती है, जो 10 रुपए प्रति प्लेट की दर पर पूरा खाना- दो रोटियां, एक सब्ज़ी, चावल और दाल- उपलब्ध कराते हैं.
कोविड-19 महामारी के दौरान, राज्य सरकार ने शुरू में हर थाली की क़ीमत घटाकर 5 रुपए कर दी, और बाद में सितंबर 2021 तक ‘शिव भोजन’ खाना मुफ्त उपलब्ध कराया. शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), और कांग्रेस की महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार ने शिव भोजन स्कीम, महाराष्ट्र सरकार की कमान संभालने के दो महीने के भीतर, जनवरी 2020 में शुरू कर दी थी.
राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार, 31 दिसंबर 2021 तक राज्य भर में, कुल 1,485 स्वीकृत शिव भोजन केंद्र थे, जिन्होंने भोजन की 8.24 करोड़ रिआयती प्लेटें उपलब्ध कराईं.
अनियमितताओं की शिकायतें
अधिकारी ने बताया कि स्कीम को लागू करने वाले विभाग को शिकायतें मिली हैं कि कुछ केंद्र काम नहीं कर रहे हैं, उनके भोजन की क्वालिटी ख़राब है, और सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है, जैसे कि एक बोर्ड रखना जो कैंटीन को ‘शिव भोजन’ केंद्र के तौर पर प्रचारित कर सके, ताकि लाभार्थी उस तक पहंच सकें.
विभाग ने ज़िलों को ज़िला आपूर्ति अधिकारी, या खाद्य वितरण अधिकारी की अगुवाई में टीमें गठित करने का निर्देश दिया है, जो अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले केंद्रों का नियमित मुआयना कर सकें, और किसी भी तरह की अनियमितताओं को दूर करने के लिए औचक निरीक्षण कर सकें.
अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकार ने अनियमितताओं के नेचर को, मामूली, गंभीर, और अति गंभीर की श्रेणी में बांट दिया है, और ऐसी कार्रवाई की सिफारिश की है, जिसमें केंद्रों को सामान्य कारण-बताओ नोटिस से लेकर, निलंबन और ‘शिव भोजन’ केंद्र के तौर पर काम करने की उनकी स्वीकृति, वापस लिया जाना तक शामिल हैं.
मसलन, स्वीकृत केंद्र को समय पर शुरू न करना, केंद्र को ‘शिव भोजन’ कैंटीन के तौर पर प्रचारित करने वाला बोर्ड न लगाना, फीडबैक रजिस्टर न रखना, केंद्रों पर साफ-सफाई न रखना- इन सबको हल्के अपराध के तौर पर लिया जाना है, और इनके लिए पहली बार में एक साधारण कारण-बताओ नोटिस दिया जाना है. दूसरी बार के लिए एक जुर्मान लगाया जाएगा, जो उसके बराबर होगा जिसे सरकार गंभीर अपराध मानती है.
गंभीर नेचर की अनियमितताओं में- जिनमें 5,000 रुपए या एक दिन की कमाई जो भी अधिक हो, जुर्माना लगता है- केंद्र को बंद रखना, स्कीम की ज़रूरतों के हिसाब से भोजन सर्व न करना, और निगरानी कैमरों का काम न करना शामिल हैं. ज़्यादा गंभीर अनियमितताओं के मामले में- जैसे बासी या घटिया क्वालिटी का भोजन परोसना, या केंद्र को आगे किसी और को ठेके पर दे देना- सरकार केंद्र को दी गई मंज़ूरी को रद्द कर सकती है.
खाद्य, नागरिक आपूर्ति व उपभोक्ता संरक्षण विभाग के अधिकारियों ने ये भी कहा, कि सरकार ने ऐसे सभी काम नहीं कर रहे केंद्रों को 30 अप्रैल तक की मोहलत दी है, जिन्हें अपना संचालन शुरू करने की स्वीकृति मिल चुकी है. ऐसा न करने पर शिव भोजन स्कीम के तहत उनके परमिट रद्द कर दिए जाएंगे.
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