नयी दिल्ली, 25 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को निर्देश दिया कि वह फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स – कन्हैया लाल टेलर मर्डर’ की रिलीज को लेकर केंद्र सरकार की मंजूरी को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 28 जुलाई को सुनवाई करे।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जे. बागची की पीठ ने कहा कि फिल्म रिलीज पर रोक लगाने वाले उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली फिल्म निर्माताओं की अपील निरर्थक है क्योंकि उन्होंने केंद्र के 21 जुलाई के आदेश को स्वीकार कर लिया है जिसमें छह जगह दृश्यों को हटाने का सुझाव दिया और ‘डिस्क्लेमर’ (अस्वीकरण) में संशोधन के साथ रिलीज को मंजूरी दी गई थी।
पीठ ने कहा कि उसने फिल्म के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त नहीं की है और उच्च न्यायालय फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने के मुद्दे पर फैसला सुना सकता है।
पीठ ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी और कन्हैया लाल हत्याकांड के आरोपी मोहम्मद जावेद से केंद्र के फैसले को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय जाने को कहा था।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने मदनी की याचिका पर सुनवाई करते हुए 10 जुलाई को फिल्म की रिलीज पर तब तक के लिए रोक लगा दी, जब तक केंद्र सरकार इस पर स्थायी प्रतिबंध लगाने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर फैसला नहीं ले लेती।
फिल्म निर्माताओं ने दावा किया कि उन्हें केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) से प्रमाणपत्र मिला है, जिसमें बोर्ड ने 55 दृश्य काटने का सुझाव दिया है। फिल्म 11 जुलाई को रिलीज होने वाली थी।
उदयपुर के दर्जी कन्हैया लाल की जून 2022 में कथित तौर पर मोहम्मद रियाज और मोहम्मद गौस ने हत्या कर दी थी।
हमलावरों ने बाद में एक वीडियो जारी किया था जिसमें दावा किया गया था कि पूर्व भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) नेता नूपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद पर की गई विवादास्पद टिप्पणी के बाद उनके समर्थन में दर्जी कन्हैया लाल शर्मा के सोशल मीडिया खाते पर कथित तौर पर साझा किए एक पोस्ट के जवाब में उसकी हत्या की गई थी।
इस मामले की जांच राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने की थी और आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धाराओं के अलावा कठोर गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
यह मुकदमा जयपुर की विशेष एनआईए अदालत में लंबित है।
भाषा सुरभि माधव
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