नई दिल्ली : भारत में यूनाइटेड अरब अमीरात (यूएई) के गवर्नर अहमद अलबन्ना ने मंगलवार को दिल्ली के एक होटल में जानकारी दी कि भारत और उनके देश की सहायता से दिल्ली में 1000 युद्ध ग्रस्त यमनी लोगों का इलाज कराया गया. दावे के मुताबिक यूएई की सहायता से इलाज पाने वाले इन 1000 लोगों में सैनिक भी शामिल हैं.
इन यमनी लोगों के इलाज में भारत की सहायता का भी ज़ोर देकर ज़िक्र किया गया और बताया गया कि इन्हें वीज़ा मिलने समेत किसी और तरह की सुविधा मिलने में कोई परेशानी नहीं आई. इन सबका इलाज एक निजी हॉस्पिटल में किया गया. युद्धग्रस्त लोगों को अलग-अलग समूहों में भारत लाया गया. 26 जून को यहां पहुंचे पिछले समूह में 26 यमनी लोग शामिल थे.
इससे जुड़े एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अहमद अलबन्ना ने कहा, ‘हमने जुलाई 2016 में ये काम शुरू किया था. इलाज का लाभ पाने वाले लोगों की संख्या 1000 से ज़्यादा लोगों की है. इस काम पूरा ख़र्च यूएई उठाता रहा है.’ जानकारी में बताया गया कि गृह युद्ध के दौरान ये लोग गोली लगने से लेकर बम धमाकों में घायल हुए थे. इस मिशन की शुरुआत यूएई के मुखिया शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने की थी.
पीड़ितों का इलाज मीडियोर हॉस्पिटल में किया गया. ये वीपीएस हेल्थकेयर से जुड़ा एक हॉस्पिटल है जिसका मुख्यालय संयुक्त अरब अमीरात के अबू धाबी में स्थित एक बहुर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा समूह है.
आपको बता दें कि यमन का गृह युद्ध 2015 से वहां की सरकार और हूती विद्रोहियों के बीच चल रहा है. इन दोनों के समर्थक भी इसमें शामिल हैं, वहीं इसमें सऊदी अरब और अमेरिका का भी हस्ताक्षेप रहा है.
बीबीसी की मार्च 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि मार्च 2015 से लड़ाई में कम से कम 7,025 नागरिक मारे गए हैं और 11,140 घायल हुए हैं, जिनमें से 65 फीसदी मौतें सऊदी नेतृत्व वाले गठबंधन द्वारा हुए हवाई हमलों से हुई हैं.
गृहयुद्ध पर नज़र रखने वाला एक अंतरराष्ट्रीय समूह मानता है कि मरने वालों की संख्या कहीं अधिक है. अमेरिका स्थित सशस्त्र संघर्ष स्थान और घटना डेटा परियोजना का अनुमान है कि हिंसा की प्रत्येक घटना की खबरों के आधार पर जनवरी 2016 से 67,650 से अधिक नागरिक और लड़ाके मारे गए हैं.