नई दिल्ली: एनडीटीवी के लखनऊ ब्यूरो चीफ और वरिष्ठ पत्रकार कमाल खान का 62 साल की उम्र में हार्ट अटैक से शुक्रवार को निधन हो गया. उनके निधन के बाद देशभर के लोगों ने उन्हें अपने-अपने तरह से याद किया.
एनडीटीवी ने अपने बयान में कहा, ‘तीन दशक से दिल छू लेने वाली ख़बरें करने वाले, हमारे चहेते कमाल खान, आज हम सबको अनंत शोक में छोड़ कर चले गए. यह हम सबके लिए गहरे शोक की घड़ी है.’
पत्रकारिता के लिए खान को रामनाथ गोयनका पुरस्कार और गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है.
दिप्रिंट से बातचीत में एनडीटीवी के पूर्व पत्रकार और इंडिया टुडे के नेशनल अफैयर्स एडिटर राहुल श्रीवास्तव ने अपने पुराने सहयोगी को याद करते हुए कहा कि वो ‘ठेठ लखनवी’ थे और साथ ही काफी मदद करने वाले व्यक्ति भी जो अपनी आखिरी सांस तक हमेशा ‘दिल से रिपोर्टर’ रहे.
श्रीवास्तव ने बताया, ‘करीब 60 साल के होने के बावजूद कमाल बेहतरीन कहानीकार थे. आज हमारे पास ऐसी कहानियां कहने वाले काफी कम लोग मौजूद हैं.’
कमाल खान के जाने के बाद कई राजनीतिक पार्टियों के नेताओं ने उन्हें अलग-अलग तरह से याद किया. इन नेताओं में हरदीप सिंह पुरी, बसपा प्रमुख मायावती, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी हैं.
We belong to him, & to him we return.
The passing away of senior journalist Sh Kamal Khan Ji is deeply saddening & leaves a huge void. My sincerest condolences to his family, friends, admirers & colleagues.
May God give them strength to bear this irreparable loss. pic.twitter.com/Ttwlwg5IiM— Hardeep Singh Puri (@HardeepSPuri) January 14, 2022
एनडीटीवी से जुड़े प्रतिष्ठित व जाने-माने टीवी पत्रकार कमाल ख़ान की अचानक ही निधन के ख़बर अति-दुःखद तथा पत्रकारिता जगत की अपूर्णीय क्षति। उनके परिवार व उनके सभी चाहने वालों के प्रति मेरी गहरी संवेदना। कुदरत सबको इस दुःख को सहन करने की शक्ति दे, ऐसी कुदरत से कामना।
— Mayawati (@Mayawati) January 14, 2022
बेहद दुखद। मशहूर पत्रकार कमाल ख़ान जी का आकस्मिक निधन पत्रकारिता जगत के लिए एक बड़ी क्षति है। ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि उनके परिवार को ये दुख सहने की शक्ति दें।
विनम्र श्रद्धांजलि ? https://t.co/Gv79wZftAd— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) January 14, 2022
मीडिया जगत भी कमाल खान की मौत से काफी स्तब्ध रहा. वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई, राणा अयूब, प्रशांत कुमार समेत कई पत्रकारों ने कमाल खान को याद किया.
Terribly sad news to report this morning. Kamal Khan, NDTV’s fine reporter from Lucknow and a dear dear friend passed away this morning. I will miss you dearly my friend and our long chats. Lots of memories! Devastated. Om shanti?? pic.twitter.com/TAnFbuwqf4
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) January 14, 2022
This is devastating. So many of us would wait for Kamal Khan's stories, his poetic voiceovers, his genteel story telling. In the world of TRP's, he gave sanity to TV journalism. You will be missed sir. Innalillahi wa inni alayhi rajeoon @kamalkhan_NDTV
— Rana Ayyub (@RanaAyyub) January 14, 2022
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फ्रीलांसिंग से कैरियर की शुरुआत की
कमाल खान ने काफी कम उम्र में अपने वालिद को खो दिया था जिसके बाद उनकी माता ने उनका ख्याल रखा. श्रीवास्तव के मुताबिक बहुत कम सैलरी से उन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत की. खान ने प्रिंट मीडिया में रिपोर्टर के तौर पर काम की शुरुआत की और बाद में टीवी के लिए भी रिपोर्ट करने लगे.
कमाल खान के साथ श्रीवास्तव ने उत्तर प्रदेश की कई बड़ी घटनाओं को कवर किया जिसमें मधुमिता शुक्ला का मर्डर केस भी है जिस मामले में अमरमणि त्रिपाठी को आजीवन कारावास की सजा मिली थी.
श्रीवास्तव के अनुसार, इस मामले में खान और वो ‘मुख्य गवाह’ थे जिनके बयान काफी महत्वपूर्ण थे.
श्रीवास्तव बताते हैं, ‘कमल और मैंने एक ऐसे दौर में साथ काम किया, जब हमें इस बात का डर कम था कि हमें कौन जानता है. मैं एक अंग्रेजी पत्रकार था, वह हिंदी पत्रकार था, लेकिन हम दोनों उर्दू शायरी को पसंद करते थे और हर स्टोरी के लिए एक साथ यात्रा करते थे.’
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हमेशा ‘जमीन से जुड़े रिपोर्टर’ रहे
श्रीवास्तव ने कहा कि बतौर पत्रकार कमाल खान ने काफी उम्दा काम किया, प्रतिष्ठित सम्मान पाए और ऐसे लोगों से जुड़े रहे जो इस इंडस्ट्री से ‘गायब’ हो रहे हैं.
उन्होंने कहा, पत्रकार के तौर पर अगर आपको आपकी लेखनी के लिए जाना जा रहा है तो इससे बेहतर क्या हो सकता है. हम सभी ने अखबार से शुरुआत की थी. उस दौर में फेस फ्लैशिंग और बाईलाइन से ज्यादा ये महत्व रखता था कि आप कैसा लिखते हैं.’
श्रीवास्तव ने कहा, ‘एनडीटीवी में, मैं कहता था कि कमाल को नए युवा पत्रकारों का प्रभारी बनाया जाना चाहिए, जो सीखने की कोशिश कर रहे हैं- क्योंकि बहुत कम लोग इस तरह का काम कर रहे हैं. वह दिल से एक रिपोर्टर बने रहे, समय के साथ यह समझ में आता है कि आप एक संपादक बनना चाहते हैं, लेकिन एक रिपोर्टर के रूप में बने रहना मुश्किल है. आज आप मैदान में हैं, कल का कुछ पता नहीं.’
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