नई दिल्ली: दिल्ली में एक युवती को 12 किलोमीटर तक घसीटे जाने और उनकी मौत को दो साल से ज़्यादा वक्त बीत जाने के बावजूद अंधेरे इलाकों में निगरानी बढ़ाने के लिए प्रस्तावित लगभग 10,000 सीसीटीवी कैमरे अभी भी लगाए जाने बाकी हैं. दिप्रिंट को इस बारे में जानकारी मिली है.
सुल्तानपुरी की रहने वाली 20 साल की अंजलि सिंह नए साल की पूर्व संध्या पर अपनी दोस्त निधि के साथ स्कूटी चला रही थीं, तभी एक बलेनो कार ने उन्हें टक्कर मार दी. वीडियो फुटेज में दिखाया गया है कि निधि, जो पीछे बैठी थीं, बिना किसी चोट के इलाके से निकल गईं, जबकि अंजलि कार के नीचे फंस गई.
31 दिसंबर 2022 और 1 जनवरी 2023 की मध्यरात्रि को कंझावला की घटना के बाद, जिसमें अंजलि को बाहरी दिल्ली में 12 किलोमीटर से ज़्यादा दूर तक घसीटा गया था, गृह मंत्रालय (एमएचए) ने दिल्ली पुलिस को महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने के लिए अपराध की दृष्टि से संवेदनशील अंधेरे स्थानों पर सीसीटीवी निगरानी बढ़ाने का निर्देश दिया था.
जिला पुलिस, रेलवे और मेट्रो इकाइयों द्वारा किए गए सर्वेक्षणों के आधार पर, दिल्ली पुलिस ने स्पॉट की पहचान की और पाया कि राष्ट्रीय राजधानी में अतिरिक्त 9,945 कैमरे लगाने की ज़रूरत थी.
पुलिस सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया, हालांकि, दो साल बाद भी, कैमरे अभी भी निविदा जारी करने की प्रक्रिया में फंसे हुए हैं.
एक सूत्र ने कहा, “सीसीटीवी कैमरों की अनुमानित ज़रूरत की गणना राष्ट्रीय राजधानी में पहचाने गए डार्क स्पॉट के आधार पर की गई थी. हालांकि, कैमरे अभी तक नहीं लगाए गए हैं क्योंकि निविदा जारी करने की प्रक्रिया अभी भी जारी है.”
दिल्ली में पुलिस की विभिन्न योजनाओं के तहत 12,906 कैमरे लगाए गए हैं. सेफ सिटी परियोजना के तहत अतिरिक्त 9,500 कैमरे लगाए जाने हैं, जिसका उद्देश्य सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की सुरक्षा में सुधार करना है.
उस वक्त, पुलिस जांच में पाया गया था कि कार में बैठे पुरुष नशे में धुत थे. परिवार की एकमात्र कमाने वालीं अंजलि कार से चिपकी रही क्योंकि उनकी पिंडली की मांसपेशियां कार के एक्सल से चिपक गई थीं.
कंझावला मोड़ के पास दुर्घटना के करीब दो घंटे बाद आखिरकार उनका शव नीचे गिर गया, इस दौरान आरोपी कार को गोल-गोल घुमाता रहा. जब वह कार के नीचे फंसी हुई थीं, तब भी आरोपी की कार से करीब 50-100 मीटर दूर एक पीसीआर (पुलिस नियंत्रण कक्ष) वैन शव को नहीं देख पाई.
उस वक्त, गृह मंत्रालय ने घटना के बारे में कॉल का जवाब देने में चूक के लिए पीसीआर पुलिस कर्मियों को निलंबित करने का आदेश दिया था. घने कोहरे और अंधेरे ने बलेनो कार को पकड़ने के पुलिस के प्रयासों में बाधा डाली.
चार लोगों — अमित खन्ना, मिथुन कुमार, कृष्ण कुमार और मनोज मित्तल पर हिट-एंड-रन मामले में हत्या, लापरवाही से गाड़ी चलाने, सबूत नष्ट करने और आपराधिक साजिश रचने का आरोप लगाया गया था.
तीन अन्य-दीपक खन्ना, अंकुश खन्ना और आशुतोष भारद्वाज पर आपराधिक साजिश रचने, सबूत नष्ट करने और अपराधियों को शरण देने का आरोप लगाया गया था. सात लोगों में से केवल खन्ना, जो कथित तौर पर दुर्घटना के समय गाड़ी चला रहा था, अभी भी न्यायिक हिरासत में है. बाकी लोगों को ज़मानत मिल गई है.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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