इटानगर, 24 जुलाई (भाषा) अरुणाचल प्रदेश के शि-योमी जिले के मेचुका में आयोजित पहले उच्च हिमालयी तितली एवं जैव विविधता सम्मेलन के दौरान तितलियों की दो ऐसी प्रजातियों की खोज हुई है, जो अब तक भारत में दर्ज नहीं थीं।
यहां जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, जिन दो प्रजातियों की पहचान की गई है, वे हैं मेतोक ग्रीन सैफायर (हेलीफोरस ग्लोरिया) और मेदोग टफ्टेड ऐस (सेबास्टोनिमा बेडोएन्सिस) ।
ये दोनों प्रजातियां अब तक केवल दक्षिण-पूर्वी तिब्बत के हान्मी, मेतोक क्षेत्र में पाई जाती थीं। भारत में इनका पहली बार दस्तावेजीकरण तितली अनुसंधान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है।
यह खोज सम्मेलन के दौरान किए गए व्यापक जैव विविधता सर्वेक्षण के तहत हुई, जिसमें कुल 107 तितली प्रजातियों की उपस्थिति दर्ज की गई। यह इस तरह के पहले प्रयास के लिए असाधारण संख्या है।
अन्य उल्लेखनीय खोजों में टाइगर-मिक एडमिरल (लाइमेनिटाइस राइलेई) शामिल है, जो भारत में पहली बार दर्ज की गई है। इसके अलावा तिब्बतन ब्रिमस्टोन, भूटान ब्लैकवेन, जायंट हॉपर, स्कार्स जेस्टर, ब्राउन गॉर्गन, और जंगलक्वीन की कई दुर्लभ प्रजातियां भी देखी गईं।
यह आयोजन राज्य पर्यटन विभाग द्वारा किया गया, जिसका उद्देश्य राज्य के उच्च हिमालयी जैव विविधता क्षेत्रों में ईको-पर्यटन और संरक्षण जागरूकता को बढ़ावा देना था।
सम्मेलन में देशभर से कुल 72 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें शोधकर्ता, पीएचडी छात्र, प्रकृति प्रेमी और विद्यार्थी शामिल थे। इनमें नॉर्थ ईस्टर्न रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (एनईआरआईएसटी), तेजपुर विश्वविद्यालय, मिजोरम विश्वविद्यालय, डिगबोई कॉलेज और अशोका ट्रस्ट फॉर रिसर्च इन इकोलॉजी एंड द एनवायरनमेंट (एटीआरईई) के प्रतिनिधि शामिल थे।
बयान के अनुसार, इससे पहले 31 मई को एक नियमित उच्च हिमालयी सर्वेक्षण के दौरान ‘चीनी विंडमिल’ नामक तितली को देखा गया था, जो भारत में पहले कभी दर्ज नहीं हुई थी।
ये सभी खोजें इस क्षेत्र की विलक्षण जैविक समृद्धि को दर्शाती हैं और भारत में तितली अनुसंधान के क्षेत्र में एक नए अध्याय की शुरुआत का संकेत देती हैं।
भाषा मनीषा शोभना
शोभना
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.