नई दिल्ली: कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा 26 लोगों की हत्या से दो महीने पहले, अमेरिका की एक टॉप अंतरिक्ष तकनीकी कंपनी (स्पेस टेक कंपनी) को पहलगाम और उसके आसपास के क्षेत्रों की हाई-रिज़ॉल्यूशन सैटेलाइट तस्वीरों के लिए बड़ी मात्रा में ऑर्डर मिले. 2 से 22 फरवरी 2025 के बीच, मैक्सर टेक्नोलॉजीज़ को कम से कम 12 ऑर्डर मिले — जो सामान्य संख्या से दुगुना था. इस कंपनी के ग्राहकों में दुनिया भर की सरकारी और रक्षा एजेंसियां शामिल हैं. पहलगाम की सैटेलाइट तस्वीरों के लिए ऑर्डर जून 2024 में आने लगे, ठीक कुछ महीने बाद जब मैक्सर ने एक नया साझेदार जोड़ा — पाकिस्तान की एक जियो-स्पैशियल कंपनी, जिसका नाम अमेरिका में हुए संघीय अपराधों से जुड़ा रहा है.
डेटा से यह स्पष्ट नहीं है कि पहलगाम की सैटेलाइट तस्वीरों के ऑर्डर पाकिस्तान की फर्म बिज़नेस सिस्टम्स इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड (BSI) ने दिए थे या नहीं. लेकिन रक्षा विश्लेषकों, विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि इस संयोग को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता, खासतौर से इस कंपनी के संस्थापक ओबैदुल्ला सैयद के रिकॉर्ड को देखते हुए.
यह पाकिस्तानी-अमेरिकी व्यवसायी अमेरिकी संघीय अदालत द्वारा दोषी पाया गया था और उसे एक साल की सजा सुनाई गई थी, क्योंकि उसने अमेरिका से पाकिस्तान एटॉमिक एनर्जी कमीशन (PAEC) को हाई परफॉर्मेंस कंप्यूटर इक्विपमेंट और सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन समाधान अवैध रूप से निर्यात किए थे—यह एजेंसी उच्च विस्फोटक और परमाणु हथियारों के पुर्जे डिज़ाइन और परीक्षण करती है, साथ ही ठोस ईंधन वाली बैलिस्टिक मिसाइलें विकसित करती है.
“यह बहुत ही चौंकाने वाली बात है कि मैक्सर ने बिना पृष्ठभूमि जांच किए एक पाकिस्तानी कंपनी को साझेदार बना लिया,” मैक्सर की सेवाओं के एक ग्राहक ने कहा. “भारत को ऐसे सैटेलाइट इमेजिंग और डेटा कंपनियों पर पाकिस्तान के साथ संचालन बंद करने का दबाव डालना चाहिए,” उन्होंने आगे कहा.
दिप्रिंट को दिए गए मैक्सर पोर्टल के एक्सेस में दिखा कि पहलगाम के अलावा, उपग्रह छवियां पुलवामा, अनंतनाग, पुंछ, राजौरी और बारामूला जैसे भारत के सैन्य रूप से संवेदनशील क्षेत्रों को भी कवर करती हैं. हर एक सैटेलाइट तस्वीर की कीमत 3 लाख रुपये से शुरू होती है और रिज़ॉल्यूशन के अनुसार बढ़ती है.

“सैटेलाइट निगरानी अब किसी भी देश की खुफिया प्रणाली की रीढ़ बन गई है. यह साफ़ नहीं है कि ये तस्वीरें 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए हमलों की योजना बनाने में इस्तेमाल हुईं या नहीं, लेकिन भारत मैक्सर से यह जांच कराने को कह सकता है कि ये तस्वीरें किसने और क्यों मंगवाईं,” एक इसरो वैज्ञानिक ने कहा.
ये हाई-रिज़ॉल्यूशन तस्वीरें आमतौर पर सेना द्वारा सेना की गतिविधियों पर नज़र रखने, हथियारों की तैनाती और इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास की निगरानी, अवैध सीमा पार करने, बिना इजाजत घुसपैठ और तस्करी पकड़ने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं.
लेफ्टिनेंट जनरल ए.के. भट्ट (रिटायर्ड), जो पहले डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस रह चुके हैं और अब इंडियन स्पेस एसोसिएशन (ISpA) के डायरेक्टर जनरल हैं, ने कहा कि इन हाई-रिज़ॉल्यूशन सैटेलाइट तस्वीरों की आसान उपलब्धता से गलत ताकतों द्वारा इनके दुरुपयोग का खतरा भी बढ़ गया है.
भट्ट ने कहा, “दुनिया भर में कई निजी स्पेस कंपनियों के ज़रिए हाई-रिज़ॉल्यूशन सैटेलाइट तस्वीरों की वाणिज्यिक उपलब्धता ने देशों और सेनाओं की खुफिया, निगरानी और पहचान (ISR) क्षमताओं को बेहतर किया है, लेकिन अगर इनका उपयोग गैर-राज्य तत्वों और असामाजिक ताकतों द्वारा किया जाए, तो यह एक बड़ी कमजोरी भी बन सकती है.”
आदेश दिए गए
मैक्सर टेक्नोलॉजीज अपने उपग्रहों के लिए जानी जाती है, जो 30 सेंटीमीटर से लेकर 15 सेंटीमीटर तक की पिक्सेल रेजोल्यूशन वाली हाई-डेफिनिशन तस्वीरें प्रदान करती हैं. पिक्सेल जितना छोटा होता है, तस्वीर की स्पष्टता उतनी ही बेहतर होती है.
भारत में रक्षा मंत्रालय और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) सहित कई सरकारी एजेंसियां मैक्सर की सेवाओं की ग्राहक हैं. कम से कम 11 भारतीय स्पेस टेक स्टार्टअप्स और कंपनियां मैक्सर टेक्नोलॉजीज की ग्राहक और साझेदार हैं.
फरवरी 2025 में पहलगाम की सैटेलाइट इमेज के विभिन्न उपग्रह फ्रीक्वेंसी रेंज से ऑर्डर की संख्या सबसे अधिक रही — 12, 15, 18, 21 और 22 फरवरी को खरीदारी दर्ज की गई. मार्च में कोई ऑर्डर नहीं आया. 12 अप्रैल को—हमले से दस दिन पहले—एक ऑर्डर दर्ज हुआ. इसके बाद 24 और 29 अप्रैल को क्षेत्र की तस्वीरों के लिए दो अनुरोध आए. उसके बाद से कोई नया ऑर्डर नहीं दिया गया.
दिप्रिंट द्वारा एक्सेस किए गए डेटा में सैटेलाइट इमेज की रेजोल्यूशन या ऑर्डर देने वाली कंपनी या देश का ज़िक्र नहीं है.
मैक्सर सेवा से जुड़े एक अन्य ग्राहक ने बताया, “जो कोई भी मैक्सर का भुगतान करने वाला साझेदार है, वह उन सैटेलाइट इमेज को देख सकता है जो दूसरे साझेदार ऑर्डर करते हैं—जब तक कि वे इमेज रणनीतिक महत्व की न हों. उस स्थिति में वह लेनदेन गोपनीय रहता है.” उन्होंने यह भी कहा कि ऑर्डर की तारीख और इमेज तो देखी जा सकती हैं, लेकिन उनके स्रोत की जानकारी बिना मैक्सर की अनुमति के नहीं मिल सकती, और गोपनीयता के कारण वे अनुमति नहीं देते.
दिप्रिंट ने इस संबंध में मैक्सर टेक्नोलॉजीज को ईमेल किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.
एक रक्षा विशेषज्ञ ने बताया कि कुछ अत्यंत सटीक, उच्च-रिजोल्यूशन वाली सैटेलाइट तस्वीरें इतनी बारीक जानकारी दे सकती हैं कि सड़कों पर चल रहे लोगों के चेहरे तक प्रोफाइल किए जा सकते हैं.
उन्होंने कहा, “10 सेंटीमीटर से कम रेजोल्यूशन वाली इमेज काफी तेज होती हैं और उस देश की विशेष अनुमति की ज़रूरत होती है जिसकी तस्वीरें देखी जा रही हों. लेकिन समस्या ये है कि 30 सेंटीमीटर की रेजोल्यूशन भी किसी क्षेत्र की संरचनात्मक जानकारी को साफ तौर पर दिखा सकती है.”
पाकिस्तानी कंपनी के आपराधिक रिकॉर्ड संदिग्ध है
मैक्सर टेक्नोलॉजीज के साथ BSI का साझेदार बनना चिंता का कारण है.
मैक्सर के ज़्यादातर साझेदार उनके ग्राहक भी होते हैं, लेकिन एक साझेदार की भूमिका अलग होती है–वह मैक्सर की ओर से प्रोडक्ट डेवलपर, रिसेलर और समाधान देने वाला होता है.
अमेरिकी न्याय विभाग के अनुसार, BSI का आपराधिक अतीत रहा है. यह पाकिस्तानी सरकारी एजेंसियों के लिए अवैध रूप से संसाधन पहुंचाने का बिचौलिया बना.
ओबैदुल्लाह सैयद, जिन्होंने शिकागो में बीएसआई USA की स्थापना की थी, ने 2022 में यह स्वीकार किया कि उन्होंने अमेरिकी वाणिज्य विभाग से बिना अनुमति लिए 2006 से 2015 के बीच अमेरिका से सामान निर्यात किया और झूठी जानकारी दी.
उन्हें एक साल और एक दिन की सजा अमेरिकी संघीय जेल में दी गई. सजा से पहले, सैयद ने अमेरिका सरकार को 2,47,000 डॉलर की अवैध कमाई वापस कर दी, जैसा कि अमेरिकी इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट (ICE) की मीडिया रिलीज़ में बताया गया.
संघीय एजेंसियों ने इस फैसले का स्वागत किया.
उस समय शिकागो स्थित होमलैंड सिक्योरिटी इन्वेस्टिगेशंस के विशेष एजेंट ने कहा, “यह हमारे दुश्मनों के लिए एक चेतावनी है कि अमेरिका अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है.”
अमेरिकी एजेंसियों ने सैयद के पाकिस्तान एटॉमिक एनर्जी कमीशन (PAEC) के साथ छिपे हुए व्यापारिक संबंधों पर भी चिंता जताई. यह चिंता मुकदमे के दौरान इसलिए उठी क्योंकि PAEC का काम बेहद संवेदनशील माना जाता है. ICE की रिपोर्ट में कहा गया कि 2006 से 2015 के बीच सैयद ने यह झूठ बताया कि उनकी कंपनी जो कंप्यूटर उपकरण अमेरिका से निर्यात कर रही थी वह यूनिवर्सिटीज़ और उनके कारोबार के लिए है, जबकि वास्तव में वह PAEC के लिए उपयोग हो रहा था.
अमेरिकी एजेंसी की रिपोर्ट में लिखा गया, “PAEC एक पाकिस्तानी सरकारी एजेंसी है जिसे अमेरिकी सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति या अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए असाधारण खतरे के रूप में चिन्हित किया है.”
मैक्सर पोर्टल पर BSI के लिए संपर्क व्यक्ति आज भी सैयद ही हैं.
बीएसआई की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, इसका मुख्यालय कराची में है और इसकी शाखाएं लाहौर, इस्लामाबाद और फैसलाबाद में फैली हैं. यह कंपनी 1980 से काम कर रही है और “हाई परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग, डेटा माइनिंग, जियोग्राफिकल इंफॉर्मेशन सिस्टम (GIS), कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम्स और कम्प्यूटेशनल फ्लूइड डायनामिक्स” जैसी सेवाएं देती है.
बीएसआई पाकिस्तान के रजिस्टर्ड ईमेल आईडी पर भेजे गए मेल वापस लौट आए, और उनके आधिकारिक लिंक्डइन प्रोफाइल पर भेजे गए संदेशों का कोई जवाब नहीं मिला.
मैक्सर पर कोई बाध्यता नहीं
पहलगाम के लिए दिए गए खरीद ऑर्डर सिर्फ भारत के ग्राहकों का नहीं, बल्कि कुछ इसरो वैज्ञानिकों का भी ध्यान खींचे. भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो भी मैक्सर की सेवाओं की ग्राहक है.
भारत में हाई-रिजोल्यूशन सैटेलाइट इमेजरी से जुड़े नियम, खासकर सुरक्षा-संवेदनशील इलाकों के लिए, सरकार की रिमोट सेंसिंग डेटा पॉलिसी, जियोस्पैशियल डेटा गाइडलाइंस और स्पेसकॉम पॉलिसी के तहत आते हैं. मौजूदा नियम आम इस्तेमाल के लिए भू-स्थानिक डेटा तक सीमित रोक के साथ पहुंच की इजाज़त देते हैं.
उच्च सुरक्षा वाले इलाकों—जैसे सैन्य ठिकाने, सीमावर्ती इलाके और परमाणु स्थल—के लिए पहुंच सीमित होती है, तस्वीरें धुंधली होती हैं या कम रिजोल्यूशन में मिलती हैं.
“समस्या यह है कि मैक्सर एक बिज़नेस कंपनी है। वे किसी को भी सेवा देंगे जो उन्हें भुगतान करता है,” इसरो के वैज्ञानिक ने कहा.
चूंकि भारत अभी अपने सिस्टम तैयार कर रहा है और आने वाले वर्षों में और निगरानी उपग्रह लॉन्च किए जाने हैं, इसलिए वह अभी भी हाई-रिजोल्यूशन सैटेलाइट इमेज के लिए विदेशी सेवा प्रदाताओं पर निर्भर है.
इसरो वैज्ञानिक ने कहा, “जब आप निगरानी डेटा के लिए किसी तीसरे पक्ष पर निर्भर होते हैं, तो चुनौतियां होती हैं. उन्हें आपकी वफादारी निभाने की कोई जिम्मेदारी नहीं होती.”
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