ठाणे, 14 मई (भाषा) ठाणे की एक अदालत ने दो लोगों को घर में जबरन घुसने और महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के मामले में दोषी ठहराया है।
इन दोनों पर चार अन्य लोगों के साथ मिलकर यहां कलवा इलाके में एक घर में जबरन घुसने और फिरौती की कोशिश के तहत एक व्यक्ति पर हमला करने का आरोप था।
हालांकि, नौ मई को दिए गए फैसले में अदालत ने आरोपियों को जबरन वसूली और महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत आरोपों से बरी कर दिया। आदेश की प्रति मंगलवार को उपलब्ध हुई।
गणेश रंगनाथ शिंदे उर्फ काला गन्या छह साल से अधिक समय से और अंकुश सूर्यकांत गवांड करीब एक साल और 10 माह से जेल में थे। इन दोनों को इतनी ही सजा सुनाई गई है जो ये जेल में काट चुके हैं।
विशेष न्यायाधीश (मकोका) अमित एम. शेटे ने उन्हें प्रत्येक अपराध के लिए दो हजार रुपये का जुर्माना भरने का भी आदेश दिया। न्यायाधीश ने कहा कि जुर्माने की राशि में से पांच हजार रुपये शिकायतकर्ता की पत्नी को मुआवजे के रूप में दिए जाएंगे।
कलवा पुलिस के अनुसार, गणेश शिंदे और उसके साथी नौ सितंबर 2016 को शिकायतकर्ता के घर में घुस गए। घुसपैठियों ने उससे 10 हजार रुपये की मांग की, उसके साथ मारपीट की, उसकी पत्नी और उसकी बहनों के साथ अभद्र व्यवहार किया।
न्यायाधीश ने शिंदे और अंकुश गवांड को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 (गरिमा भंग करना), 452 (चोट पहुंचाने के इरादे से घर में घुसना), 504 (जानबूझकर अपमान करना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत दोषी पाया, जबकि संदीप उर्फ संजय गडेकर, अजीत उर्फ तिल्या मारुति सुडके और देवीदास उर्फ देवा रबाजी गडेकर को बरी कर दिया। मुकदमे के दौरान एक अन्य आरोपी की मौत हो गई। शिकायतकर्ता की भी मौत हो चुकी है।
अदालत ने महिला गवाहों की गवाही पर भरोसा किया, लेकिन पुलिस के इस दावे को पुष्ट करने के लिए कोई पर्याप्त सबूत नहीं मिला कि शिंदे और अन्य लोग एक ‘संगठित अपराधिक गिरोह’ का हिस्सा थे, जो कि कठोर मकोका के तहत दोषसिद्धि के लिए आवश्यक है।
अदालत ने जांच में गंभीर खामियों की ओर भी ध्यान दिलाया, जिसमें अपराध स्थल से सीसीटीवी फुटेज हासिल करने में पुलिस की विफलता भी शामिल है।
भाषा यासिर नरेश
नरेश
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.