नयी दिल्ली, 23 फरवरी (भाषा) दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ वोकेशनल स्टडीज के सभी खातों में कथित वित्तीय विसंगतियों की जांच के लिए उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में दो सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। यह जानकारी अधिकारियों ने बुधवार को दी।
कॉलेज की शासी निकाय की बैठक में यह फैसला बुधवार को लिया गया। जांच समिति का नेतृत्व न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) सुनील गौड़ करेंगे।
बैठक के दौरान, कॉलेज प्रशासन द्वारा 2010 और 2013 के बीच कथित वित्तीय अनियमितताओं की एक ऑडिट रिपोर्ट अध्यक्ष राजन चोपड़ा की अध्यक्षता वाली शासी निकाय को प्रस्तुत की गई।
बैठक के विवरण के अनुसार, ऑडिट रिपोर्ट में कई ‘परिचालन प्रक्रियाओं, प्रलेखन, अनुपालन और आंतरिक नियंत्रणों में अनियमितताएं उजागर हुईं, जो कॉलेज को बहुत उच्च स्तर के वित्तीय जोखिम में डालती है।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘कई खातों में वित्तीय विसंगतियों की सूचना मिली थी। शासी निकाय ने लेखा परीक्षक द्वारा की गई सिफारिशों पर चर्चा की और रिपोर्ट के हिस्से को स्वीकार कर लिया।’’
यह पाया गया कि कॉलेज से संचालित इग्नू केंद्र के लेखा, व्यवस्थापक, पुस्तकालयाध्यक्ष और समन्वयक द्वारा कई दस्तावेज आडिटर को उपलब्ध नहीं कराए गए थे।
अधिकारियों ने कहा कि कॉलेज के सभी खातों में कथित भ्रष्टाचार की जांच के लिए पिछले नवंबर में शासी निकाय द्वारा ऑडिट का आदेश दिया गया था। अधिकारियों ने कहा कि पुस्तकालय की किताबों की खरीद में अनियमितता सामने आने के बाद ऑडिट शुरू किया गया था।
अधिकारियों ने कहा कि प्रिंसिपल इंद्रजीत डागर पर वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया गया था, जब एक लाख रुपये में खरीदी गई 180 किताबें कॉलेज नहीं पहुंचीं। अधिकारियों के मुताबिक उनके खिलाफ वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितताओं की शिकायतें मिली हैं।
बैठक के विवरण में कहा गया है, ‘‘जीबी (शासी निकाय) ने कॉलेज के सभी खातों (इग्नू सहित) में वित्तीय खामियों की जांच के लिए सदस्यों के रूप में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) सुनील गौड़ (अध्यक्ष) और सी ए अरुण वशिष्ठ की दो सदस्यीय जांच समिति गठित करने का निर्णय लिया।’’
शासी निकाय ने आंतरिक ऑडिट को और चार साल के लिए बढ़ाने का भी फैसला किया है।
सीवीएस शिक्षक संघ के सचिव कुमार आशुतोष ने कहा, ‘‘प्राचार्य (प्रिंसिपल) ने अपने पद का दुरुपयोग किया है और यूजीसी परीक्षा से संबंधित कई अनियमितताओं में लिप्त हैं।’’
शिक्षक संघ ने अधिकारियों से आग्रह किया है कि राजन चोपड़ा, जिनका कार्यकाल 27 फरवरी को समाप्त हो रहा है, को इस पद पर बने रहने दिया जाए ताकि वह मामले की और जांच कर सकें।
कुमार ने कहा, ‘‘हमारे जीबी अध्यक्ष राजन चोपड़ा का कार्यकाल 27 तारीख को समाप्त हो रहा है और उन्हें भ्रष्टाचार का पता लगाने के लिए एक और कार्यकाल दिया जाना चाहिए। भ्रष्ट ताकतें उन्हें हटाने की कोशिश कर रही हैं।’’
टिप्पणी के लिए कॉलेज के प्राचार्य से संपर्क नहीं हो सका।
भाषा अमित पवनेश
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