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शुक्रवार, 25 अप्रैल, 2025
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कुनो से गांधी सागर अभयारण्य में 20 अप्रैल को दो चीते स्थानांतरित किए जाएंगे: मुख्यमंत्री यादव

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भोपाल, 18 अप्रैल भाषा) मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शुक्रवार को कहा कि 20 अप्रैल को राज्य के श्योपुर जिले के कुनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) से दो चीते मंदसौर के गांधी सागर अभयारण्य में स्थानांतरित किए जाएंगे।

वर्तमान में, 16 चीते केएनपी में जंगल में घूम रहे हैं, जबकि 10 चीते बाड़ों में हैं।

यादव ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि चीता परियोजना का विस्तार 20 अप्रैल को गांधी सागर अभयारण्य तक किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

इससे पहले दिन में, केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने मुख्यमंत्री और राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ चीता परियोजना की समीक्षा की।

बैठक को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पारिस्थितिकी तंत्र के समुचित विकास के लिए मध्य प्रदेश में बड़े पैमाने पर काम किया जा रहा है।

सरकारी विज्ञप्ति में मुख्यमंत्री के हवाले से कहा गया, ‘‘हमारी सरकार कुनो राष्ट्रीय उद्यान को आदर्श वन्यजीव पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करेगी। कुनो ही नहीं, मंदसौर जिले का गांधी सागर अभयारण्य भी अब चीतों से भरा होगा।’’

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार के सहयोग से 20 अप्रैल को गांधी सागर अभयारण्य में चीते छोड़े जाएंगे। दो चीतों को कड़ी सुरक्षा के बीच कुनो राष्ट्रीय उद्यान से गांधी सागर अभयारण्य में भेजा जाएगा।’’

उन्होंने कहा कि केएनपी में पर्यटन को तेजी से बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ग्वालियर से कुनो तक सीधी सड़क और हवाई संपर्क विकसित करने पर भी गंभीरता से विचार कर रही है।

केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि राज्य में चल रही वन्यजीव पुनर्वास परियोजनाओं की निगरानी के लिए वन, पर्यटन, पशु चिकित्सा, पंचायत और ग्रामीण विकास, जनजातीय मामले और परिवहन विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों का एक कार्यबल बनाया जाना चाहिए।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि श्योपुर जिले के 80 गांवों के 400 ‘चीता मित्रों’ को प्रशिक्षित करने के लिए भारतीय वन प्रबंधन संस्थान (आईआईएफएम), भोपाल के साथ अनुबंध किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि चीता मित्रों को होम स्टे के लिए प्रशिक्षित करके उन्हें प्रकृति पर्यटन के लिए तैयार करने का काम भी किया जाना चाहिए।

इस बीच, अधिकारियों ने बताया कि भारत में पैदा होने वाले चीता शावकों (वर्तमान में केवल मध्य प्रदेश में) की जीवित रहने की दर दुनिया में सबसे अधिक है।

उन्होंने कहा कि अन्य देशों में जलवायु के अनुकूल न होने के कारण चीता शावक जीवित नहीं रह पाते हैं।

अधिकारियों ने कहा कि गांधी सागर अभयारण्य जलवायु और पर्यावरण के लिहाज से चीता के लिए बहुत उपयुक्त है।

सत्रह सितंबर, 2022 को केएनपी में आठ नामीबियाई चीते छोड़े गए, जिनमें पांच मादा और तीन नर शामिल हैं। यह चीता का पहला अंतरमहाद्वीपीय स्थानांतरण है। फरवरी 2023 में, दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीतों को केएनपी में स्थानांतरित किया गया। वर्तमान में, केएनपी में 26 चीते हैं, जिनमें 14 भारत में जन्मे शावक शामिल हैं।

भाषा दिमो शफीक

शफीक

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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