रुद्रप्रयाग (उत्तराखंड), नौ मई (भाषा) संक्रामक बीमारी के कारण 13 घोड़े-खच्चरों की मौत के बाद केदारनाथ पैदल मार्ग पर उनके संचालन पर लगी रोक के बीच शुक्रवार को गौरीकुंड से कुछ प्रतिबंधों के साथ प्रयोग के तौर पर दो स्वस्थ घोड़े केदारनाथ भेजे गए।
यहां अधिकारियों ने बताया कि भारवाहन के रूप में इन घोड़े-खच्चरों को भेजे जाने के परिणाम यदि सही रहते हैं तो आने वाले दिनों में इनका संचालन फिर शुरू किया जा सकता है।
चार और पांच मई को क्रमश: आठ और पांच घोड़ों की मौत हो जाने के बाद केदारनाथ यात्रा मार्ग पर उनके संचाालन पर रोक लगा दी गयी थी ।
उत्तराखंड के पशुपालन सचिव डॉ बी वी आर सी पुरुषोत्तम ने बताया था कि आठ घोड़ों की मृत्यु ‘डायरिया’ एवं पांच घोड़ों की मृत्यु ‘एक्यूट कोलिक’ से हुई। उन्होंने कहा था कि विस्तृत रिपोर्ट के लिए इन घोड़ों के नमूने उत्तर प्रदेश के बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) भेजे गए हैं।
साढ़े ग्यारह हजार फीट से अधिक की उंचाई पर स्थित केदारनाथ धाम पहुंचने के लिए गौरीकुंड से करीब 16 किलोमीटर की पैदल दूरी तय करनी पड़ती है। चढ़ाई वाले इस रास्ते को तय करने के लिए कुछ श्रद्धालुओं को पिटठू, पालकी या घोड़े -खच्चरों का सहारा लेना पड़ता है।
घोड़े-खच्चारों के संचालन पर लगी रोक के बाद से तीर्थयात्री पालकी या पिटठू का उपयोग कर केदारनाथ पहुंच रहे हैं। पालकी के मुकाबले घोड़े खच्चर से यात्रा अपेक्षाकृत सस्ती होती है, इसलिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु इनका उपयोग करना अधिक पसंद करते हैं।
केदारनाथ मार्ग पर यह सुविधा उपलब्ध कराने वाले एक व्यवसायी ने बताया कि इसका तीर्थयात्रियों की आमद पर भी प्रभाव पड़ा है और इससे भीड़-भाड़ में कुछ कमी आई है।
यात्रियों के अलावा, घोड़े-खच्चरों के माध्यम से माल ढुलाई भी की जाती है।
रुद्रप्रयाग के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ आशीष रावत ने बताया कि चिकित्सा जांच में फिट पाये जाने के बाद ही स्वस्थ घोडे़-खच्चरों को केदारनाथ जाने की अनुमति दी जाएगी।
इस बीच, अधिकारियों और व्यापारियों ने यह भी साफ किया है कि यात्रा मार्ग और केदारनाथ में कहीं खाद्य या अन्य जरूरी सामग्री की कोई कमी नहीं है। व्यापारी प्रकाश बिष्ट ने कहा कि घोड़े-खच्चरों के संचालन पर रोक के कारण कहीं किसी सामग्री की आपूर्ति में कोई कमी नहीं आयी है। उन्होंने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे बिना किसी संकोच के यात्रा पर आएं और सोशल मीडिया या अन्य माध्यमों से फैलाई जा रही झूठी अफवाहों पर ध्यान न दें।
भाषा सं दीप्ति राजकुमार
राजकुमार
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