नयी दिल्ली, 27 (भाषा) निर्वाचन आयोग ने सोमवार को जिन 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूची पुनरीक्षण की घोषणा की, वहां लोगों द्वारा जमा किये जाने वाले दस्तावेजों की सूची में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के बाद प्रकाशित बिहार की मतदाता सूची और आधार कार्ड को भी शामिल किया गया है।
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को जारी निर्देशों में निर्वाचन प्राधिकरण ने कहा कि निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी उन मतदाताओं को नोटिस जारी करेंगे, जिनके पिछले एसआईआर मतदाता सूची विवरण, जो गणना प्रपत्रों में दिए गए हैं, या तो उपलब्ध नहीं हैं या डेटाबेस से मेल नहीं खाते हैं।
इसमें कहा गया है कि मतदाता विभिन्न श्रेणियों के आधार पर दस्तावेज उपलब्ध करा सकते हैं।
इन दस्तावेजों में किसी भी केंद्रीय या राज्य सरकार या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के नियमित कर्मचारी या पेंशनभोगी को जारी किया गया कोई भी पहचान पत्र या पेंशन भुगतान आदेश; एक जुलाई 1987 से पहले सरकार/स्थानीय प्राधिकारियों/बैंकों/डाकघर/एलआईसी/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा भारत में जारी किया गया कोई भी पहचान पत्र या प्रमाण पत्र या दस्तावेज शामिल हैं।
सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी जन्म प्रमाण पत्र; पासपोर्ट; मान्यता प्राप्त बोर्ड या विश्वविद्यालय द्वारा जारी मैट्रिक या शैक्षिक प्रमाण पत्र; सक्षम राज्य प्राधिकारी द्वारा जारी स्थायी निवास प्रमाण पत्र; वन अधिकार प्रमाण पत्र; सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी ओबीसी/एससी/एसटी या कोई भी जाति प्रमाण पत्र भी इसमें शामिल हैं।
सूची में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (जहां भी मौजूद हो); राज्य या स्थानीय प्राधिकारियों द्वारा तैयार कुटुंब रजिस्टर; सरकार द्वारा कोई भूमि या मकान आवंटन प्रमाण पत्र; आधार; और एक जुलाई, 2025 के संदर्भ में बिहार एसआईआर की मतदाता सूची का एक अंश भी शामिल है।
दूसरे चरण के लिए दस्तावेजों की सूची में एसआईआर के बाद प्रकाशित बिहार की मतदाता सूची को शामिल करने के पीछे के तर्क को समझाते हुए एक अधिकारी ने कहा, “मान लीजिए, कोई व्यक्ति 12 राज्यों में से किसी एक की मतदाता सूची में नाम शामिल कराना चाहता है और बिहार की मतदाता सूची का उद्धरण प्रस्तुत करता है, जिसमें उसके माता-पिता का नाम है, तो उसे जन्मतिथि के अलावा अपनी नागरिकता का कोई अतिरिक्त प्रमाण नहीं देना होगा।”
सितंबर में, निर्वाचन आयोग ने बिहार चुनावी तंत्र से कहा था कि वह सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद मतदाताओं की पहचान स्थापित करने के लिए आधार कार्ड को एक अतिरिक्त दस्तावेज के रूप में स्वीकार करे।
राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को लिखे पत्र में आयोग ने कहा था, “सूचीबद्ध 11 दस्तावेजों के अलावा आधार कार्ड को 12वें दस्तावेज के रूप में माना जाएगा।”
निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया कि आधार कार्ड को “पहचान के प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जाएगा और इसका उपयोग नागरिकता के प्रमाण के रूप में नहीं” किया जाएगा।
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प्रशांत माधव
माधव
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