भागलपुर : बिहार में अब कछुआ पुनर्वास केंद्र खुलेगा, जहां घायल या बीमार कछुओं को स्वस्थ होने तक रखा जाएगा और स्वस्थ होने के बाद उन्हें उनके अधिवास में छोड़ दिया जाएगा.
बिहार के भागलपुर के सुंदरवन में कछुआ पुनर्वास केंद्र बनने का काम शुरू हो चुका है. संभावना जतायी गयी है कि यह इस साल के अंत तक बनकर तैयार हो जाएगा. केंद्र सरकार की प्रायोजित योजना के तहत पुनर्वास केंद्र के लिए वन विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है.
भागलपुर के वन प्रमंडल अधिकारी (डीएफओ) एस सुधाकर ने आईएएनएस को बताया कि यहां के सुंदरवन में कछुआ पुनर्वास केंद्र बनने का काम जारी है. संभावना है कि यह इस साल नवंबर तक बनकर तैयार हो जाएगा और अगले साल से यहां कछुआ रखा जाने लगेगा.
उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश से कई तस्कर कछुओं की तस्करी करते हैं और पश्चिम बंगाल में इसे बेचा जाता है. इस दौरान ट्रेन व ट्रक आदि से कछुओं को लाया जाता है. बड़ी कछुओं के पैर बांध दिए जाते हैं, जिस कारण कई कछुआ घायल व बीमार हो जाते हैं. वन विभाग या पुलिस जब कछुओं को पकड़ती है तो उसकी देखभाल में दिक्कतें आती हैं. राज्य में अब तक कोई कछुआ पुनर्वास केंद्र नहीं था.
तस्कर जब अदालत में आत्मसमर्पण करते हैं, तब कछुओं को प्रति क्षेत्र में छोड़ दिया जाता था. इलाज नहीं होने की स्थिति में जब कछुओं की प्रति क्षेत्र में छोड़ा जाता है तो कई कछुओं की मौत हो जाती है. अब कछुओं को नई जिंदगी देने के लिए बिहार के सुंदरवन में कछुओं का पुनर्वास केंद्र खोला जाएगा.
कछुआ पुनर्वास केंद्र बन जाने के बाद राज्य में कहीं भी वन विभाग या पुलिस के द्वारा जब कछुआ को पकड़ा जाएगा तो उसे पुनर्वास केंद्र लाया जाएगा. यहां मेडिकल टीम के द्वारा उसका इलाज व देखरेख किया जाएगा. जब वह पूर्णत: स्वास्थ्य हो जाएगा, तब उसे प्रति क्षेत्र में उसके अधिवास में छोड़ा जाएगा. इससे कछुआ के मरने की संभावना नहीं रहती है.
इस पुनर्वास केंद्र निर्माण में जुड़ी संस्थान ‘भारतीय वन्यजीव’ के बॉयोलॉजिस्ट अक्षय बजाज ने आईएएनएस को बताया कि इस केंद्र में चार तालाब बनाए जा रहे हैं. प्रत्येक तालाब पांच मीटर लंबे व तीन मीटर चौड़े और समुचित गहरे होंगे. यहां हर समय पानी की व्यवस्था रहेगी और चिकित्सक व कर्मचारी उपलब्ध कराए जाएंगे.
सुंदरवन स्थित गरुड़ पुनर्वास केंद्र की तर्ज पर कछुआ पुनवर्वास केंद्र बिहार का पहला और इकलौता केंद्र होगा.
भारत सरकार की तरफ से भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून के विशेषज्ञ सेंटर का डिजाइन तैयार करने के बाद निर्माण कार्य की तकनीक पर नजर रख रहे हैं, जबकि बिहार सरकार की ओर से वन विभाग निर्माण करा रहा है.
वन्यजीव और पशु-पक्षी वास क्षेत्र में काम करने वाली संस्था मंदार नेचर क्लब के संस्थापक अरविंद मिश्रा ने आईएएनएस को बताया कि बिहार की विभिन्न नदियों, खासकर गंगा नदी में 14 प्रजाति के कछुआ पाए जाते हैं. कछुआ गंगा की सफाई में सहायक होते हैं. कछुआ आसानी से शव व गंदगी को खाकर पानी को शुद्ध करते हैं. किसी भी नदी को निर्मल रखने में कछुआ की बड़ी भूमिका होती है.
ईस प्रकार तकनीक का उपयोग करने से गांव मे रहने वाले हर गरिब व्यक्ति को योजना की जानकारी व लाभ मिल पायेगा लेकिन ईन सभी योजना मे प्रत्येक पंचायत से 10 युवाओं को भी ईसकी जानकारी देना ठिक होगा जिससे आमजन समस्या का निवारण भी हो सके