लखनऊ, 22 मई (भाषा) विभिन्न राज्यों से पकड़े गए कछुओं को उत्तर प्रदेश में लाकर संरक्षित किया जा रहा है तथा कुकरैल, सारनाथ व चंबल में कछुआ संरक्षण केंद्र व प्रयागराज के पास कछुआ अभयारण्य केंद्र की स्थापना की गई है। प्रदेश सरकार ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
बयान के मुताबिक, भारत में कछुओं की 30 प्रजाति पाई जाती हैं, जिसमें से 15 उत्तर प्रदेश में मिलती हैं और योगी आदित्यनाथ सरकार का इनके संरक्षण पर पूरा जोर है।
तेईस मई को विश्व कछुआ दिवस है। कछुओं की जैव समृद्धता व उनके संरक्षण के लिए जन जागरूकता पैदा करने के वास्ते वर्ष 2000 से विश्व कछुआ दिवस का आयोजन किया जाता है।
कछुआ धरती पर पाया जाने वाला सबसे प्राचीन व लम्बी आयु का प्राणी है। यह जलीय पारितंत्र का महत्वपूर्ण घटक भी है। यह पानी के सफाई कर्मी के रूप में भी जाना जाता है।
बयान में कहा गया है कि जलीय स्रोत जैसे नदी, तालाब व झील आदि प्रदूषित हो रहे हैं और ऐसे में कछुए की कटहवा, मोरपंखी, साल, सुंदरी आदि प्रजातियां जल को प्रदूषण मुक्त रखने में अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
उत्तर प्रदेश वन एवं वन्यजीव विभाग ने कछुओं के विलुप्त होने तथा इनके अवैध व्यापार को रोकने की दिशा में भी कई प्रयास किये हैं।
इसमें कहा गया कि विभिन्न राज्यों में पकड़े गये उत्तर भारत के कछुओं को वापस प्रदेश में लाकर पुनर्वासित किया गया है और यह प्रयास निरंतर किए जा रहे हैं।
बयान के मुताबिक, प्रदेश में तीन केंद्रों -कुकरैल, सारनाथ तथा चंबल के माध्यम से कछुओं का संरक्षण किया जा है और प्रयागराज के समीप कछुआ अभयारण्य बनाया है।
प्रयागराज के जिला वन अधिकारी अरविंद यादव ने बताया कि 2020 में अभयारण्य की स्थापना हुई थी और यह 30 किमी. के दायरे में यह फैला है।
भाषा जफर नोमान
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