मेरठ: नीचे पड़ गए जर्जर घरों और सड़ती नालियों के बीच बने एक पुराने खंडहरनुमा घर में 70 वर्षीया शकुंतला (बदला हुआ नाम) दरवाजा खोलते ही बोलती हैं, ‘अरे मैं तो अकेली रहती हूं. हां बोलो.’ प्रहलाद नगर की आखिरी गली में हम पहुंचे, तो बूढ़ी दादी से बातचीत के दौरान पड़ोस की सकीना और सितारा भी आ गईं. बूढ़ी दादी बोलती गईं, ‘मेरे पति की मौत के बाद दोनों बालक बाहर मकान लेकर बस गए. इतना नीचा घर है. पानी भर जाता है…..देखो घर में ही नाली बन गई है. ये दोनों ही हारी-बीमारी में काम आती हैं.’
मैंने प्रहलाद नगर से हिंदुओं के पलायन की खबरों पर सवाल किया, तो तीनों औरतों ने एक साथ कहा, ‘कोई नौकरी करने गया है तो कोई बढ़िया कॉलोनी में रहने लगा है. किसी का घर परिवार बढ़ गया था तो बड़े मकान खरीद लिए. एक दिन मकान भी बूढ़े हो जाते हैं, तो उन्हें भी बूढ़े मां-बाप की तरह छोड़ देते हैं.’
मैंने मेरठ से आ रही छेड़खानी की खबरों पर सवाल किया तो तीनों ही औरतें बोल पड़ीं, ‘छेड़खानी का तो पूछो मत. बुरा हाल है. पूरे मेरठ में ही. लड़कियों के तो बाहर जाने का जमाना ही ना रहा. क्या हिंदू और क्या मुसलमान.’
लेकिन, यूपी के मेरठ में प्रहलाद नगर की गलियां पिछले चार दिन से हिंदू-मुसलमान राजनीति से गरमाई हुई हैं. विधायक से लेकर स्थानीय नेताओं व कार्यकर्ताओं ने छेड़खानी, गुंडागर्दी और चोरी की घटनाओं को ‘हिंदुओं के पलायन’ में तब्दील कर दिया है. जबकि, इस इलाके के आम नागरिक इन अफवाहों का खंडन करते हैं. इस बीच कोई नेता इस इलाके में आकर लोगों को एक खास समुदाय के डर से निकालने की बात कह कर चला जाता है. कई बाहर से आए हुए युवक खुद को स्थानीय बताते हुए मीडिया को बरगलाते हुए नजर आ रहे हैं. हालांकि, यहां पर कुछ सिख परिवार भी हैं. यहां 1000 हिंदू परिवारों में से सिर्फ 150 परिवारों के बचे रहने की दावा कर रहा है, तो कोई 450 हिंदू परिवारों के रहने का. कोई भी इस बात को लेकर एकमत नहीं है. तहकीकात करने पर पता चला कि इस इलाके की कई गलियों से कई हिंदू परिवार अपने घर बेचकर शहर के दूसरे अच्छे इलाकों में रहने चले गए हैं.
छेड़खानी, चोरी और बाइक स्टंट का मामला हिंदू-मुसलमान में कैसे बन गया?
ये सियासी मुद्दा तब उछला जब प्रहलाद नगर के एक भाजपा कार्यकर्ता भावेश मेहता ने नमो ऐप पर इलाके में हो रही चोरी, छेड़खानी और हवा में फायरिंग की घटनाओं की शिकायत की. उसके बाद स्थानीय प्रेस ने इसे ‘हिंदू पलायन’ बता कर छापना शुरू कर किया. सोशल मीडिया पर इसे ‘मुसलमानों के डर की वजह से हिंदुओं के पलायन’ के रूप में पेश किया जाने लगा. दिप्रिंट जब प्रहलाद नगर पहुंचा उस दिन इस इलाके में जगह-जगह भाजपा का नाम लिखा गमछा पहने चार-पांच युवकों की टोलियां कई जगह खड़ी थीं.
हम शिकायत करने वाले भावेश मेहता से मिलने उनके घर पहुंचे. भावेश की पत्नी घर की बैठक में एक मुस्लिम बच्ची को ट्यूशन पढ़ा रही थीं. भावेश ने दिप्रिंट को बताया, ‘मैंने तो शिकायत छेड़खानी और चोरी की लगाई थी. हमने इसे हिंदू-मुसलमान का रंग नहीं दिया. ये तो मीडिया का दिया हुआ है. मेरी चिंता है कि अगर हिंदू इसी तरह जाते रहे तो इस इलाके के दस मंदिरों का क्या होगा. मैं इन्हें उजड़ते हुए नहीं देख सकता.’
भाजपा पार्टी से जुड़े पार्षद जितेंद्र पावा ने बताया, ‘छेड़खानी तो बाहर से आए युवक कर रहे हैं. हम कहां हिंदू मुसलमान कर रहे हैं. हम तो बस इन पर अंकुश चाहते हैं. योगीजी ने तो बढ़िया ‘लॉ एंड कानून’ बनाया है. बस निचले स्तर के अधिकारी भ्रष्ट हैं. योगीजी से दर्खवास्त है कि पुलिस महकमे के लिए थोड़ी कड़ाई से पेश आएं.’
तीनों तरफ से मुसलमान मोहल्लों से घिरा प्रहलाद नगर
प्रहलाद नगर 1950 के दशक में रिफ्यूजी इलाके के नाम से जाना जाता था. इसके पीछे मोहल्ला इस्लामाबाद है. इस्लामाबाद में दूध के डेरी और कारखाने हैं. इसके आस-पास का इलाका गोबर की दुर्गंध और कारखानों से निकलने वाली आवाज से भरा रहता है. गलियां दोनों तरफ से बदबूदार नालियों से भरी हुई हैं. तंग और पिछड़ा इलाका, जहां जाम में लगी गाड़ियां आवाज करती हुई भीड़ बढ़ाती रहती हैं.
प्रहलाद नगर से होकर इस्लामाबाद मोहल्ले से गुजरने वाली सड़क हापुड़ रोड पर निकलती है. ये सड़क भी यहां के लोगों की मुख्य समस्या बनी हुई है. स्थानीय लोगों के मुताबिक इसी सड़क की वजह से लफंगे आते-जाते रहते हैं और छेड़खानी कर निकल जाते हैं. दोनों मोहल्लों के बीच गेट लगवाने को लेकर बहस चल रही है. कुछ लोग चाहते हैं कि इस गेट से छेड़खानी और चोरी की समस्या में कमी आएगी. लेकिन, आसपास के दुकानदारों और इस्लामाबाद से दूध लाने वाले लोग (हिंदू और मुस्लिम परिवार) इस फैसले के खिलाफ हैं. उनका कहना है कि गेट लगाने से जाम बढ़ेगा. इसलिए पुलिस ने यहां चार सिपाही तैनात कर बैरिकेड लगा दिए हैं. साथ ही बाहर से आने वाले इन असामाजिक तत्वों की पहचान के लिए सीसीटीवी कैमरा लगाए जा रहे हैं.
पुलिस का दावा- हिंदुओं का डर के मारे पलायन का एक भी केस नहीं
प्रहलाद नगर इलाके में करीब 10 मंदिर और गुरुद्वारे हैं. यहां एक इंटर और दो प्राथमिक स्कूल के अलावा मार्केट भी है. जिसकी वजह से यहां दिनभर चहलकदमी लगी रहती है. यहां किराए पर दुकान लेकर चला रहे सुरेश का कहना है, ‘तीन-चार बार यहां हवाई फायरिंग हो चुकी है. स्कूली बच्चे हैं जो सारा दिन बाइक इधर से उधर घुमाते रहते हैं. इसमें हिंदू का भी आ लिया और मुसलमान का भी. ये रोकना तो पुलिस और प्रशासन का काम है. अब किसी को अपनी राजनीति भी चमकानी है…’
हवाई फायरिंग को लेकर लिसाड़ी थाना के एसएचओ का कहना है, ‘पिछली बार जो फायरिंग हुई थी. उसमें नाबालिग बच्चे शामिल थे. खेल के मैदान में हवाबाजी के लिए फायरिंग की गई थी. पिछले एक साल में मेरे पास कोई छेड़खानी की घटना नहीं आई है.’
वहीं, एसएसपी नितिन तिवारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘इस इलाके से हमारे पास पिछले साल कुल चार केस दर्ज हुए हैं. हिंदुओं को डराकर पलायन कराने की बात सरासर झूठी है. आप हमारे पास एक भी ऐसा केस लाकर दिखा दें. जो ये कहे कि हमने दबाव में ये इलाका छोड़ा हो. कल हमने एक मीटिंग में दोनों ही संप्रदायों के लोगों को बुलाया था. उस मीटिंग में दोनों ही संप्रदायों की शिकायतों के मुताबिक आश्वासन दिया गया है. मामले को सुलझाने के लिए प्रशासन ने सिटी मेजिस्ट्रेट एवं सीओ की एक संयुक्त कमिटी का गठन कर दिया है. सीसीटीवी कैमरा की बात भी मान ली गई है. पुलिस कानून के दायरे में रहकर जितनी मदद कर सकती है उतनी कर रही है.’
पुराने घरों पर ताले और ‘ये घर बिकाऊ है’ के पोस्टर
इस इलाके की कुछ गलियों में पुराने पड़ चुके घरों पर ताले लगे हैं. कुछ गलियों में ‘ये घर बिकाऊ है’ के पोस्टर भी लगे हैं. करीब चालीस साल से यहां रह रही शीतल (बदला हुआ नाम) ने दिप्रिंट को बताया, ‘हम घर बेचना तो चाहते हैं. लेकिन, हमारी अपनी वजहें हैं. मेरे देवर और जेठ बीस साल पहले ही शहर के अच्छे इलाकों चले गए थे. लेकिन, हमारी मजबूरियां थी. बच्चों की शादियां करनी थीं. अब दोनों बच्चे शादीशुदा हैं, तो हम कहीं अच्छी जगह जाना चाहते हैं. ऊपर से ये घर नीचा पड़ गया है, तो घर में गंदा नाला खुल गया है. मेरे दामाद भी कह देते हैं कि मम्मी इतनी ट्रैफिक वाली जगह रहते हो.’
वो आगे जोड़ती हैं, ‘छेड़खानी बढ़ रही हैं ये तो सुना है लेकिन डर वाली बात तो नई है.’ अपने पड़ोसी के घर की तरफ इशारा करत हुए वो कहती हैं, ये लोग एक साल पहले घर बेचकर चले गए. एक तो मकानों में पानी भरता है. ऊपर से पुराने हो गए हैं. उनके बेटों की शादी के बाद पोते हो गए. परिवार बढ़ा तो घर भी तो बड़ा चाहिए. कोई घर बेचेगा तो आप किसी को रोक तो नहीं सकते.’
प्रहलाद नगर की दूसरी गली में रहने वाली अंजू भी अपना घर बेचना चाहती हैं. वो दो दिन से मीडिया को वजह बताते-बताते थक गई हैं. लेकिन, मेरे अनुरोध करने पर कहती हैं, ‘छेड़खानी तो यहां होती हैं. लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि हमारे पड़ोसियों के माथे ये दोष मढ़ दिया जाए. मुसलमानों के बच्चे और हमारे बच्चे साथ खेलते हुए ही बड़े हुए हैं. लेकिन, हम किसी अच्छी जगह जाना चाहते हैं.’
किसी प्रकार के दबाव या सस्ते में मकान बेचने के सवाल पर वो कहती हैं, ‘ऐसा कुछ नहीं है. ये अफवाह ही है. हमारे पड़ोसी भी घर बेचकर गए हैं. लेकिन, किसी ने सस्ते दामों पर नहीं बेचा. हम खुद सही ग्राहक का इंतजार कर रहे हैं. जो ठीक पैसे देगा घर उसी को देंगे, फिर चाहे वो मुसलमान हो या हिंदू.’
गीता मंदिर के पास ही एक गली में हिंदू परिवार दो साल पहले ही आया है. उन्होंने एक हिंदू परिवार से ही घर खरीदा है. मगर भावेश के दावे ‘यहां सिर्फ मुसलमान परिवार ही आकर रह रहे हैं’ के विपरीत है. यहां घर खरीद कर रहने वाले मुसलमान परिवारों ने बताया कि उन्होंने मार्केट के हिसाब के रेट से ही घर खरीदे हैं. हालांकि, इन असामाजिक तत्वों को गिरफ्तार करने की बात पर हिंदू व मुसलमान परिवार, सभी एक स्वर में बोलते दिखे.
यहां से मकान बेचने के बाद लोग शास्त्री नगर में रहने की बात कर रहे हैं. दिप्रिंट ने शास्त्री नगर जाकर कुछ हिंदू परिवारों से बात की. उनका कहना है कि शास्त्री नगर में सुरक्षा की व्यवस्था बेहतर है. ये इलाका प्रहलाद नगर की तरह पिछड़ा नहीं है. ना ही ट्रैफिक की उतनी समस्या है. लेकिन, यहां के परिवार भी छेड़खानी की बात दुहराते हैं कि पिछले चार-पांच साल में मेरठ में महिलाओं के खिलाफ हो रही घटनाओं में इजाफा हुआ है.