नयी दिल्ली, 22 अगस्त (भाषा) निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय से अनुरोध किया कि वह चुनावी राज्य बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के लिए उस पर भरोसा रखे और आश्वासन दिया कि ‘‘एक भी मतदाता नहीं छूटेगा।’’
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने मसौदा मतदाता सूची से बाहर किये गए मतदाताओं को अपने दावे ऑनलाइन या भौतिक रूप से प्रस्तुत करने की अनुमति दी तथा इस बात पर जोर दिया कि पूरी प्रक्रिया मतदाता अनुकूल होनी चाहिए।
पीठ एसआईआर की कवायद करने संबंधी निर्वाचन आयोग के 24 जून के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
न्यायालय ने मतदाता सूची से बाहर किये गए मतदाताओं को आधार कार्ड नंबर या एसआईआर में निर्धारित 11 दस्तावेज में से किसी एक के साथ दावा प्रपत्र प्रस्तुत करने की अनुमति दी।
आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि एक अगस्त को प्रकाशित मसौदा सूची से 65 लाख मतदाताओं को बाहर करने के संबंध में अब तक किसी भी राजनीतिक दल ने कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई है।
परिणामस्वरूप, उन्होंने अदालत से निर्वाचन आयोग को यह साबित करने के लिए 15 दिन का समय देने का आग्रह किया कि कोई भी मतदाता छूटा नहीं है और कहा, ‘‘हमें कुछ समय दीजिए, हम यह सुनिश्चित करेंगे कि एक भी मतदाता नहीं छूटे।’’
द्विवेदी ने कहा, ‘‘राजनीतिक दल शोर मचा रहे हैं और हालात इतने बुरे नहीं हैं। हम पर विश्वास रखें और हमें कुछ और समय दें। हम आपको दिखा देंगे कि कोई भी मतदाता नहीं छूटा है।’’
आयोग ने पीठ को बताया कि मसौदा सूची में शामिल नहीं किए गए लगभग 85,000 मतदाताओं ने अपने दावा प्रपत्र प्रस्तुत किए हैं और राज्य में एसआईआर की कवायद के तहत 2 लाख से अधिक नये वोटर मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराने के लिए आगे आए हैं।
पीठ ने कहा, ‘‘यह आश्चर्यजनक है। मतदाता व्यक्तिगत रूप से आगे आ रहे हैं। फिर ये राजनीतिक दल क्या कर रहे हैं? हम राजनीतिक दलों की निष्क्रियता पर विचार कर रहे हैं। फिर बूथ स्तर के एजेंट क्या कर रहे हैं? राजनीतिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों के बीच दूरी क्यों है? इन राजनीतिक दलों को आगे आना चाहिए और मतदाताओं को उनके फॉर्म जमा करने में सहायता करनी चाहिए।’’
द्विवेदी ने कहा कि राजनीतिक दल वास्तव में ‘‘राजनीतिक स्वार्थ के लिए मतदाताओं में भय पैदा कर रहे हैं।’’
आयोग ने बताया कि राजनीतिक दलों से किसी विशेष संख्या में एजेंट नियुक्त करने के लिए नहीं कहा गया है, ऐसा करने के लिए कोई अधिकतम सीमा नहीं है और कहा कि वे अब भी किसी भी संख्या में ये नियुक्तियां कर सकते हैं।
द्विवेदी ने पीठ से कहा कि आयोग ने सभी मतदाता पंजीकरण अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे बिना किसी जांच या मतदाताओं को सुनवाई का अवसर दिए, मसौदा सूची से किसी का भी नाम न हटाएं।
उन्होंने कहा, ‘‘हम किसी को भी बाहर नहीं करना चाहते। कोई भी व्यक्ति स्वयं कोई भी दावा या आपत्ति लेकर आगे आ सकता है।’’
शीर्ष अदालत ने एक अगस्त को प्रकाशित मसौदा सूची से बाहर किये गए मतदाताओं की आपत्तियां दर्ज कराने में मदद के लिए राजनीतिक दलों के आगे नहीं आने पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) को निर्देश दिया कि वह अदालती कार्यवाही में उन्हें पक्षकार बनाएं।
पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 8 सितंबर के लिए स्थगित करते हुए कहा, ‘‘सभी राजनीतिक दल अगली सुनवाई तक, सूची से बाहर किये गए मतदाताओं द्वारा दाखिल किये गए दावा प्रपत्र पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करें।’’
इसने मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को निर्देश दिया कि वे 1.60 लाख से अधिक पंजीकृत बीएलए को विशिष्ट निर्देश जारी करें ताकि सूची से बाहर किये गए 65 लाख मतदाताओं के दावा प्रपत्र भरने में सुविधा हो, सिवाय उन मतदाताओं के जिनकी मृत्यु हो चुकी है और जो स्वेच्छा से अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में चले गए हैं।
भाषा
सुभाष पवनेश
पवनेश
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