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Saturday, 5 October, 2024
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त्रिपुरा: दुर्गाबाड़ी मंदिर में यह देवी दुर्गा की पूजा का 148वां वर्ष

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अगरतला, पांच अक्टूबर (भाषा) त्रिपुरा के प्राचीन दुर्गाबाड़ी मंदिर में दो भुजाओं वाली देवी दुर्गा की पूजा का यह 148वां वर्ष है।

देवी दुर्गा की मूर्ति के विसर्जन के दिन देवी को त्रिपुरा राज्य राइफल्स (टीएसआर) द्वारा बंदूक की सलामी दी जाती है और सम्मान स्वरूप राष्ट्रगान की धुन बजाई जाती है।

पूजा के दौरान देवी को सब्जियों और चावल के अलावा प्रसाद के रूप में मांस, मछली और अंडे भी चढ़ाए जाते हैं।

दुर्गाबाड़ी मंदिर के मुख्य पुजारी जयंत भट्टाचार्य ने शनिवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘इस बार यह पूजा का 148वां वर्ष है, इस स्थान पर यह त्रिपुरा की सबसे पुरानी पूजा है। महाराजा कृष्ण किशोर माणिक्य बहादुर ने लगभग 500 वर्ष पहले चटगांव (बांग्लादेश) में देवी दुर्गा की पूजा शुरू की थी। वर्षों तक देवी की पूजा चटगांव से अमरपुर, गुमटी से उदयपुर तक होती रही इसके बाद यह पूजा अगरतला में स्थायी रूप से की जाती है।’’

दुर्गा पूजा का आयोजन नौ से 12 अक्टूबर तक किया जाएगा।

उन्होंने दावा किया कि यह एकमात्र पूजा है जिसमें श्रद्धालु दो भुजाओं वाली देवी दुर्गा की पूजा करते हैं।

पुजारी ने बताया, ‘‘बहुत पहले, महारानी सुलक्षणा देवी दुर्गाबाड़ी में 10 भुजाओं वाली देवी को देखकर बेहोश हो गई थीं और उन्हें वापस महल में ले जाया गया था। उसी रात उन्हें एक दिव्य संदेश मिला कि अगले साल से 10 भुजाओं वाली देवी की जगह दो भुजाओं वाली देवी की पूजा की जाए। तब से हम दुर्गाबाड़ी में दो भुजाओं वाली देवी की पूजा कर रहे हैं।’’

यहां एक प्राचीन अनुष्ठान के तहत मूर्ति को राजमहल ले जाया जाता है, जहां माणिक्य वंश के सदस्य विसर्जन यात्रा शुरू करने से पहले सम्मान प्रकट करते हैं।

भाषा यासिर शोभना

शोभना

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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