अहमदाबाद, 20 जून (भाषा) पूर्व भारतीय क्रिकेटर और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नवनिर्वाचित सांसद यूसुफ पठान ने बृहस्पतिवार को वडोदरा नगर निगम (वीएमसी) की ओर से जारी उस नोटिस के खिलाफ गुजरात उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जिसमें उन्हें निगम के स्वामित्व वाली एक जमीन पर कथित अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया गया था।
पठान ने अपनी याचिका में कहा है कि चूंकि मामला 10 साल से अधिक पुराना है और संबंधित भूखंड भी उनके कब्जे में है, इसलिए वीएमसी को उन्हें ‘‘अतिक्रमण हटाने’’ और निगम के स्वामित्व वाली जमीन छोड़ने का नोटिस देने के बजाय ‘‘कारण बताओ नोटिस’’ जारी करके एक मौका देना चाहिए था।
उन्होंने यह भी दलील दी है कि गुजरात सरकार ने 2014 में पठान को जमीन बेचने के वीएमसी के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था, जबकि राज्य सरकार जमीन की बिक्री से इनकार नहीं कर सकती, क्योंकि यह राज्य सरकार की नहीं, बल्कि नगर निगम की जमीन है।
न्यायमूर्ति संगीता विसेन की एकल पीठ ने पठान की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता यतिन ओझा की दलीलें सुनने के बाद वीएमसी के वकील से शुक्रवार को अगली सुनवाई में नगर निकाय का पक्ष रखने को कहा।
पूर्व हरफनमौला पठान वडोदरा के तदलजा इलाके में रहते हैं और विवादित भूखंड उनके घर से सटा हुआ है।
उन्होंने लोकसभा चुनाव में बहरामपुर निर्वाचन क्षेत्र (पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में) से जीत हासिल की थी। चुनाव परिणाम चार जून को घोषित किए गए थे।
ओझा ने टीएमसी सांसद के रूप में पठान के चुनाव को नोटिस से जोड़ने की कोशिश की और कहा कि वीएमसी ने 10 साल तक कुछ नहीं किया और चुनाव नतीजों के दो दिन बाद अचानक नोटिस भेज दिया।
ओझा ने कहा कि पठान को इसलिए नोटिस दिया गया क्योंकि ‘उनकी पार्टी अलग है’, लेकिन इस पर न्यायमूर्ति विसेन ने वकील से कहा कि वह मुद्दे से न भटकें और मुख्य मुद्दे पर ही टिके रहें।
मामले के विवरण के अनुसार, यह वीएमसी के स्वामित्व वाला एक आवासीय भूखंड है। वर्ष 2012 में, पठान ने वीएमसी से इस भूखंड की मांग की थी, क्योंकि उसका घर उस भूखंड से सटा हुआ था।
उन्होंने इसे बाजार दर के अनुसार खरीदने की पेशकश की थी। हालांकि, पठान को जमीन बेचने के प्रस्ताव को वीएमसी ने 2014 में मंजूरी दे दी थी, लेकिन राज्य सरकार ने अपनी मंजूरी नहीं दी, क्योंकि वही इसका अंतिम प्राधिकरण थी।
ओझा ने कहा कि हालांकि, तब से यह जमीन पठान के ही ‘कब्जे’ में है।
ओजा ने कहा कि वीएमसी ने यूसुफ पठान और उनके क्रिकेटर भाई इरफान पठान को उनके योगदान के लिए यह भूखंड देने का फैसला किया था, क्योंकि वे इस प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने के समय भारतीय टीम में थे। उन्होंने दलील दी कि वीएमसी को प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने के समय ही जमीन आवंटित कर देनी चाहिए थी।
भाषा सुरेश जोहेब
जोहेब
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.