कोलकाता, 16 मई (भाषा) तृणमूल कांग्रेस ने शुक्रवार को अपने बहुप्रतीक्षित संगठनात्मक फेरबदल की घोषणा की, जिसमें 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले भरोसेमंद पुराने नेताओं और उभरती हुई अगली पीढ़ी के नेताओं के बीच संतुलन बनाने के एक सुनियोजित प्रयास में प्रदेश में जिला स्तर के नेतृत्व में फेरबदल किया गया।
एक साल से अधिक समय से लंबित इस फेरबदल का उद्देश्य अधिक अनुशासन लागू करना, गुटबाजी पर अंकुश लगाना और अगले साल होने वाले महत्वपूर्ण विधानसभा चुनावों की तैयारी करना है, क्योंकि तृणमूल की नजर लगातार चौथी बार सत्ता में आने पर है।
सबसे महत्वपूर्ण कदम बीरभूम में उठाया गया, जहां तृणमूल ने विवादास्पद नेता अनुब्रत मंडल को जिला अध्यक्ष पद से हटा दिया, जिस पद पर वे वर्षों से निर्विरोध काबिज थे।
एक महत्वपूर्ण संरचनात्मक बदलाव के तहत पार्टी ने जिले में इस पद को पूरी तरह से समाप्त कर दिया तथा इसके स्थान पर संगठन की देखरेख के लिए पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी द्वारा चुनी गई नौ सदस्यीय कोर समिति को चुना।
मवेशी तस्करी के मामले में जमानत पर बाहर चल रहे मंडल को नई कोर कमेटी में शामिल किया गया है, लेकिन उनसे एकतरफा नियंत्रण छीन लिया गया है।
पार्टी ने 35 संगठनात्मक जिलों में से 18 में बदलाव किए हैं और कुछ में जिला प्रभारी (चेयरपर्सन) और अध्यक्ष के पदों की घोषणा अभी बाकी है।
तृणमूल के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “यह फेरबदल जितना नियंत्रण स्थापित करने के लिए है, उतना ही पार्टी को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए भी है। हम एक निर्णायक चुनाव की ओर बढ़ रहे हैं और नेतृत्व निष्ठा, अनुशासन और प्रदर्शन का मिश्रण चाहता है।”
अनेक वरिष्ठ नेताओं को हालांकि औपचारिक या परामर्शक भूमिकाओं में ही रखा गया है, लेकिन युवा, जमीनी स्तर से जुड़े नेताओं की बढ़ती उपस्थिति स्पष्ट है।
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प्रशांत माधव
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