नयी दिल्ली, 24 मई (भाषा) तृणमूल कांग्रेस के नेता साकेत गोखले ने शनिवार को जापान में भारतीय राजदूत से आग्रह किया कि वह तोक्यो स्थित अंतिम संस्कार स्थल तमा में स्वतंत्रता सेनानी रास बिहारी बोस की समाधि की ‘चिंताजनक’ स्थिति के बारे में जापानी अधिकारियों से तुरंत बात करें।
गोखले की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब भारतीय सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को बोस की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
इससे एक दिन बोस को श्रद्धांजलि देने गए तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने समाधि के रखरखाव पर चिंता जताई थी।
गोखले ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में बोस को ‘बंगाल का राष्ट्रीय नायक’ बताया और कहा कि उनकी समाधि उपेक्षित स्थिति में है, जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित भारत के कई शीर्ष नेता वहां गए हैं।
गोखले ने कहा, “कल (शुक्रवार को) अभिषेक बनर्जी श्रद्धांजलि देने के लिए जापान में उनके (बोस के) स्मारक गये थे। उनका अनुसरण करते हुए भारतीय प्रतिनिधिमंडल के कुछ सदस्यों और भारतीय राजदूत ने आज (शनिवार को) स्मारक का दौरा किया।”
उन्होंने कहा, “सबसे ज्यादा चिंता की बात है स्मारक की हालत, जिसे अभिषेक बनर्जी ने रेखांकित किया। यह जीर्ण-शीर्ण है और इसका रखरखाव भी ठीक से नहीं किया जाता है।”
गोखले ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी समेत कई गणमान्य व्यक्ति पहले भी इस स्मारक का दौरा कर चुके हैं। लेकिन दुख की बात है कि कल (शुक्रवार को) जब तक तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव ने इस पर प्रकाश नहीं डाला, तब तक किसी ने भी इसके रखरखाव का मुद्दा नहीं उठाया।”
उन्होंने कहा, “आज राजदूत के स्मारक का दौरा करने के बाद बंगाल के लोगों को उम्मीद है कि वह इस मामले को जापानी अधिकारियों के समक्ष तुरंत उठाएंगे।”
राज्यसभा सदस्य ने जोर देकर कहा कि बोस को सम्मान दिया जाना चाहिए। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में प्रमुख भूमिका निभाने वाले बोस गदर विद्रोह के मुख्य आयोजकों में से एक थे और उन्होंने जापान में भारतीय स्वतंत्रता लीग की स्थापना भी की थी।
बोस ने भारतीय राष्ट्रीय सेना के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसे आजाद हिंद फौज के नाम से भी जाना जाता है। वर्ष 1908 के अलीपुर बम मामले के मुकदमों से बचने के लिए बोस बंगाल से चले गए।
गदर विद्रोह के विफल होने के बाद पकड़े जाने से बचने के लिए बोस 1915 में जापान पहुंच थे।
भाषा जितेंद्र पवनेश
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