नयी दिल्ली, 31 अगस्त (भाषा) केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने रविवार को कहा कि पूर्वोत्तर और देश के अन्य क्षेत्रों के आदिवासियों को प्रस्तावित समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के दायरे से बाहर रखा जाएगा ताकि वे अपनी परंपरा के अनुसार ‘‘मुक्त रूप से’’ जीवन जी सकें।
संघ से संबद्ध वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा यहां आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार का रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि कुछ लोग इन दिनों सोशल मीडिया पर एक विचित्र माहौल बना रहे हैं और केंद्र के खिलाफ एक विमर्श गढ़ रहे हैं।
रीजीजू ने हालांकि किसी का भी नाम नहीं लिया।
मंत्री ने कहा, “केंद्रीय मंत्री होने के नाते मैं अपनी सरकार का रुख साझा करना चाहता हूं। हमारी सरकार और पार्टी (भाजपा) संविधान के अनुसार देश में समान नागरिक संहिता (लाने) के बारे में सोच रही है। जब फौजदारी कानून सभी के लिए समान है, तो नागरिक कानून भी (सभी के लिए समान) क्यों नहीं होना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों ने इस संबंध में काम शुरू कर दिया है।
मंत्री ने कहा, “लेकिन हमने स्पष्ट रूप से कहा है कि आदिवासियों को इससे छूट दी जाएगी। आदिवासियों को अपने तरीके से जीने की आज़ादी दी जाए। यह (समान नागरिक संहिता) अनुसूची 6, अनुसूची 5, पूर्वोत्तर और देश के अन्य आदिवासी इलाकों में लागू नहीं होगी।”
यूसीसी के मुद्दे पर वर्तमान में विधि आयोग द्वारा विचार किया जा रहा है। उत्तराखंड ने राज्य में यूसीसी लागू कर दिया है।
भगवान बिरसा मुंडा भवन में जनजातीय अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र के उद्घाटन के अवसर पर रीजीजू ने कांग्रेस पर परोक्ष रूप से हमला करते हुए कहा कि एक समय था जब ‘दिल्ली में अधिवक्ताओं के लिए कोई बड़ा संस्थान या स्थान नहीं था’।
उन्होंने कहा कि उस समय केंद्र की मंत्रिपरिषद में आदिवासी समुदायों के निर्वाचित सांसदों का प्रतिनिधित्व भी अपर्याप्त था।
रीजीजू ने उपस्थित लोगों से कहा, “अविभाजित मध्यप्रदेश के एक बहुत वरिष्ठ नेता अरविंद नेताम उस समय राज्य मंत्री थे। जब मैंने उनसे मुलाकात की और पूछा कि अनुसूचित जनजातियों के और कितने नेता केंद्र सरकार में वरिष्ठ मंत्री या राज्य मंत्री हैं, तो उन्होंने कहा कि केवल एक या दो।”
रीजीजू ने कहा, “उन्होंने (नेताम) मुझे बताया कि वे कई बार संसदीय चुनाव जीते, लेकिन उन्हें सिर्फ़ राज्य मंत्री बनाया गया। वे अपनी पीड़ा व्यक्त कर रहे थे।” केंद्रीय मंत्री ने देश में आदिवासियों के कल्याण और उत्थान के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में किए गए कार्यों की सराहना की।
उन्होंने कहा, “नरेन्द्र मोदी सरकार ने इस देश में आदिवासियों के उत्थान के लिए जो कुछ किया है, उसके बारे में पहले कभी किसी ने सोचा भी नहीं था।”
रीजीजू ने कहा कि आज मोदी सरकार में उनको (रीजीजू को) मिलाकर तीन कैबिनेट मंत्री और आदिवासी समुदाय से चार राज्य मंत्री हैं।
केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल के दौरान देश में आदिवासी आबादी के उत्थान के लिए किए गए कार्यों की सराहना की और कहा कि मोदी ने अपनी दूरदर्शिता से देश को ‘एक नई दिशा’ दी है।
उन्होंने कहा, “किसी ने कभी नहीं सोचा होगा कि आदिवासी समुदाय से आने वाली राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन होंगी।”
आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने सभा को संबोधित करते हुए आदिवासी समुदाय को अवैध धर्मांतरण और समुदाय के युवाओं को उग्रवाद की ओर गुमराह करने के किसी भी प्रयास से बचाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर विकास परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए आदिवासी आबादी को उनके क्षेत्र से विस्थापित किया जाता है, तो उनके उचित पुनर्वास की ‘गारंटी’ भी होनी चाहिए।
होसबाले ने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में विकास योजनाओं से उस क्षेत्र के लोगों को सशक्त बनाया जाना चाहिए।
भाषा जितेंद्र सुभाष
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