नई दिल्ली: महाराष्ट्र के नागपुर में हिट-एंड-रन मामलों पर नए कानून के खिलाफ ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन और ड्राइवरों ने विरोध प्रदर्शन किया. नए कानून का उल्लंघन करने वाले ड्राइवरों के लिए 7-10 साल की जेल की सजा का प्रावधान है. इस विरोध प्रदर्शन के चलते पेट्रोल पंपों पर लोगों को लंबी कतारों का सामना करना पड़ा.
इस बीच, नए हिट-एंड-रन कानून पर इसी तरह के विरोध प्रदर्शन राज्यों में आयोजित किए गए. नए कानून के विरोध में निजी बस और ट्रक चालकों ने सोमवार को मध्य प्रदेश राज्य भर में ‘चक्का जाम’ किया. धार में पीथमपुर हाईवे पर ड्राइवरों ने सड़क पर अवरोध डालकर चक्का जाम कर दिया.
ड्राइवरों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक संगठन के सदस्यों ने भोपाल की सड़कों पर बोर्ड ऑफिस चौराहे पर विरोध प्रदर्शन भी किया.
सोमवार को प्रदर्शनकारियों में शामिल एक कैब ड्राइवर ज्ञानसिंह यादव ने कहा, “मेरे जैसे लोग, जो आजीविका के लिए कैब चलाते हैं, रात में भी घर पर हो सकते हैं. लेकिन ट्रक ड्राइवर अक्सर 15 दिनों या उससे अधिक समय तक अपने प्रियजनों से नहीं मिल पाते हैं. हम किसी सरकार या कानून के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन मुझे लगता है कि कुछ संशोधन किए जाने चाहिए, खासकर ड्राइवरों के खिलाफ दंडात्मक प्रावधानों के बारे में.”
नया कानून
यादव ने सोमवार को एएनआई को बताया, “नए कानून में गलती करने वाले ड्राइवरों के लिए 10 साल की जेल की सजा का प्रावधान है. मुझे लगता है कि इसे घटाकर 1-2 साल किया जाना चाहिए.”
इसी तरह का विरोध प्रदर्शन छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में भी हुआ, जहां बस चालकों ने नए केंद्रीय कानून के खिलाफ प्रदर्शन किया.
बसों के शेड में खड़े होने से, नियमित यात्रियों और अंतरराज्यीय यात्रियों को विरोध का खामियाजा भुगतना पड़ा.
एक बस चालक ने कहा, “हम गरीब लोग हैं. हमारे वाहनों के मालिकों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए. यह कानून हमारे लिए अनुचित है और हम तब तक हड़ताल पर रहेंगे जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं हो जातीं.”
हड़ताल के कारण पूरे छत्तीसगढ़ में लगभग 1,000 बसों की आवाजाही पर असर पड़ा है.
भारतीय दंड संहिता की जगह लेने वाले भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत, जो ड्राइवर लापरवाही से गाड़ी चलाकर गंभीर सड़क दुर्घटना का कारण बनते हैं और पुलिस या प्रशासन के किसी अधिकारी को सूचित किए बिना भाग जाते हैं, उन्हें 10 साल तक की सजा या 7 लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है, पहले आईपीसी में ऐसे मामलों में दो साल की सज़ा थी.
संसद के शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार ने भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक, 2023 पारित किया.
निजी परिवहन ऑपरेटरों का दावा है कि कानून ड्राइवरों को हतोत्साहित करता है और उन्हें अन्यायपूर्ण दंड का सामना करना पड़ सकता है. उनका दावा है कि जब ड्राइवर घायलों को अस्पतालों तक ले जाने का प्रयास करते हैं तो वे भीड़ की हिंसा का शिकार हो सकते हैं.
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