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बुधवार, 30 अप्रैल, 2025
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ट्रेन नियंत्रक कम वेतनमान, रिक्त पदों के कारण तनाव का कर रहे हैं सामना : आरडीएसओ रिपोर्ट

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(जीवन प्रकाश शर्मा)

नयी दिल्ली, 25 अगस्त (भाषा) रेल मंत्रालय के तहत आने वाले अनुसंधान डिजायन एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) के एक अध्ययन में पाया गया है कि ट्रेन नियंत्रकों को कार्यस्थल पर अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिनमें कम वेतनमान, रिक्त पदों के कारण भारी तनाव और बुनियादी सुविधाओं का अभाव शामिल है।

हाल में रेलवे बोर्ड को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुभाग नियंत्रक अत्यधिक तनाव वाला काम करते हैं। विभाग में लगभग 15-20 प्रतिशत रिक्तियों के कारण उनका कार्य और भी कठिन हो जाता है।

‘अपने कर्तव्यों का प्रभावी ढंग से पालन करने में अनुभाग नियंत्रकों की चुनौतियां’ शीर्षक वाली इस रिपोर्ट का उद्देश्य ट्रेन परिचालन की दक्षता और प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए चयन प्रक्रिया, प्रशिक्षण और बुनियादी ढांचे में सुधार की संभावना तलाशना है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय रेलवे दुनिया के सबसे बड़े नेटवर्क में से एक है और प्रतिदिन हजारों ट्रेन लगभग 1,05,555 किलोमीटर लंबी पटरियों पर दौड़ती हैं। इस गतिविधि को भारतीय रेलवे नेटवर्क पर 68 संचालन केंद्रों द्वारा नियंत्रित किया जाता है, जिन्हें मंडलीय नियंत्रण कार्यालय कहा जाता है।

इसमें कहा गया है कि मंडल मुख्यालय में स्थित मंडल नियंत्रण कार्यालय रेलवे नेटवर्क के संपूर्ण संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

एक मंडल में, रेल नेटवर्क को कई स्टेशनों वाले खंडों में विभाजित किया जाता है। इन खंडों पर परिचालित ट्रेनों की अनुभाग नियंत्रकों द्वारा निगरानी की जाती है, जो चौबीसों घंटे पाली वार ड्यूटी में काम करते हैं।

आरडीएसओ टीम ने विभिन्न मंडलीय नियंत्रण कार्यालयों से आंकड़े एकत्र किये और पाया कि वहां 15 से 24 प्रतिशत तक रिक्तियां हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘कैडर में रिक्तियां अधिक रहने के कारण ड्यूटी पर मौजूद कर्मचारियों का कामकाज प्रभावित होता है। कठिन परिस्थितियों में काम की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है।’’

इसमें कहा गया है, ‘‘प्रशासन को कर्मचारियों के आराम और छुट्टी का प्रबंधन करने में भी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इसलिए, कैडर में रिक्तियों का प्राथमिकता के आधार पर विश्लेषण किया जाना चाहिए और रिक्तियों को भरने का प्रयास किया जाना चाहिए।’’

अध्ययन में कई उपाय सुझाए गए हैं जैसे कि प्रारंभिक वेतनमान को ‘ग्रेड पे’ 4,200 रुपये से बढ़ाकर ‘ग्रेड पे’ 4,600 रुपये करना, ताकि ‘फीडर’ श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए इसे अधिक आकर्षक बनाया जा सके।

रिपोर्ट में, रेलवे को उसके भर्ती बोर्ड के माध्यम से अनुभाग नियंत्रकों की सीधी भर्ती फिर से शुरू करने का भी सुझाव दिया है, जिसे 2020 में बंद कर दिया गया था।

भाषा सुभाष अविनाश

अविनाश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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