scorecardresearch
Tuesday, 18 November, 2025
होमदेशदिल्ली में जहरीली धुंध छाने से लोगों की सांस फूल रही, आंखों में जलन की समस्या

दिल्ली में जहरीली धुंध छाने से लोगों की सांस फूल रही, आंखों में जलन की समस्या

Text Size:

नयी दिल्ली, 30 अक्टूबर (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बृहस्पतिवार को धुंध की चादर छाई रही और लोगों ने आंखों में जलन और खांसी की शिकायत की, जबकि वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ स्तर के करीब पहुंच गई।

विशेषज्ञों ने प्रदूषण स्तर में वृद्धि के लिए उन मौसम संबंधी परिस्थितियों को जिम्मेदार ठहराया है जो प्रदूषकों को धरातल के पास रोके रखती हैं।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने कहा कि पूरे हफ्ते सुबह और देर शाम धुंध छाए रहने की उम्मीद है, क्योंकि पृथ्वी की सतह के पास प्रदूषक कण जमा होते जा रहे हैं।

दिल्ली में दिवाली के बाद से वायु गुणवत्ता में गिरावट देखी जा रही है। दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 373 दर्ज किया गया जो ’बहुत खराब’ श्रेणी को दर्शाता है। यह आंकड़ा दिल्ली में एक दिन पहले के एक्यूआई 279 से काफी अधिक है।

‘स्मॉग’ ने दृश्यता को काफी कम कर दिया और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने पीएम 2.5 का स्तर 184.4 और पीएम 10 का स्तर 301.9 दर्ज किया।

सीपीसीबी ने कहा कि शहर के 38 निगरानी स्टेशनों में से 37 ने 300 से ऊपर के अंक के साथ ‘बहुत खराब’ वायु गुणवत्ता दर्ज की।

विवेक विहार (426), आनंद विहार (415), अशोक विहार (414), बवाना (411), वजीरपुर (419) और सोनिया विहार (406) में ‘गंभीर’ श्रेणी की वायु गुणवत्ता देखी गई।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के नोएडा में एक्यूआई 372, गाजियाबाद में 364, ग्रेटर नोएडा में 330, गुरुग्राम में 248 और फरीदाबाद में 166 दर्ज किया गया।

सीपीसीबी वर्गीकरण के अनुसार, शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 से 100 के बीच को ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच को ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच को ‘खराब’, 301 से 400 के बीच को ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 के बीच को ‘गंभीर’ माना जाता है।

विशेषज्ञों ने कहा कि शहर पर छाया पीला धुआं स्मॉग है – जो कोहरे और प्रदूषकों का मिश्रण है तथा दृश्यता को कम करता है। यह विशेष रूप से कमजोर लोगों के लिए गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है।

आईएमडी के अनुसार, दिल्ली में पीएम 2.5 के स्तर में परिवहन क्षेत्र ने लगभग 15.9 प्रतिशत का योगदान दिया, जबकि पराली जलाने का लगभग छह प्रतिशत और निवासियों के कारण हुए उत्सर्जन का योगदान लगभग चार प्रतिशत रहा।

गाजियाबाद और नोएडा जैसे पड़ोसी शहरों ने प्रदूषण में क्रमशः 10 और छह प्रतिशत का योगदान दिया, जबकि अन्य क्षेत्रीय स्रोतों ने मिलकर 22 प्रतिशत से अधिक का योगदान दिया।

बीते 29 अक्टूबर के लिए एकत्र किए गए उपग्रह डेटा ने पंजाब के 283 और हरियाणा के 10 खेतों में आग लगने की घटनाओं को चिह्नित किया, जो दिल्ली की बिगड़ती वायु गुणवत्ता पर पराली जलाने के निरंतर प्रभाव को दर्शाता है।

मौसम एजेंसी स्काईमेट वेदर के महेश पलावत ने कहा, ‘‘न्यूनतम तापमान में गिरावट धुंध की परत बनाने में मदद करती है क्योंकि प्रदूषण निचले वायुमंडल में एकत्र हो जाता है।’’

उनके अनुसार, पूर्व दिशा से दो किमी से पांच किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाओं और आर्द्रता में वृद्धि ने बृहस्पतिवार को वायु गुणवत्ता को खराब कर दिया।

उन्होंने कहा कि मध्यम और निम्न बादलों ने आसमान को ढक लिया है, और नोएडा और फरीदाबाद में छिटपुट हल्की बारिश दर्ज की गई।

पर्यावरण संगठन एनवायरोकैटालिस्ट के संस्थापक और प्रमुख विश्लेषक सुनील दहिया ने कहा, ‘‘हवा की घटती गति और बादल छाए रहने से प्रदूषकों का फैलाव कम हो रहा है। किसी भी महत्वपूर्ण सुधार के लिए, दिल्ली-एनसीआर में बिजली, उद्योग, परिवहन, अपशिष्ट और निर्माण क्षेत्रों में उत्सर्जन स्रोतों को लक्षित करना होगा।’’

सीपीसीबी के पूर्व अतिरिक्त निदेशक और वायु प्रयोगशाला के प्रमुख दीपांकर साहा ने कहा, ‘‘इस मौसम में खराब वायु गुणवत्ता सामान्य बात है, जो हवा की कम गति और वायुमंडल की तापीय परत की ऊंचाई घट जाने के कारण वायु के ठहराव की वजह से होती है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘गंगा के मैदानी इलाकों में हवा की गति कम है… उत्सर्जन कम करने से हानिकारक प्रदूषकों में कमी आएगी।’’

दिल्ली के लिए वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली ने बताया कि शहर का ‘वेंटिलेशन इंडेक्स’ – जो प्रदूषकों के फैलने की क्षमता का एक माप है – 6,000 वर्ग मीटर प्रति सेकंड के अनुकूल स्तर से नीचे बना हुआ है।

दस किमी प्रति घंटे से कम की धीमी हवाओं और उच्च आर्द्रता ने प्रदूषकों को फैलने से रोक दिया, जिसके परिणामस्वरूप आसमान धुंधला हो गया।

सुबह 7.30 बजे, आईएमडी ने पालम में 1,000 मीटर और सफदरजंग में 800 मीटर की दृश्यता दर्ज की। दोनों ही जगहों पर हवा शांत रहने की जानकारी है।

शहर के अस्पतालों के चिकित्सकों का कहना है कि उनके पास खांसी, सांस फूलने, सीने में जकड़न और नाक बंद होने की शिकायत वाले मरीजों की संख्या बढ़ रही है।

साकेत स्थित मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के उपाध्यक्ष डॉ. विवेक नांगिया के अनुसार, बृहस्पतिवार को अस्पताल आए सभी मरीज शिकायत कर रहे थे कि दिवाली के बाद से उनके लक्षण बिगड़ गए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘एक बात जो हम साफ तौर पर देख रहे हैं- अब जो भी आ रहा है, वह कह रहा है कि जब से वायु गुणवत्ता सूचकांक का स्तर बढ़ा है, उनकी खांसी, सांस लेने में तकलीफ, सीने में जकड़न और नाक बंद होने की समस्याएं काफी बढ़ गई हैं।’’

मधुकर रेनबो चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. मेधा ने कहा, ‘‘खराब वायु गुणवत्ता के कारण कई लोग आंखों में जलन, गले में खराश और नींद में खलल की समस्या से जूझ रहे हैं।’’

दिल्ली का अधिकतम तापमान सामान्य से दो डिग्री कम 27 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि न्यूनतम तापमान 20.1 डिग्री सेल्सियस रहा, जो औसत से चार डिग्री अधिक है। दिल्ली में शाम 5.30 बजे आर्द्रता 75 प्रतिशत दर्ज की गई।

मौसम विभाग ने शुक्रवार को हल्का कोहरा छाए रहने तथा अधिकतम और न्यूनतम तापमान क्रमश: 30 और 18 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की संभावना जताई है।

भाषा संतोष अविनाश

अविनाश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments