चंडीगढ़: 2015 में बेटे की हत्या के बाद से दीपिंदर कौर न्याय पाने के लिए हर साल उस पार्क में आकर मोमबत्ती जलाती आ रही हैं, जहां सुखमनप्रीत सिंह उर्फ सिप्पी सिद्धू मृत पाया गया था. तकरीबन सात साल के बाद अब परिवार को उम्मीद है कि उन्हें इंसाफ मिल सकता है.
15 जून को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने हिमाचल प्रदेश के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश की बेटी कल्याणी सिंह को, उसके पूर्व ब्वॉयफ्रेंड सिद्धू की कथित हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार कर लिया.
इस केस से जुड़े बहुत से सवाल अभी भी अनसुलझे हैं और सीबीआई अभी तक उस हमलावर की पहचान नहीं कर पाई है, जिसने हत्या को अंजाम देने में कल्याणी की सहायता की. साथ ही वो हमले में इस्तेमाल बंदूक भी बरामद नहीं कर पाई है.
सिद्धू की मां दीपिंदर कौर ने दिप्रिंट से कहा, ‘गिरफ्तारी से हमें इंसाफ की उम्मीद बंधी है. हमारा ये संघर्ष बहुत लंबे समय से चल रहा है’.
कल्याणी के वकील सरतेज सिंह नरूला ने एक संक्षिप्त बयान जारी करके कहा कि उनकी मुवक्किल बेगुनाह है. वकील ने एक बयान में दिप्रिंट से कहा, ‘परिवार को न्यायिक प्रणाली पर भरोसा है. वो निर्दोष हैं और उन्हें फंसाया गया है. सच्चाई की जीत होगी’.
मौत के समय सिद्धू की उम्र 34 साल थी. पेशे से वकील सिद्धू एक राष्ट्रीय-स्तर का रायफल शूटर था, जो उस टीम का हिस्सा था जिसने 2001 में पंजाब में हुए राष्ट्रीय खेलों में एक स्वर्ण पदक हासिल किया था. पुलिस रिकॉर्ड्स के मुताबिक 36 वर्षीय कल्याणी चंडीगढ़ के एक कॉलेज में प्रोफेसर हैं.
सिद्धू के परिवार ने कहा कि पिछले 30 साल से उनके कल्याणी के परिवार से बहुत अच्छे रिश्ते रहे थे और शुक्रवार को मोहाली में अपने आवास पर उन्होंने दिप्रिंट के साथ पारिवारिक फोटोग्राफ्स भी साझा किए.
ये एक हाई-प्रोफाइल केस था जिसने चंडीगढ़ को हिला दिया था और काफी समय तक सुर्खियों में बना रहा था, चूंकि दोनों परिवार प्रभावशाली प्रष्ठभूमि से आते थे. कल्याणी की मां की तरह जो एक सीनियर जज हैं, सिद्धू के दादा भी पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के जज रहे थे.
‘करीबी रिश्ते’
15 जून को सीबीआई की ओर से चंडीगढ़ की एक कोर्ट में दायर रिमांड याचिका के अनुसार, जिसकी एक प्रति दिप्रिंट ने देखी है, कल्याणी के सिद्धू के साथ ‘करीबी रिश्ते’ थे और वो उससे शादी करना चाहती थी. लेकिन, सीबीआई का कहना है कि सिद्धू का परिवार शादी के खिलाफ था. एजेंसी के अनुसार बाद में सिद्धू ने कल्याणी के कुछ आपत्तिजनक फोटोग्राफ्स उसके परिवार और मित्रों के साथ शेयर कर दिए- जिससे उसे ‘शर्मिंदगी’ उठानी पड़ी थी.
सीबीआई डॉक्युमेंट में कहा गया कि इसके बाद 18 से 20 सितंबर 2015 के बीच कल्याणी ने ‘दूसरे लोगों’ के मोबाइल फोन्स से सिद्धू से संपर्क किया. 20 सितंबर को सिद्धू चंडीगढ़ के सेक्टर 27 के एक पार्क में कल्याणी से मिला, जहां से बाद में उसका गोलियों से छलनी शरीर बरामद हुआ.
शुक्रवार को दिप्रिंट ने पार्क का दौरा किया जो एक रिहायशी इलाके में स्थित है और कल्याणी के घर से 7 किमी. तथा सिद्धू के घर से 11 किमी. की दूरी पर है.
रिमांड डॉक्युमेंट में कहा गया है, ‘सबूत इस बात की पुष्टि करते हैं कि (20 सितंबर 2015 की) शाम अभियुक्त कल्याणी सिंह को सेक्टर 27 के पार्क में देखा गया था. जांच-पड़ताल में आगे ये भी पता चला है कि एक ज्ञात हमलावर और अभियुक्त कल्याणी सिंह ने बंदूक से सिप्पी सिद्धू की हत्या की’.
चंडीगढ़ पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 21 सितंबर 2015 को हत्या का एक केस दर्ज किया गया था लेकिन जनवरी 2016 में केस को सीबीआई के हवाले कर दिया गया था, क्योंकि एक महीने तक कल्याणी से कई बार पूछताछ करने के बाद भी पुलिस कोई कामयाबी हासिल नहीं कर पाई थी.
पुलिस अधिकारी ने कहा कि घटना के समय कल्याणी की मां जस्टिस सबीना पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट में जज थीं. 7 अप्रैल 2016 को उनका राजस्थान हाई कोर्ट में तबादला कर दिया गया. जस्टिस सबीना के तबादले का आदेश जारी होने के एक सप्ताह बाद सीबीआई ने एक ताज़ा एफआईआर दर्ज की थी.
सिद्धू के छोटे भाई जसमनप्रीत सिंह ने दिप्रिंट को बताया कि 20 सितंबर 2015 को सिद्धू घर से ये कहकर निकला था कि वो कल्याणी से मिलने जा रहा है. उसने कहा कि परिवार को ये समझ नहीं आ रहा कि कल्याणी के खिलाफ आरोप तय करने में इतना लंबा समय क्यों लगा.
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जांच में कई रणनीतियां अपनाई गईं
सितंबर 2016 में सीबीआई ने ऐलान किया कि इस हाई प्रोफाइल केस में सुराग देने वाले को 5 लाख रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा. एक जांच अधिकारी ने कहा कि पुरस्कार घोषणा में एक ‘गुप्त संदेश’ था कि इसमें किसी महिला की भूमिका संदिग्ध थी और अगर वो महिला एजेंसी के सामने पेश नहीं हुई, तो उसे अपराध में लिप्त समझा जाएगा. अधिकारी ने ये भी कहा कि इस तरकीब ने काम नहीं किया.
रिमांड डॉक्युमेंट में सीबीआई कहती है कि उसने कल्याणी की एक पॉलीग्राफ जांच भी की, जिसमें वो ‘भ्रामक’ और ‘संबंधित प्रश्नों से बचती हुई’ पाई गई. भारतीय कानून में पॉलीग्राफ जांच को आपराधिक मुकदमों में स्वीकार्य नहीं माना जाता.
एक जांच अधिकारी ने, जो अपनी पहचान नहीं बताना चाहते थे, कहा कि सीबीआई ने तीन लोगों की पहचान की थी, जिनके मोबाइल फोन्स से कल्याणी ने सिद्धू को फोन किए थे और उनके बयान दर्ज किए गए थे. लेकिन अधिकारी ने कहा कि जांचकर्ता अभी भी बिंदुओं को जोड़कर ये स्थापित नहीं कर पाए कि उसके बाद क्या हुआ था.
अधिकारी ने कहा कि 7 दिसंबर 2020 को सीबीआई ने चंडीगढ़ की एक कोर्ट में एक रिपोर्ट दायर की, जिसमें कहा गया था कि जांच ‘बेनतीजा’ रही थी लेकिन उसने अनुरोध किया कि जांच को आगे जारी रखने की अनुमति दी जाए.
अधिकारी का कहना था केस में मोड़ तभी आया जब पिछले डेढ़ साल में एक के बाद एक तीन चश्मदीदों ने सीबीआई से संपर्क किया और घटना के बारे में तफसील से बताया. अधिकारी ने आगे कहा कि उनकी गवाहियों की सहायता से सीबीआई सिद्धू की हत्या तथा कल्याणी की भूमिका के घटनाक्रम से जुड़ी कड़ियों को जोड़ पाई.
15 जून को अपनी रिमांड याचिका में सीबीआई ने दावा किया कि उसके पास इसकी पुष्टि के सबूत थे, कि सिद्धू की हत्या के समय कल्याणी मौका-ए-वारदात पर मौजूद थी. केंद्रीय एजेंसी ने ये भी कहा कि उसके पास सबूत थे जिनसे स्थापित होता था कि कल्याणी घटनास्थल से भागते हुए देखी जा सकती थी.
एक सूत्र के अनुसार, चश्मदीदों ने कल्याणी को भी- जिसकी पहचान उन्होंने उसकी गिरफ्तारी के बाद शनाख़्ती परेड के दौरान की- कार में बैठते हुए देखा था जो पार्क के बाहर एक रिहायशी कॉलोनी में पार्क की हुई थी.
दिप्रिंट ने फोन कॉल्स और संदेशों के ज़रिए तीन में से दो चश्मदीदों से संपर्क साधने की कोशिश की, जिन्होंने सीबीआई के सामने गवाही दी थी. एक ने जवाब नहीं दिया जबकि दूसरे ने इस मामले में टिप्पणी करने से मना कर दिया.
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