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शनिवार, 21 जून, 2025
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‘टॉयलेट क्लिनिक’: बिहार में ग्रामीण महिलाओं की स्वच्छता और सम्मान को बहाल करने की अनूठी पहल

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(उज्मी अतहर)

नयी दिल्ली, 21 जून (भाषा) बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के एक छोटे से गांव बिशनपुर बघनगरी में एक अनूठी पहल के तहत ‘‘टॉयलेट क्लिनिक’’ टूटे हुए या उपयोग में नहीं लाये जा रहे शौचालयों की मरम्मत करता है और उन्हें फिर से इस्तेमाल किये जाने लायक बनाता है।

राजमिस्त्री और सफाई कर्मी के रूप में प्रशिक्षित स्थानीय महिलाओं द्वारा संचालित यह क्लिनिक गांव में स्वच्छता और सम्मान, दोनों को बहाल कर रहा है।

बिशनपुर बघनगरी पंचायत की मुखिया बबीता कुमारी के नेतृत्व में 2024 के आरंभ में इसकी शुरूआत की गई, जब यह पाया गया कि स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण के तहत निर्मित 1,269 शौचालयों में से लगभग 190 अप्रयुक्त और कुछ मामलों में पूरी तरह से बेहाल छोड़ दिये गए थे।

यह क्लिनिक, जीविका आजीविका मिशन द्वारा समर्थित स्थानीय महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से वहनीय और मरम्मत सेवाएं प्रदान करता है।

वर्ष 2021 में मुखिया चुनी गईं बबीता ने कहा, ‘‘जब शौचालय टूट जाता है, तो लोग इस बारे में बात करने में शर्म महसूस करते हैं। लेकिन चुप्पी समस्या को और गहरा कर देती है। मैं एक ऐसी जगह चाहती थी, जहां महिलाएं समाधान का नेतृत्व कर सकें।’’

उन्होंने फोन पर ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘अगर शौचालय टूट गया तो सम्मान भी टूट जाता है। हमने सोचा, क्यूं ना इज्जत की मरम्मत भी शुरू हो?’’

जिला जल एवं स्वच्छता समिति और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) के सहयोग से तथा जीविका आजीविका मिशन के अंतर्गत महिला स्वयं सहायता समूहों के सहयोग से, क्लिनिक ने कुछ ही महीनों में 15 से अधिक शौचालयों का जीर्णोद्धार कर दिया ।

प्रशिक्षित महिलाओं द्वारा श्रम उपलब्ध कराया जाता है और उपयोग के अनुसार सामग्री का बिल दिया जाता है, जिससे यह सेवा वहनीय और सशक्तीकरण करने वाली, दोनों हो जाती है।

बबीता ने कहा, ‘‘हमें खुले में शौच मुक्त गांव होने पर गर्व था, लेकिन जब शौचालय टूट गए, तो लोगों ने फिर से (शौच के लिए) खेतों में जाना शुरू कर दिया। कोई भी इस बारे में बात नहीं करना चाहता था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘शौचालय केवल स्वच्छता के बारे में नहीं है। यह आत्म सम्मान के लिए है, खासकर महिलाओं के लिए।’’ उन्होंने कहा कि वास्तविक विकास तभी हो सकता है, जब बेटियां अपने घरों के अंदर सुरक्षित महसूस करें।

स्वच्छता के अलावा, बबीता ने पानी की कमी की समस्या का भी समाधान किया और ग्राम पंचायत की योजना में कुओं के जीर्णोद्धार को शामिल किया। सत्ताईस सूख चुके कुओं में से 17 को पौधारोपण के साथ पुनर्जीवित किया गया, जिससे भूजल पुनर्भरण में सुधार हुआ।

उनके नेतृत्व में, नल से जल का कवरेज 60 प्रतिशत से बढ़कर 95 प्रतिशत से अधिक हो गया।

अपनी पहली ग्राम सभा की बैठक में बबीता ने महिलाओं की अनुपस्थिति देखी। इसलिए, उन्होंने पुरुषों से पूछा था, ‘‘जब आपने एक महिला मुखिया को चुना है, तो अन्य महिलाएं चुप क्यों हैं?’’ उस एक सवाल ने सब कुछ बदल दिया।

वर्ष 2023 में बिशनपुर बघनगरी को मुजफ्फरपुर का पहला मॉडल पंचायत घोषित किया गया।

भाषा सुभाष दिलीप

दिलीप

सुभाष

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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