(फाइल फोटो सहित)
जयपुर, 30 जून (भाषा) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने देश के मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य पर चिंता जताते हुए सोमवार को कहा कि आज का राजनीतिक माहौल भारतीय लोकतंत्र और सामाजिक स्वास्थ्य के लिए अनुकूल नहीं है।
जयपुर के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में राजस्थान प्रगतिशील मंच द्वारा आयोजित स्नेह मिलन समारोह में धनखड़ ने कहा कि आज राजनीतिक आदान-प्रदान की तीव्रता और लहजा देश के लोकतांत्रिक और सामाजिक ताने-बाने के लिए हानिकारक है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि वह दबाव में नहीं आते और न ही किसी पर दबाव डालते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘आज की राजनीति का माहौल और तापमान न तो हमारे लोकतंत्र के लिए उपयुक्त है और न ही हमारे प्राचीन सभ्यतागत मूल्यों के अनुरूप है। राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी दुश्मन नहीं होते। सीमा पार दुश्मन हो सकते हैं, लेकिन देश के भीतर कोई दुश्मन नहीं होना चाहिए।’’
उन्होंने विधायी आचरण में अधिक शालीनता का आह्वान किया तथा आगाह किया कि सदन के अंदर जनप्रतिनिधियों के आचरण के चलते जनता में असंतोष पैदा होने से लोकतांत्रिक संस्थाओं में विश्वास खत्म हो सकता है।
उन्होंने कहा, ‘लोकतंत्र के मंदिरों में जो कुछ हो रहा है, उसे देखना चिंताजनक है। यदि इन संस्थाओं की गरिमा से समझौता किया गया, तो लोग विकल्प तलाशेंगे।’
उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि पूर्व सांसद, विधायक सार्वजनिक संवाद की गुणवत्ता सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
धनखड़ ने कहा कि संवैधानिक अधिकारियों की अक्सर आलोचना की जाती है, खासकर तब जब राज्य और केंद्र सरकारें अलग-अलग राजनीतिक दलों से संबंधित हों। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे राज्य में राज्यपाल आसानी से निशाना बन जाते हैं। उन्होंने कहा, ‘अब तो उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति को भी नहीं छोड़ा जा रहा। मेरे विचार में यह उचित नहीं है।’
धनखड़ ने कहा कि उन्होंने न तो किसी दबाव में काम किया और न ही उन पर कोई दबाव डाला गया। उन्होंने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी तटस्थ रहते हैं। धनखड़ ने कहा, ‘उन पर दबाव नहीं डाला जा सकता। मैंने उनके साथ काम किया है।’
उपराष्ट्रपति ने कहा कि विपक्ष लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, न कि कोई विरोधी। उन्होंने खुले विचार और संवाद की वकालत की।
उन्होंने कहा, ‘अभिव्यक्ति लोकतंत्र की आत्मा है। लेकिन जब अभिव्यक्ति दमनकारी, असहिष्णु या विरोधी विचारों को खारिज करने वाली हो जाती है, तो वह अपना अर्थ खो देती है। रचनात्मक बहस जरूरी है। दूसरों की बात सुनने से अपने विचारों को मजबूती मिलती है।’
राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे़ ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।
भाषा आशीष मनीषा
मनीषा
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.