नई दिल्ली: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल कुछ दिन और जम्मू-कश्मीर में रह सकते हैं. अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले के बाद से ही एनएसए राज्य में रह कर सुरक्षा व्यवस्था पर नज़र रख रहे हैं.
अजीत डोभाल देश के पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं, जिन्हें कैबिनेट रैंक का दर्जा दिया गया है. गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में 5 अगस्त को अनुच्छेद-370 को हटाने का प्रस्ताव रखा था. जिसके बाद ही एनएसए अजीत डोभाल जम्मू-कश्मीर पहुंच गए थे. आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर राज्य को दो भागों में बांटने का फैसला किया है. जम्मू-कश्मीर को विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश बनाने का फैसला लिया गया है, वहीं लद्दाख को सिर्फ केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है.
इस फैसले के बाद से ही अजीत डोभाल राज्य के सबसे संवेदनशील जगहों का दौरा कर रहे हैं और वहां के लोगों से बात कर रहे हैं. डोभाल ने दक्षिण कश्मीर के शोपियां का भी दौरा किया. जिसे सुरक्षा के लिहाज से अति-संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है.
सुरक्षा संस्थाओं से जुड़ें सूत्रों ने दिप्रिंट की टीम को बताया कि एनएसए लगातार अपने काम में लगे हुए हैं. उनके मुताबिक अजीत डोभाल राज्य की सुरक्षा व्यवस्था पर व्यक्तिगत तौर पर नज़र रख रहे हैं. सुरक्षा अधिकारियों से मिल रही जानकारियों पर डोभाल निर्भर नहीं रह रहे हैं.
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सूत्रों के मुताबिक पिछले कुछ दिनों में वो सिर्फ एक बार दिल्ली आए. कुछ घंटों के बाद ही एनएसए वापस श्रीनगर लौट गए.
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं तस्वीरें
अजीत डोभाल का कश्मीर दौरा सोशल मीडिया में काफी चर्चित हो रहा है. डोभाल की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया में खूब वायरल हुई. जिसमें वो दक्षिण कश्मीर के लोगों के साथ सड़क पर खड़े होकर खाना खा रहे थे.
सूत्रों के मुताबिक सुरक्षा से जुड़े अधिकारियों ने अजीत डोभाल का लोगों के साथ खाना खाते हुए वीडियो इस तरह बनाया. जिससे लोगों को लगे कि कश्मीर के हालात स्थिर हैं. इस वीडियो में डोभाल स्थानीय लोगों, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ के जवानों से बात कर रहे थे.
सुरक्षा व्यवस्था पर नज़र रखने के लिए पीएम से मांगी थी इजाजत
सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने प्रधानमंत्री से जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा व्यवस्था की बागडोर खुद संभालने की इज़ाजत मांगी थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने इसके लिए हामी भर दी थी.
डोभाल उन लोगों में शामिल हैं. जिन्होंने अनुच्छेद 370 पर लिए गए फैसले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इस फैसले में नरेंद्र मोदी, अमित शाह और अजीत डोभाल की अहम भूमिका थी. सोशल मीडिया पर इन तीनों लोगों को एमएसडी (मोदी-शाह-डोभाल) नाम दिया गया है.
अनुच्छेद-370 को हटाने का फैसला लेने के पीछे अजीत डोभाल को अहम माना जा रहा है. उन्हें सरकार का तीसरा स्तंभ कहा जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक नरेंद्र मोदी ने राजनीतिक तौर पर ये फैसला लिया है. अमित शाह ने इस फैसले के कानूनी पहलू पर ध्यान देकर इसे संसद से पास कराया तो वहीं एनएसए अजीत डोभाल सुरक्षा इंतज़ामों पर नज़र बनाए हुए हैं.
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सूत्र के मुताबिक प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने अपने कामों को पूरा कर लिया है. अब अपनी ज़िम्मेदारी निभाने की बारी अजीत डोभाल की है . यही कारण है कि वो लगातार ग्राउंड पर रहकर स्थिति पर नज़र रख रहे हैं और सुरक्षा अधिकारियों से लगातार संपर्क में हैं.
एक अन्य सूत्र के मुताबिक अजीत डोभाल के लिए कश्मीर के मौजूदा स्थिति से निपटना काफी आसान है. क्योंकि इस फैसले से पहले भी राज्य में राज्यपाल शासन ही लगा हुआ था. सुरक्षा एजेंसी के एक सूत्र के मुताबिक डोभाल के होने से निर्णय लेने की प्रक्रिया में काफी तेज़ी आई है. उनका कहना है कि डोभाल ने यहां आकर सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियों का जायज़ा लिया और हालात स्थिर बने रहें उसके लिए काम करना शुरु कर दिया.
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