नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने केंद्रीय सेवा में प्रतिनियुक्ति की इच्छा रखने वाले डीआईजी (उप महानिरीक्षक) रैंक के आईपीएस अधिकारियों के लिए काफी पुरानी इम्पैनलमेंट की प्रक्रिया को समाप्त कर दिया है.
गृह मंत्रालय (एमएचए) के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, इस कदम का उद्देश्य केंद्र में डीआईजी रैंक के अधिकारियों की भारी कमी को कम से कम समय में पूरा करना है.
10 फरवरी को जारी सरकारी आदेश के मुताबिक, गृह मंत्रालय ने डीआईजी रैंक के अधिकारियों के लिए इम्पैनलमेंट की प्रक्रिया- जिसके तहत राज्यों से केंद्र में सेवा के लिए अधिकारियों का चयन किया जाता है – को खत्म करने का प्रस्ताव रखा गया था. पिछले हफ्ते नियुक्ति कमिटी ने इसे स्वीकार कर लिया.
आदेश के अनुसार, गृह मंत्रालय साल 2020 से इसका प्रस्ताव रख रहा है और कमेटी को इस बारे में दो बार लिखा है. एक बार दिसंबर 2020 में और बाद में अप्रैल 2021 में.
इस मामले पर काम कर चुके गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि केंद्र सरकार में डीआईजी रैंक के 47 फीसदी अधिकारियों की कमी है. इस तरह के आदेश के पीछे अधिकारियों की भारी कमी का होना है.
सरकारी आदेश (एक कॉपी दिप्रिंट के पास है) में कहा गया है कि, ‘कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने तत्काल प्रभाव से डीआईजी स्तर पर इम्पैनलमेंट की प्रक्रिया और मौजूदा आईपीएस कार्यकाल नीति से संबंधित निर्धारित संशोधनों को पूरा करने के लिए गृह मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.’
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आईपीएस अधिकारियों की भारी कमी
वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि केंद्रीय प्रतिनियुक्ति रिजर्व (सीडीआर) में संख्या के कारण ऐसा आदेश दिया गया है.
प्रत्येक राज्य काडर का सीडीआर उन अधिकारियों की संख्या को निर्धारित करता है जिन्हें केंद्र सरकार की प्रतिनियुक्ति पर भेजा जा सकता है.
गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर रिक्त पदों की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार के पास डीआईजी रैंक वाले अधिकारियों के लिए 252 स्वीकृत पद हैं, जिनमें से 118 खाली हैं. केंद्र में एसपी (पुलिस अधीक्षक) रैंक के अधिकारियों के लिए स्वीकृत संख्या 203 है, जिनमें से 104 पद खाली हैं. वैकेंसी रिपोर्ट को आखिरी बार 20 दिसंबर, 2021 को अपडेट किया गया था.
नाम न छापने की शर्त पर एक महानिदेशक (पुलिस महानिदेशक) रैंक के आईपीएस अधिकारी ने कहा, ‘काडर की कमी और राज्यों द्वारा सीडीआर भरने के लिए केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर पर्याप्त संख्या में आईएएस अधिकारियों को न भेजे जाने की वजह से सरकार को आईएएस (कैडर) नियम, 1954 में संशोधन प्रस्ताव लाना पड़ा.
अधिकारी ने कहा, ‘डीआईजी रैंक के अधिकारियों के लिए इम्पैनलमेंट की प्रक्रिया को खत्म करने का यह विचार सिस्टम को चलाने के लिए प्रतिनियुक्ति पर अधिक अधिकारियों को लाने के सरकार के प्रयासों का एक हिस्सा हो सकता है.’
अधिकारी ने कहा कि हालांकि, केंद्र ने आईजी (महानिरीक्षक) और जेएस (संयुक्त सचिव) रैंक वाले अधिकारियों के लिए ‘बोझिल’ दो-चरणीय पैनल प्रक्रिया को अभी तक समाप्त नहीं किया है, जिसमें एक वर्ष से अधिक समय लगता है.
आगे उन्होंने कहा, ‘दो अलग-अलग समितियां हैं, एक गृह मंत्रालय द्वारा नियंत्रित है और दूसरी डीओपीटी (कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग) द्वारा नियंत्रित है. इन दो समितियों का विलय किया जा सकता है और प्रक्रिया की अवधि को कम किया जा सकता है.’
आईपीएस एसोसिएशन के सचिव अश्विनी चंद ने दिप्रिंट से बात करते हुए कहा, ‘हम गृह मंत्रालय के इस कदम का स्वागत करते हैं. यह एक प्रगतिशील फैसला है. यह लंबे समय से लंबित था.’
चंद ने कहा, ‘इसी तर्ज पर, सरकार को आईजी और जेएस स्तर के लिए आईपीएस अधिकारियों के लिए भी इम्पैनलमेंट की भी दो-चरणीय इम्पैनलमेंट की प्रक्रिया को बंद कर देना चाहिए, हालांकि दोनों लेवल 14 (वरिष्ठता को इंगित करने वाली एक ग्रेडिंग प्रणाली) के हैं. साथ ही आईजी रैंक के अधिकारियों को केंद्र में आईजी और जेएस दोनों के रूप में नियत तारीख पर एक ही क्रम में सूचीबद्ध किया जाना चाहिए.
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