scorecardresearch
Monday, 23 December, 2024
होमडिफेंसआतंक से निपटने के लिए अमरीका भारत के साथ, दुनियाभर से जुट रहा है समर्थन

आतंक से निपटने के लिए अमरीका भारत के साथ, दुनियाभर से जुट रहा है समर्थन

भारत की कोशिश है कि पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में अलग थलग करे और फिर पुलवामा हमले की कोई रणनीति सभी राजनीतिक दलों को साथ रख कर बनाई जाए.

Text Size:

नई दिल्ली: अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने भारत के सीमा पार से हो रहे आतंकवाद से निपटने के लिए अपनी रक्षा के लिए ठोस कदम उठाने के हक में समर्थन दिया है. भारत के विदेश मंत्रालय के अनुसार उन्होंने कहा कि इस हमले के लिए ज़िम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई में अमरीका का भारत को पूरा समर्थन है.

अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने अपने भारतीय समकक्ष अजीत डोभाल से शुक्रवार शाम फोन पर बात की और पुलवामा में हुए आतंकी हमले पर शोक व्यक्त किया और इस वीभत्स हमले पर गुस्सा ज़ाहिर किया. पुलवामा में हुए फिदायीन हमले की ज़िम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश ए मोहम्मद ने ली है.

अजीत डोभाल ने अमरीका के समर्थन की सराहना की. दोनों राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने कहा कि दोनो देश साथ मिलकर काम करेंगे ताकि पाकिस्तान जैश ए मोहम्मद समेत अन्य आतंकी गुटों को अपने देश में सुरक्षित स्थान न दे सके. ये आतंकी संगठन भारत समेत क्षेत्र के अन्य देशों और अमरीका को निशाना बना रहे हैं.

इसके साथ ही दोनों ने कहा कि पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के पालन के लिए बाध्य करेंगे. इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 1267 समिति प्रक्रिया के प्रस्ताव के तहत जैश ए मोहम्मद और मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने की राह में आ रही अड़चनों को दूर करेंगे.

शुक्रवार को पेरिस में भारत और फ्रांस के बीच ‘ज्वाइंट वर्किंग ग्रुप ऑफ काउंटर टेरोरिज़्म’ की बैठक हुई. फ्रांस ने पुलवामा हमले की कड़े शब्दों में निंदा की . साथ ही उसने भारत का आह्वान किया कि वो सीमा पार से हो रहे आतंकवादी नेटवर्क और उनका वित्त पोषण कर रहे चैनलों को खत्म करने का काम करें.

इस बीच भारत के विदेश मंत्रालय के उच्च अधिकारियों ने दुनिया भर के कई देशों से संपर्क साधा है ताकि पाकिस्तान को आतंकवादी संगठनों को शरण न देने के लिए दबाव बनाया जा सके और आतंकवाद से निपटने के लिए व्यापक वैश्विक समर्थन प्राप्त किया जा सके. पाकिस्तान में भारत के उच्चायुतक्त अजय बिसारिया भी भारत बुलाए गए हैं ताकि दोनों देशों के बीच राजनयिक रिश्तों पर चर्चा की जा सके.

चीन अब भी जैश पर अपने रुख पर कायम है और पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कुछ भी बोलने से कतरा ही नहीं रहा पर पाकिस्तान की आर्थिक और राजनयिक मदद कर उसके हाथ मज़बूत कर रहा है. पाकिस्तान से निपटने के अलावा समय आ गया है कि भारत चीन से अपने संबंधों पर भी बहस करे और अपने रुख को कड़ा करे. भारत की नजर साथ ही सउदी अरब के रुख पर भी रहेगी जहां के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान पाकिस्तान और भारत के दौरे पर आने वाले हैं.

दर्जनों देशों ने भारत के खिलाफ हुए इस हमले की आलोचना की है और जैश जैसे संगठनों के खिलाफ लड़ने का समर्थन भी किया है. हालांकि, पाकिस्तान के विदेश सचिव ने इस हमले से उनके देश का संबंध होने से इनकार कर दिया है. जबकि पाकिस्तान स्थित जैश ए मौहम्मद ने खुद इस हमले की ज़िम्मेदारी ली है.

भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘जैश ने हमले की ज़िम्मेदारी ली है. इस संगठन और इसका नेतृत्व पाकिस्तान स्थित है . लश्कर और अन्य आतंकी संगठनों ने हमले का स्वागत किया है. ये संगठन भी पाकिस्तान में स्थित है. पाकिस्तान नहीं कह सकता कि उसे इन संगठनों और इनकी गतिविधियों के बारे में नहीं पता. अंतर्राष्ट्रीय मांगों के बावजूद पाकिस्तान ने इन संगठनों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया है, खासकर के वो संगठन जिनपर संयुक्त राष्ट्र और दूसरे देशों ने प्रतिबंध लगाया था. पाकिस्तान के संपर्क साफ है और सभी के सामने है. उसके खुद के मंत्रियों ने संयुक्त राष्ट्र के चिन्हित आतंकियों के साथ मंच साझा किया है. ‘

जांच की मांग करना बचकाना है जब आत्मघाती हमलावर का वीडियो सामने हैं जिसमें वो स्वयं को जैश का आतंकवादी बता रहा है.

भारत की कोशिश है कि पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में अलग थलग करे और फिर पुलवामा हमले की कोई रणनीति सभी राजनीतिक दलों को साथ रख कर बनाई जाए.

share & View comments