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Sunday, 29 September, 2024
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बोचहा से भाजपा प्रत्याशी उतारने को सहनी ने निषाद समाज के हक़ की लड़ाई में ख़लल का प्रयास बताया

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पटना, 19 मार्च (भाषा) बिहार की राजग सरकार में मंत्री मुकेश सहनी ने बिहार विधानसभा उपचुनाव के लिए गठबंधन के घटक दल भाजपा द्वारा बोचहा सीट से उम्मीदवार उतारने को निषाद समाज के हक़ की उनकी लड़ाई में ख़लल डालने का प्रयास बताया।

बोचहा से भाजपा उम्मीदवार की घोषणा के बाद सहनी ने फेसबुक पर एक पोस्ट में लिखा है, ‘‘होली के शुभ अवसर पर सहयोगी दल द्वारा दिए गए तोहफ़े के लिए धन्यवाद। उनका यह निर्णय दर्शाता है की हम निषाद समाज एवं पूरे अतिपिछड़े समाज के हक़ एवं अधिकार की लड़ाई को सही दिशा में लड़ रहे हैं। यह हक़ और अधिकार के लड़ाई में ख़लल डालने का प्रयास है। हमारा संघर्ष जारी रहेगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘निषाद समाज को एससी-एसटी का आरक्षण एवं अतिपिछड़ा के आरक्षण को 15 प्रतिशत बढ़वाने के लिए आख़िरी साँस तक लड़ेंगे। जितना बड़ा संघर्ष होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी।’’

विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के संस्थापक सहनी को उनके पूर्व संरक्षक भाजपा ने खारिज करते हुए शुक्रवार को बोचहा सीट से पार्टी की राज्य इकाई के महासचिव के उम्मीदवारी की घोषणा कर दी।

हालांकि अपने पोस्ट में सहनी ने किसी का नाम लिया है, लेकिन राज्य की राजनीति से इत्तेफाक रखने वालों का कहना है कि सहनी की नाराजगी बोचहा से भाजपा द्वारा बेबी कुमारी की उम्मीदवारी घोषणा को लेकर है, जो वीआईपी विधायक मुसाफिर पासवान के निधन से खाली हुआ है।

बॉलीवुड सेट डिजाइनर के पेशे से राजनीति में आए सहनी अपने लिए ‘‘सन ऑफ मल्लाह’’ उपनाम का उपयोग करते हैं। उन्होंने नवंबर 2018 में अपनी पार्टी बनाई और बिहार विधानसभा चुनाव, 2020 भाजपा के संरक्षण में लड़ा था। इसमें उनकी पार्टी को चार सीटें मिलीं लेकिन सहनी हारने के बावजूद भाजपा की सिफारिश पर नीतीश कुमार की सरकार में कैबिनेट मंत्री बने। बाद में वह बिहार विधान परिषद के लिए राजग के उम्मीदवार के तौर पर निर्वाचित हुए।

सहनी ने उत्तरप्रदेश में हाल में संपन्न विधानसभा चुनाव में 50 से अधिक सीटों पर अपनी पार्टी के उम्मीदवारों को उतारा था, लेकिन सफलता नहीं मिली।

बिहार में राजग में शामिल सहनी के उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ पर लगातार हमलों ने भाजपा के लिए असहज स्थिति उत्पन्न कर दी थी और उक्त चुनाव का परिणाम आने के बाद बिहार में भाजपा के विधायक हरिभूषण ठाकुर बचोल ने मंत्री सहनी के बारे में कहा था कि उन्हें नैतिक आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए।

उत्तरप्रदेश चुनाव में भाजपा के खिलाफ जाना सहनी को भारी पड़ा है। पार्टी ने उन्हें बिहार विधान परिषद चुनाव में भी कोई हिस्सेदारी नहीं दी है।

भाजपा के सूत्रों ने सहनी का अब खेल खत्म होने यदि वह अपने तरीके नहीं बदलते, का दावा करते हुए रेखांकित करते हैं कि एमएलसी के रूप में सहनी का कार्यकाल जुलाई में समाप्त हो रहा है और मंत्री के रूप में बने रहने के लिए फिर से चुनाव की आवश्यकता होगी जिसे वह उनकी पार्टी के समर्थन के बिना हासिल नहीं कर सकते।

भाषा अनवर अर्पणा

अर्पणा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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