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Saturday, 16 November, 2024
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आम खाने के लिए इस बार जेब ज्यादा ढीली करनी होगी

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(मुहम्मद मजहर सलीम)

लखनऊ, 29 मई (भाषा) लखनवी दशहरी और अन्य किस्म के आम के शौकीन लोगों के लिए परेशान करने वाली खबर है। इस बार उत्तर प्रदेश की आम पट्टी में उपयुक्त मौसम नहीं होने की वजह से ‘फलों के राजा’ का उत्पादन तकरीबन 70 फीसद घट गया है, नतीजतन इस दफा आम खाने के लिए जेब पहले से कहीं ज्यादा ढीली करनी पड़ेगी।

इस बार आम के बौर (फूल) आने के समय यानी फरवरी और मार्च में अप्रत्याशित गर्मी पड़ने की वजह से बौर का सही विकास नहीं हो पाया। नतीजतन इस बार आम के उत्पादन में भारी गिरावट आने की संभावना है।

मैंगो ग्रोवर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष इंसराम अली ने रविवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि उत्तर प्रदेश में हर साल आम का उत्पादन 35 से 45 लाख मीट्रिक टन तक होता था लेकिन इस बार 10-12 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा के उत्पादन की उम्मीद नहीं है। लिहाजा इस बार बाजार में आम काफी ऊंचे दाम पर बिकेगा और आम खाने के लिए लोगों को ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे।

उन्होंने बताया कि हर साल फरवरी और मार्च के महीने में आम के पेड़ों पर बौर लगते हैं जिन्हें विकसित होने के लिए 30 से 35 डिग्री सेल्सियस अधिकतम तापमान की जरूरत होती है, लेकिन इस बार मार्च में ही तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया जिसकी वजह से आम के फूल झुलस गए और फसल को भारी नुकसान हुआ।

लखनऊ का मलीहाबाद आम उत्पादन का एक प्रमुख केंद्र है और यहां का दशहरी आम अपने जायके के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। मगर इस बार यहां के किसान मौसम की मार के कारण उत्पन्न स्थितियों से हलकान हैं।

मलीहाबाद के आम उत्पादक मोहम्मद नसीम का कहना है कि उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी में आम की फसल की इतनी दुर्दशा पहले कभी नहीं देखी। कुदरत की मार के चलते आम की फसल बर्बाद होने से उत्तर प्रदेश की आम पट्टी के हजारों आम उत्पादक किसानों को करारा झटका लगा है।

मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक बीता मार्च पिछले 122 वर्षों में सबसे गर्म मार्च का महीना रहा। इसके अलावा अप्रैल का महीना भी पिछले 50 वर्षों के सबसे गर्म अप्रैल माह के तौर पर दर्ज किया गया।

इंसराम अली ने कहा कि उत्तर प्रदेश का आम हर साल सऊदी अरब, अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी समेत अनेक देशों में निर्यात होता रहा है लेकिन इस बार निर्यात तो दूर घरेलू खपत ही पूरी नहीं हो पाएगी। इससे आम के निर्यातकों का धंधा बिल्कुल चौपट हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि यह आम निर्यातकों के लिए दोहरा झटका है क्योंकि कोविड-19 महामारी के दौरान अंतरराष्ट्रीय परिवहन बंद होने के कारण लगभग दो साल तक आम का निर्यात नहीं हो पाया था। अब महामारी का प्रकोप कम होने के मद्देनजर निर्यातकों को उम्मीद थी कि इस बार वे आम का निर्यात कर अच्छा मुनाफा कमाएंगे लेकिन फसल की बर्बादी ने उनकी उम्मीदों पर कुठाराघात किया है।

गौरतलब है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा आम उत्पादक देश है। यहां विश्व के कुल उत्पादन का लगभग 50% आम पैदा किया जाता है। भारत में आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, बिहार और गुजरात समेत कई राज्यों में आम का उत्पादन किया जाता है, मगर लखनवी दशहरी की बाजार में विशेष मांग रहती है।

भाषा सलीम वैभव

वैभव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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