कोलकाता, 11 फरवरी (भाषा) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) राज्य में 2026 के विधानसभा चुनाव में दो तिहाई बहुमत हासिल करके राज्य में सत्ता बरकरार रखेगी। यह टीएमसी के मुखपत्र से मिली।
साथ ही बनर्जी ने विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के साथ किसी प्रकार के गठबंधन की संभावना से भी इनकार किया है।
टीएमसी के मुखपत्र ‘जागो बांग्ला’ की खबर के मुताबिक बनर्जी ने ये टिप्पणी सोमवार को टीएमसी विधायक दल की बैठक के दौरान की।
‘जागो बांग्ला’ की खबर के अनुसार बनर्जी ने पार्टी के विधायकों से कहा, ‘‘तृणमूल 2026 में दो तिहाई बहुमत के साथ सत्ता में वापस आएगी। हमें किसी की मदद की जरूरत नहीं है। हम अकेले लड़ेंगे और अकेले जीतेंगे।’’
‘जागो बांग्ला’ की खबर के अनुसार बनर्जी ने विश्वास जताया कि टीएमसी लगातार चौथी बार सरकार बनाएगी और कहा कि राज्य विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी की तैयारी शुरू हो जानी चाहिए।
बनर्जी की टिप्पणी पर कांग्रेस की पश्चिम बंगाल इकाई की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया आई है। कांग्रेस ने कहा कि इस तरह की ‘‘अनावश्यक टिप्पणियां’’ कई दलों में घबराहट का परिणाम हैं, जो ऐसा प्रतीत होता है कि दिल्ली विधानसभा चुनावों के बाद कांग्रेस को नजरअंदाज करने की गलती समझ गए हैं।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में पाया गया कि आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस के बीच मतों के विभाजन के कारण कई सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत हुई।
हाल ही में दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों के मद्देनजर, जिसमें आम आदमी पार्टी (आप) को हार का सामना करना पड़ा, भाजपा ने इसकी तुलना पश्चिम बंगाल के साथ करते हुए दावा किया है कि हो सकता है कि बनर्जी की कल्याणकारी योजनाएं चुनावी लाभ में तब्दील नहीं हों।
विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी और भाजपा की प्रदेश इकाई के प्रमुख सुकांत मजूमदार सहित भाजपा नेताओं ने आप की हार का जिक्र करते हुए दावा किया है कि दिल्ली की तरह बंगाल के लोग भी सत्तारूढ़ पार्टी की ‘मुफ्त योजनाओं’ को खारिज कर देंगे।
‘जागो बांग्ला’ ने बनर्जी के हवाले से कहा, ‘‘विपक्ष के दावे हमें डिगा नहीं पाएंगे। हमारी योजनाओं से लोगों को लाभ हुआ है और वे फिर से हमारे साथ खड़े होंगे।’’
पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के अगले कदम को लेकर अटकलों के बीच टीएमसी का अकेले चुनाव लड़ने का फैसला भी काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
अधीर रंजन चौधरी को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाए जाने और शुभंकर सरकार की नियुक्ति के बाद, जिन्हें टीएमसी के प्रति नरम माना जाता है, राजनीतिक हलकों में कांग्रेस-टीएमसी के बीच संभावित तालमेल की चर्चाएं तेज हो गई हैं।
हालांकि, ‘जागो बांग्ला’ ने बनर्जी के हवाले से कहा, ‘‘गठबंधन का कोई सवाल ही नहीं है। तृणमूल अकेले लड़ेगी और ऐतिहासिक जीत हासिल करेगी। कांग्रेस की बंगाल में कोई मौजूदगी नहीं है। हमें बंगाल में कांग्रेस के साथ किसी गठबंधन की जरूरत नहीं है।’
दिल्ली चुनाव में आप की हार का जिक्र करते हुए बनर्जी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के लिए उनके बीच तालमेल की कमी को जिम्मेदार ठहराया है। उनके अनुसार, उनकी हार इसलिए हुई क्योंकि कोई संयुक्त मोर्चा नहीं था, जिसका फायदा भाजपा को हुआ। बैठक के दौरान बनर्जी ने कहा कि आप और कांग्रेस दोनों राष्ट्रीय राजधानी में तालमेल बिठाने में विफल रहे, जैसा कि पिछले साल हरियाणा में राज्य चुनाव के दौरान हुआ था।
बनर्जी की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष शुभंकर सरकार ने सवाल किया कि अगर उनकी पार्टी कोई मायने नहीं रखती तो क्षेत्रीय दल कांग्रेस को लेकर इतने परेशान क्यों हैं?
उन्होंने कहा, ‘‘दरअसल, दिल्ली चुनाव के नतीजों के बाद कई क्षेत्रीय दलों को एहसास हो गया है कि उस चुनाव में कांग्रेस को नज़रअंदाज़ करना एक गलती थी। आप जैसी पार्टियों और उसके जैसी सोच रखने वालों की समस्या यह है कि वे भाजपा की बी-टीम से ज़्यादा कुछ नहीं हैं। लगता है कि टीएमसी यह भूल गई है कि वह कांग्रेस थी जिसने टीएमसी की 2011 में वाम मोर्चे को हराकर सत्ता में आने में मदद की थी।’
हालांकि, पश्चिम बंगाल भाजपा ने बनर्जी की टिप्पणी और उस पर कांग्रेस की प्रतिक्रियाओं को ज्यादा तवज्जो नहीं दी। भाजपा नेता राहुल सिन्हा ने कहा, ‘चाहे टीएमसी अकेले लड़े या कांग्रेस के साथ गठबंधन में, परिणाम एक ही होगा। टीएमसी को भाजपा से हार मिलने वाली है। राज्य के लोग टीएमसी शासन की भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद की राजनीति से छुटकारा पाना चाहते हैं।’
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव अगले साल अप्रैल-मई में होने की संभावना है।
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