लखनऊ: उत्तर प्रदेश जेल विभाग ने गुरुवार को कहा कि वह तिहाड़ जेल प्रशासन को अपराधियों को फांसी देने के लिये दो जल्लाद उपलब्ध कराने को तैयार है.
अपर पुलिस महानिदेशक (जेल) आनंद कुमार ने गुरुवार को यहां संवाददाताओं से कहा कि तिहाड़ जेल ने पत्र के माध्यम से प्रदेश में जल्लादों की उपलब्धता पर सूचना मांगी थी. हमने उन्हें बता दिया है कि हमारे पास फांसी देने के लिए अधिकृत दो जल्लाद उपलब्ध हैं. तिहाड़ जेल को जब भी आवश्यकता होगी, उन्हें दोनों उपलब्ध करा दिए जाएंगे.
जेल विभाग को तिहाड़ जेल से नौ दिसंबर को फैक्स से एक पत्र मिला था. उसमें उत्तर प्रदेश के दो जल्लादों के बारे में जानकारी मांगी गयी थी. हालांकि पत्र में यह नहीं लिखा था तिहाड़ जेल किसे फांसी देने के लिए इन जल्लादों को मांग रहा है.
ऐसी अटकलें लगायी जा रही हैं कि यह जल्लाद निर्भया सामूहिक बलात्कार के दोषियों को फांसी सजा देने के लिये मांगे जा रहे हैं लेकिन आधिकारिक स्तर पर इसकी पुष्टि नहीं हुई है. 2012 निर्भया बलात्कार कांड के चार आरोपी पवन गुप्ता, अक्षय ठाकुर, मुकेश सिंह और विजय ठाकुर पहले से ही तिहाड़ जेल में बंद है.
एडीजी जेल आनन्द कुमार के अनुसार उप्र में लखनऊ व मेरठ जेल में दो जल्लाद हैं. तिहाड़ जेल प्रशासन की ओर से जब कोई तिथि निर्धारित की जाएगी, तब उन्हें जल्लाद उपलब्ध करा दिए जाएंगे. तिहाड़ जेल प्रशासन को लखनऊ व मेरठ जेल में दो जल्लाद उपलब्ध होने की सूचना दे दी गई है.
जल्लाद 5’6″ लंबा होना चाहिए
एक अन्य दोषी राम सिंह ने जेल में ही आत्महत्या कर ली थी. वहीं एक आरोपी जो कि नाबालिग था उसे सुधारगृह के बाद छोड़ दिया गया है.
तिहाड़ जेल में आखिरी बार अफजल गुरु को 3 फरवरी 2013 को फांसी दी गई थी.
जल्लाद 5’6″ लंबा होना चाहिए और सरकारी मान्यता प्राप्त होना चाहिए. तिहाड़ ने उत्तर प्रदेश के जेल विभाग को और दो दक्षिणी राज्य को जल्लाद मुहैया कराने के लिए पत्र लिखा है.
तिहाड़ के एक अधिकारी ने कहा, ‘जल्लाद की सीघ्र आवश्यकता है, इसलिए हमने यूपी प्रशासन को लिखा है.’
जेल मैन्यूअल के अनुसार जल्लाद को 5’6″ लंबा होना चाहिए और उसका वज़न 70-80 किलो के बीच होना चाहिए और वो मज़बूत होना चाहिए.
ब्लैक वारंट की प्रक्रिया
ब्लैक वारंट (डेथ वारंट) की प्रक्रिया तब शुरू होती है जब दया याचिका की सारी कोशिशों खारिज हो जाती है.
2012 में हुए गैंगरेप मामले में विनय की दया याचिका राष्ट्रपति के पास अभी भी विचाराधीन है जबकि अक्षय की याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.
अगर ये दोनो याचिकाएं रद्द हो जाती हैं तो ब्लैक वारंट निकालने का रास्ता साफ हो जाएगा.
2014 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार ब्लैक वारंट जारी होने और फांसी देने की तिथि के बीच 14 दिनों का अंतर होना चाहिए. जिससे वकील और परिवार दोषी से मिल पाएं.
रस्सी
एक सूत्र ने बताया कि चारों दोषियों की लंबाई और वज़न बिहार के बक्सर जेल भेज दी गई है और रस्सी के लिए ऑर्डर दे दिया गया है. बक्सर जेल में बंद कैदियों को मनीला रस्सी बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है.
अफजल गुरू के मामले में रस्सी सात साल पहले ही मंगवा ली गई थी और उसे सुरक्षित रखा गया था.
तिहाड़ जेल में तैनात एक अधिकारी के अनुसार, ‘रस्सी की लंबाई दोषी की ऊंचाई से 1.6 गुना अधिक है, और इसकी मोटाई दोषी के वजन के आनुपातिक है.’
रस्सी के निर्माण के बाद, पका हुआ केला, मक्खन या मोम तीन दिनों के लिए उस पर लगाया जाता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि फिसलन नहीं हो रही है.
एक अधिकारी ने बताया, ‘हमें रस्सियां मिल गई हैं. लकड़ी की तख्ती और रस्सियों की जांच के लिए पहले से ही एक मॉक हैंगिंग किया गया है. हालांकि, फांसी की तारीख अदालत द्वारा तय नहीं की गई है. जारी किए गए काले वारंट में इसका उल्लेख किया जाएगा.’
(समाचार एजेंसी भाषा और अनन्या भारद्वाज के इनपुट के साथ)