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मंगलवार, 29 अप्रैल, 2025
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राजस्थान में बाघों का कुनबा बढ़ा, तीन दिन में जन्में दस शावक

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जयपुर, 29 अप्रैल (भाषा) राजस्थान के वन्यजीव अभयारण्यों में बीते तीन दिन में बाघिनों ने दस शावकों को जन्म दिया है।

राज्य के वन मंत्री संजय शर्मा ने मंगलवार को बताया कि बीते 72 घंटे के दौरान सरिस्का बाघ अभयारण्य (अलवर) में तीन, रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान (सवाई माधोपुर) में दो और नाहरगढ़ जैविक उद्यान (जयपुर) में पांच शावकों का जन्म हुआ। उन्होंने बताया कि इन नवजात शावकों के साथ सरिस्का में बाघों की संख्या अब 44 हो गई है, जो अब तक की सबसे अधिक है।

वहीं रणथंभौर में बाघों की संख्या 72 हो गई है।

मंत्री ने बताया कि इसे राज्य में वन्यजीव संरक्षण और बाघ संरक्षण की दिशा में जारी प्रयासों में महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है।

उन्होंने बताया कि राज्य में पिछले वर्ष कुल 25 शावक जन्में थे जबकि इस वर्ष अब तक 10 शावक जन्म ले चुके हैं।

मंत्री ने बताया कि सरिस्का बाघ अभयारण्य में बाघिन (एसटी-30) को उसके तीन शावकों के साथ देखा जाना एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।

उन्होंने बताया कि शावक स्वस्थ और सक्रिय दिखाई दे रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि बाघिन (एसटी-30) को 2023 में रणथंभौर से स्थानांतरित किया गया था और अलवर जिले के सरिस्का में टहला रेंज के भगानी वन क्षेत्र में छोड़ा गया था।

उन्होंने बताया कि एसटी-30 के मां बनने को सरिस्का में बाघों के रहने के हालात में सुधार और प्रभावी वन्यजीव प्रबंधन के सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “बाघिन (एसटी-30) को उसके शावकों के साथ देखा जाना संरक्षण प्रयासों के लिए ऐतिहासिक क्षण है।”

अधिकारियों ने बाघिन और उसके शावकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कैमरा ट्रैप और ग्राउंड गश्त के जरिए निगरानी बढ़ा दी है।

वहीं, सोमवार को सवाईमाधोपुर जिले के रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान में दो शावक देखे गए और रविवार को जयपुर के नाहरगढ़ जैविक उद्यान में बाघिन रानी ने पांच शावकों को जन्म दिया।

अधिकारियों ने बताया कि बाघिन रानी को 2021 में पशु अदला-बदली कार्यक्रम के तहत ओडिशा के नंदन कानन जूलॉजिकल पार्क से नाहरगढ़ लाया गया था और प्रसव पशु चिकित्सा की कड़ी निगरानी में हुआ।

मंत्री शर्मा ने वन अधिकारियों को संरक्षण कदमों को मजबूत बनाने, वन्य जीव क्षेत्रों की रक्षा करने और राष्ट्रीय पशु के संरक्षण में स्थानीय समुदायों को शामिल करने का निर्देश दिया है।

भाषा पृथ्वी जितेंद्र

जितेंद्र

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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