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बुधवार, 21 मई, 2025
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‘स्वयंपूर्ण गोवा योजना’ के जरिए गोवा की महिलाएं गढ़ रही हैं अपना सुरक्षित भविष्य

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(अतिरिक्त सामग्री के साथ रिपीट)

सुरला (गोवा), 25 जुलाई (भाषा) गोवा में 2012 में खनन पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद सुरना गांव की महिलाओं को सबसे पहले रोजी रोटी के संकट का सामना करना पड़ा। मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के विधानसभा क्षेत्र सांकेलिम के तहत आने वाले इस गांव के लोग रातोंरात बेरोजगार हो गए।

लौह अयस्क खदानों से घिरे इस गांव की आबादी करीब 4,000 है और जब खनन बंद हो गया तो इनके सामने सबसे बड़ा संकट अपने परिवारों का पेट भरने का था। उनके परिवारों को सालों तक मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन राज्य सरकार की क्रांतिकारी ‘स्वयंपूर्ण गोवा योजना’ ने कृषि और सूक्ष्म-कारोबार के क्षेत्र में रोजगार के नए मौके उपलब्ध कराए। 2020 में शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य गांवों को आत्मनिर्भर बनाना है।

पूर्व सरपंच विश्रांति सुरलाकर ने गांव की महिलाओं में जागरूकता पैदा करने की पहल की और उन्हें एक साथ लाकर एक हथकरघा केंद्र शुरू किया, जहां पारंपरिक ‘कुनबी साड़ियां’ बुनी जाती हैं।

सुरला के स्वयंपूर्ण मित्र सुभराज कनेकर ने सुनिश्चित किया कि हस्तशिल्प, कपड़ा और जूट विभाग 2020 में इस परियोजना के लिए एक खाली पड़े स्कूल भवन को अपने कब्जे में ले।

कनेकर ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि सुरला की महिलाओं ने उनसे कुनबी साड़ियां बुनने के लिए मशीनें खरीदने का अनुरोध किया था।

विभाग ने महिलाओं को मशीनें चलाने का प्रशिक्षण भी दिया। तब से वे साड़ियां, शॉल और अन्य कुनबी उत्पाद बुन रही हैं। उन्होंने कहा, “इन उत्पादों का बहुत बड़ा बाज़ार है।”

गांव के लोगों से मिलने पर कनेकर को महसूस हुआ कि पांच वर्ग किलोमीटर में फैले धान के खेतों की भी नए सिरे से देखभाल करने की जरूरत है जिन्हें गांव के लोगों ने खनन मजदूर बनने के बाद बंजर छोड़ दिया था।

उन्होंने बताया, ‘‘ खेती किसानी को बहाल करने के लिए जलस्तर को ऊंचा उठाने की जरूरत थी। पहले मानसून में हमने एक पहाड़ी पर खाइयां खोदीं जिससे जल स्तर बढ़ा।’’

स्वयंपूर्ण मित्र योजना के तहत किसान विष्णु नाटेकर का पहाड़ी पर काजू का बागान जल संचयन की प्रयोगशाला बन गया है। उन्होंने बताया,‘‘हमने पहाड़ी पर करीब 1200 खाइयां खोदीं।’’

स्वयंपूर्ण मित्र कानेकर ने बताया कि इस साल गांव वालों को पानी की कोई कमी नहीं हुई। उन्होंने कहा, ‘मई के गर्मी के महीने में भी पर्याप्त पानी था। यह प्रयोग सफल रहा।’

‘स्वयंपूर्ण गोवा योजना’ के तहत संतोष मौलिंगकर ने मोती की खेती शुरू की है। मौलिंगकर ने बताया कि इस काम को शुरू करने से पहले उन्होंने पुणे में प्रशिक्षण लिया था।

भाषा नोमान नरेश

नरेश

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यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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