नयी दिल्ली, 10 जुलाई (भाषा) विश्व धरोहर समिति ने तीन अफ्रीकी धरोहर स्थलों – मेडागास्कर, मिस्र और लीबिया – को संकटग्रस्त स्थलों की यूनेस्को की सूची से हटा दिया है तथा इन स्थलों पर खतरों को कम करने और उनकी सांस्कृतिक एवं पारिस्थितिक अखंडता को बहाल करने के सफल प्रयासों की सराहना की है।
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने बुधवार को एक बयान में कहा कि यह निर्णय पेरिस में जारी विश्व धरोहर समिति (डब्ल्यूएचसी) के 47वें सत्र के दौरान नौ जुलाई को लिया गया।
बयान में कहा गया है कि संकटग्रस्त सूची से इन धरोहर स्थलों को हटाया जाना, इन स्थलों के लिए खतरों को उल्लेखनीय रूप से कम करने में सदस्य देशों द्वारा यूनेस्को के सहयोग से किए गए व्यापक प्रयासों का परिणाम हैं।
संकटग्रस्त सूची से हटाए गए स्थलों में मेडागास्कर में अत्सिनानाना के वर्षावन, मिस्र में अबू मेना और लीबिया में घदामेस का ‘ओल्ड टाउन’ शामिल हैं।
बयान के अनुसार, यूनेस्को की महानिदेशक ऑद्रे अजूले ने कहा, ‘‘जब स्थलों को खतरे में संकटग्रस्त विश्व धरोहर की सूची से हटा दिया जाता है तो यह सभी के लिए एक बड़ी जीत होती है। सीधे तौर पर संबंधित देशों और समुदायों, यूनेस्को और व्यापक रूप से मानवता की साझा विरासत के लिए बड़ी जीत होती है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम अफ्रीका के लिए विशेष प्रयास कर रहे हैं ताकि विशेषज्ञों को प्रशिक्षित किया जा सके, नए अभिलेखों को सुगम बनाया जा सके और कुछ स्थलों को खतरे से बाहर निकालने की रणनीतियों का समर्थन किया जा सके। ये प्रयास आज फलदायी हो रहे हैं।’’
हाल के वर्षों में यूनेस्को ने अपने अफ्रीकी सदस्य देशों की सहायता के लिए ‘‘महत्वपूर्ण और लक्षित प्रयास’’ किए हैं। बयान में कहा गया है कि 2021 से कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, युगांडा और सेनेगल के तीन स्थलों को भी संकटग्रस्त विश्व धरोहरों की सूची से हटा दिया गया है।
यूनेस्को द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, अत्सिनानाना के वर्षावनों को उनकी महत्वपूर्ण जैव विविधता के कारण 2007 में विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया था।
मिस्र में अबू मेना को 1979 में यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया था जो एक तीर्थ स्थल का उत्कृष्ट उदाहरण है और ईसाई धर्म का आध्यात्मिक केंद्र है।
बयान में कहा गया है कि लीबिया के पुराने शहर घदामेस को 1986 में अफ्रीका और भूमध्य सागर में सांस्कृतिक संबंधों के कारण मान्यता दी गई थी लेकिन संघर्ष, जंगल की आग और बाढ़ के कारण 2016 में इसे संकटग्रस्त सूची में डाल दिया गया था।
भाषा
सुरभि सिम्मी
सिम्मी
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