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Monday, 11 August, 2025
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वक्फ संशोधन विधेयक का तीन मुस्लिम संगठनों ने किया समर्थन

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नयी दिल्ली, 20 सितंबर (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े संगठन समेत तीन मुस्लिम संगठनों ने शुक्रवार को संसदीय समिति के समक्ष वक्फ कानून में प्रस्तावित संशोधनों का समर्थन किया। हालांकि समिति की बैठक में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और विपक्षी सदस्यों के बीच तीखी नोकझोंक हुई।

ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीं काउंसिल, आरएसएस से संबद्ध संगठन मुस्लिम राष्ट्रीय मंच और गैर सरकारी संगठन ‘भारत फर्स्ट’ ने वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संसद की संयुक्त समिति के समक्ष अलग-अलग अपनी प्रस्तुतियां दीं। कुछ विपक्षी सदस्यों ने उनके दावों को लेकर प्रतिवाद किया।

सूत्रों का कहना है कि समिति में शिवसेना के सदस्य नरेश महस्के ने विपक्षी सदस्यों से कहा कि उन्हें दूसरे पक्ष की बात सुनने के लिए तैयार रहना चाहिए। इसके बाद राजग और विपक्ष के बीच थोड़ी देर के लिए नोकझोंक हुई।

कुछ विपक्षी सदस्यों ने इस बात पर भी आश्चर्य व्यक्त किया कि क्या सूफी शाह मलंग संप्रदाय मुस्लिम समुदाय का हिस्सा है।

समिति के सदस्य संबंधित शहरों में विभिन्न हितधारकों से मिलने के लिए 26 सितंबर से 1 अक्टूबर के बीच मुंबई, अहमदाबाद, हैदराबाद, चेन्नई और बेंगलुरु की यात्रा करने वाले हैं।

समिति की लगातार बैठकों में विपक्षी सदस्यों ने कुछ सीमाएं निर्धारित कीं, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि कानून के उपयोगकर्ता प्रावधान द्वारा वक्फ को हटाना, जिला कलेक्टर की प्रमुख भूमिका, वक्फ न्यायाधिकरणों को समाप्त करना और वक्फ परिषदों में गैर-मुसलमानों को शामिल करना उन्हें स्वीकार्य नहीं होगा।

अजमेर शरीफ दरगाह से संबंधित लोगों के संगठन ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीं काउंसिल (एआईएसएससी) ने विधेयक के तहत आगाखानी और बोहरा वक्फ के लिए दिए गए सुझावों के तरह एक अलग दरगाह बोर्ड की स्थापना की मांग की।

एआईएसएससी ने कहा कि दरगाह बोर्ड की स्थापना दरगाहों, मस्जिदों, खानकाहों, इमामबाड़ों और क़ब्रिस्तानों की संपत्तियों की सुरक्षा और सज्जादानशीं और मुत्तवल्लियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए जरूरी है।

एआईएसएससी ने उन खबरों पर भी समिति से स्पष्टीकरण मांगा जिनमें कहा गया है कि विधेयक की धारा 3सी के तहत मस्जिदों, दरगाहों, खानकाहों, इमामबाड़ों और कब्रिस्तानों की संपत्तियों को जब्त कर लिया जाएगा।

समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने एआईएसएससी प्रतिनिधियों को आश्वासन दिया कि विधेयक में ऐसे कोई प्रावधान नहीं हैं।

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के प्रतिनिधियों में तीन फकीर भी शामिल थे, जिन्होंने मांग की कि सूफी शाह मलंग समुदाय के लिए एक अलग वक्फ बोर्ड बनाया जाए।

उन्होंने दावा किया कि इस संप्रदाय की 3.75 लाख से अधिक दरगाह/खानकाह/मजार देश भर में फैली हैं जिन्हें संरक्षित करने की आवश्यकता है।

भारत फर्स्ट एनजीओ ने वक्फ (संशोधन) विधेयक को एक ऐतिहासिक कानून करार दिया।

भाषा हक हक पवनेश

पवनेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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