बेंगलुरू: चीन ने तीन अंतरिक्ष यात्रियों को परिक्रमा कर रहे अपने स्पेस स्टेशन तियांगोंग की असेंबली पूरी करने के लिए छह महीने के मिशन पर रवाना किया है. इस क्रू में लियू यांग शामिल हैं जो 2012 में अंतरिक्ष में जाने वाली पहली महिला थीं. उनके साथ दूसरे अंतरिक्ष यात्री हैं चेन डोंग और कै जुझे.
उनकी अंतरिक्ष उड़ान शेनझोउ-14 रविवार को जीएमटी समयानुसार सुबह 9.42 बजे कोर मॉड्यूल और तियान्हे कहे जाने वाले अंतरिक्ष स्टेशन के रिहायशी क्वॉर्टर्स पहुंच गई. गोबी रेगिस्तान के जिउक्वान सैटेलाइट लॉन्च सेंटर से लॉन्च किए जाने के छह घंटे बाद ये तियांगोंग पहुंच गई.
तायकोनॉट्स (मैंडरिन तायकॉन्ग शब्द से लिया गया, जिसका अर्थ है अंतरिक्ष) का क्रू स्पेस स्टेशन पर छह महीने बिताएगा जहां वो दो और लैबोरेट्री मॉड्यूल्स की असेंबली की निगरानी करेगा, जो इसी साल बाद में अलग से लॉन्च किए जाएंगे.
चीनी अंतरिक्ष अधिकारियों के अनुसार, वो लोग वैज्ञानिक प्रयोग भी करेंगे और स्पेस वॉक के साथ-साथ शैक्षिक आउटरीच गतिविधियों को भी अंजाम देंगे.
स्पेस स्टेशन के निर्माण का काम पिछले साल शुरू हुआ था और योजना के मुताबिक इस साल के अंत में पूरा हो जाएगा. अपेक्षा की जा रही है कि ये चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन और उसके 30 वर्ष पुराने मानवयुक्त अंतरिक्ष कार्यक्रम के सर का ताज साबित होगा.
यह भी पढ़ें: वैश्विक कीमतें बढ़ने के बीच भारत के पास बाकी बचे साल के लिए फर्टिलाइज़र की पर्याप्त सप्लाई
तियान्हे, वेंतियान और मेंगतियान
चीनी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार तियांगोंग स्पेस स्टेशन को फिलहाल धरती की निचली कक्षा में असेंबल किया जा रहा है, जो ग्रह की सतह से करीब 400 किमी ऊपर है.
ये चीन का पहला स्थायी या दीर्घ-कालिक स्पेस स्टेशन है जो एक बहुराष्ट्रीय सहयोगी परियोजना अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन, तथा सोवियत संघ के मीर की तर्ज़ पर बनाया गया है, जिसे रूसी सरकार ने 2000-01 में सेवामुक्त कर दिया था.
तियांगोंग जिसका अर्थ ‘स्वर्गीय महल’ होता है एक मॉड्युलर स्टेशन है, जिसका डिज़ाइन और निर्माण इसके पूर्ववर्त्तियों तियांगोंग-1 और 2 पर आधारित है, जो अब वातावरण में जल गए हैं.
स्टेशन के डिज़ाइन में तीन मुख्य मॉड्यूल्स शामिल हैं- तियान्हे, वेंतियान और मेंगतियान.
तियान्हे कोर मॉड्यूल में शामिल है रिहायशी क्वॉटर्स, एक गैर-रिहायशी सर्विस सेक्शन और एक डॉकिंग पोर्ट. इसे अप्रैल 2021 में लॉन्च किया गया था और ये स्टेशन का सेंट्रल कोर है.
मुकम्मल हो जाने के बाद स्पेस स्टेशन का आकार टी की तरह होगा, जिसमें दो लैब्स- वेंतियान और मेंगतियान- तियान्हे कोर मॉड्यूल के दो बाज़ुओं की तरह होंगे.
वेंतियान (जिसका अर्थ है ‘स्वर्ग की तलाश’) मॉड्यूल अतिरिक्त नेविगेशन और प्रॉपल्शन कंट्रोल उपलब्ध कराएगा और तियान्हे के लिए बैक-अप का भी काम करेगा. शून्य गुरुत्वाकर्षण शोध के लिए इसके भीतर दबाव वाला वातावरण होगा.
इस मॉड्यूल के इस साल 23 जुलाई को लॉन्च किए जाने की अपेक्षा है. अपनी मंज़िल के करीब पहुंच जाने के बाद तायकोनॉट्स एक बड़े रोबोटिक आर्म की मदद से इसे स्टेशन के साथ डॉक कर देंगे. इस एयरलॉक का इस्तेमाल भावी अतिरिक्त गतिविधि या स्पेसवॉक्स के लिए निकास पोर्ट के तौर पर किया जाएगा.
मेंगतियान (स्वर्ग का सपना) मॉड्यूल- इसे भी इस साल अक्टूबर में लॉन्च के बाद इसी तरह डॉक किया जाएगा- एक अन्य दबाव अनुसंधान मॉड्यूल है. दोनों मॉड्यूल्स बाहर की ओर एक्सपेरिमेंट्स से लैस किए जाएंगे, जो स्पेस के कठोर शून्य में होंगे.
चीनी स्पेस एजेंसी तैयारी कर रही है कि गैर-मानवयुक्त सप्लाई मिशन्स (तियांझू) मानवयुक्त मिशन्स (शेंनझू) से पहले पहुंच जाएं. दो क्रू पहले ही तियान्हे मॉड्यूल पर कब्जा कर चुके हैं और अगले क्रू को साल के अंत तक पहुंचना है, एक अन्य सप्लाई मिशन के बाद और मौजूदा तीन सदस्यीय क्रू के ज़मीन पर लौटने से बस कुछ पहले.
क्रू में आमतौर से तीन सदस्य होते हैं और कुछ दिन के लिए ये तियान्हे में ओवरलैप करते हैं, जिसके अंदर छह व्यक्ति रह सकते हैं.
यह भी पढ़ें: AICTE ने संस्थानों से कहा- चिकित्सा आधार पर बाहर हुए सैन्य कैडेटों के लिए लेटरल एंट्री पर करें विचार
चीन के अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष रिश्ते
चीन अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आईएसएस) का इस्तेमाल नहीं करता क्योंकि कथित रूप से मानवाधिकारों तथा राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं के चलते अमेरिका के कानून बीजिंग के साथ सहयोग की अनुमति नहीं देते.
हालांकि रूस आईएसएस में एक सक्रिय भागीदार है और वो ऐतिहासिक रूप से ऐसा रहा है लेकिन उसने संकेत दिया है कि यूक्रेन पर हमले के चलते अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण 2025 तक वो अपने को आईएसएस से बाहर कर सकता है.
इस बीच, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा आर्टेमिस कार्यक्रम और उससे जुड़े आर्टेमिस समझौते को आगे बढ़ा रही है- जो कार्यक्रम में शिरकत कर रहे देशों के बीच एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है- जिसका मकसद अंतरिक्ष यात्रियों को एक बार फिर चांद पर भेजना है.
इन समझौतों का मसौदा अमेरिका का विदेश विभाग तय करता है और इनका मकसद खगोलीय वस्तुओं की सिविल खोज तथा खनन के लिए एक सहकारी ढांचा स्थापित करना है.
जो देश आर्टेमिस प्रोग्राम में हिस्सा नहीं लेते वो भी समझौतों, तथा उनके द्वारा तय किए गए अंतरिक्ष खोज के सिद्धांतों पर हस्ताक्षर कर सकते हैं. चीनी सरकारी मीडिया इन समझौतों के खिलाफ रहा है और इन्हें एक ‘स्पेस-आधारित नेटो’ की योजना की श्रेणी में रखता है.
खबरों के अनुसार, भारत ‘आर्टेमिस तथा आर्टेमिस समझौतों में संभावित सहयोग पर विचार कर रहा है’.
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: ज्ञानवापी मसले पर मोदी और भागवत के विचार मिलते हैं लेकिन इस पर संघ परिवार में क्या चल रहा है