चंडीगढ़ : कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी पर प्रहार करते हुए कहा कि जो लोग राष्ट्रवाद की बातें करते हैं उन्हें जवाब देना चाहिए कि सशस्त्र बलों में 1.22 लाख रिक्तियां क्यों नहीं भरी गई हैं.
पायलट ने यहां कांग्रेस की पुस्तिका ‘शौर्य के नाम पर वोट, सेना के हितों पर चोट’ जारी करने के कार्यक्रम में यह कहा। यह पुस्तिका, इस बात को रेखांकित करती है कि सशस्त्र बलों के कर्मियों के हितों से केंद्र की भाजपा सरकार ने किस तरह से समझौता किया, लेकिन उनके (सैनिकों के) शौर्य के नाम पर वह वोट मांग रही है.
पायलट ने कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा के साथ यह पुस्तिका जारी की. पायलट ने कहा कि इस दस्तावेज को सरकारी बयानों और आधिकारिक आंकड़ों से तैयार किया गया है.
संसद में दिये सरकार के एक जवाब का जिक्र करते हुए राजस्थान से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पायलट ने दावा किया कि सशस्त्र बलों में करीब 1,22,555 रिक्तियां हैं, लेकिन सरकार इन रिक्तियों को भरने के लिए या सैनिकों के कल्याण के लिए कुछ नहीं कर रही है.
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘जो लोग राष्ट्रवाद की बात करते हैं, उन्हें जवाब देना चाहिए कि ये पद पिछले सात वर्षों में क्यों नहीं भरे गये?’
पायलट ने कहा, ‘सरकार ने स्वीकार किया है कि सशस्त्र बलों में 1,22,555 पद रिक्त हैं, जिनमें से 10,000 पद अधिकारियों के हैं। कहीं ना कहीं, हम बाहरी सुरक्षा ढांचे से समझौता कर रहे हैं…’
पंजाब में 20 फरवरी को होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले जारी की गई पुस्तिका पर उन्होंने कहा, ‘क्योंकि हमारा मानना है कि देश और सीमावर्ती राज्य पंजाब के लोगों को,जहां बहादुर लोगों ने कई चुनौतियों का सामना किया है, सच्चाई को जानने की जरूरत है.’
पायलट ने आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा सरकार ने सैनिकों की अशक्तता पेंशन पर कर लगा दिया और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों में उन सैनिकों के साथ भेदभाव किया गया.
कांग्रेस की पुस्तिका में आरोप लगाया गया है कि पूर्व सैनिकों से ‘समान रैंक, समान पेंशन’ (ओआरओपी) के नाम पर धोखाधड़ी की गई.
पायलट ने कहा कि मनमोहन सिंह नीत पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने फरवरी 2014 में ओआरओपी को मंजूरी दी थी.
उन्होंने कहा, ‘चुनावों (2014 के लोकसभा चुनावों) के बाद एक नयी सरकार आई…लेकिन सात साल बाद भी 30 लाख पूर्व सैनिकों को कुछ नहीं मिला.’
पायलट ने दावा किया कि इसके अलावा, सैनिकों एवं उनके परिवारों के लिए ईसीएचएस योजना के वास्ते बजट को करीब 2,000 करोड़ रुपये घटा दिया गया.
उन्होंने कहा, ‘सीएसडी कैंटीन में, पहली बार खरीददारी को जीएसटी ( माल एवं सेवा कर) के तहत ला दिया गया और खरीददारी की ऊपरी सीमा निर्धारित कर दी गई.’ उन्होंने कहा कि केंद्र के इरादों और कार्यों में फर्क है.
उन्होंने यह भी कहा कि सैनिकों की अशक्तता पेंशन को कर के दायरे में ला दिया गया.
पायलट ने कहा कि सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) दुर्गम क्षेत्रों और चुनौतिपूर्ण परिस्थितियों में ड्यूटी करते हैं तथा आतंकवाद एवं नक्सल खतरों का सामना करते हैं.
उन्होंने कहा, ‘लेकिन सरकार ने आतंकवादी एवं नक्सली हमलों में जान गंवाने वाले इन कर्मियों को शहीद का दर्जा देने से इनकार कर दिया.’
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