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Friday, 26 April, 2024
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इन कदमों से तीन बीमा कंपनियों के घाटे को मुनाफे में बदलना चाहती है मोदी सरकार

सरकार के ये कदम उन प्रयासों का हिस्सा है, जिनका मकसद घाटे में चल रही इन कंपनियों को लाभदायक बनाना और पूंजी का बेहतर इस्तेमाल सुनिश्चित करना है.

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नई दिल्ली: मेडिक्लेम और मोटर इंश्योरेंस जैसे घाटे के कारोबार का हिस्सा कम कीजिए, यात्रा और प्रचार खर्च को 20 प्रतिशत घटाइए और अपनी सम्पत्ति को मॉनिटाइज़ कीजिए- ये वो प्रमुख शर्तें हैं जो नरेंद्र मोदी सरकार ने तीन सरकारी सामान्य बीमा कम्पनियों में पूंजी डालने के साथ लगाईं हैं.

वित्त मंत्रालय ने एक डॉक्युमेंट जारी किया है, जिसमें प्रदर्शन के तीन संकेतक तय किए गए हैं, जिनके आधार पर इन कंपनियों- ओरिएंटल इंश्योरेंस कं. लिमिटेड (ओआईसीएल), नेशनल इंश्योरेंस कं. लिमिटेड (एनआईसीएल) और युनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कं. लिमिटेड (यूआईआईसीएल)- के प्रदर्शन को आंका जाएगा.

ये कदम सरकार के उन प्रयासों का हिस्सा है, जिनका मकसद घाटे में चल रही इन कंपनियों को लाभदायक बनाना और पूंजी का बेहतर इस्तेमाल सुनिश्चित करना है.

दिप्रिंट के हाथ लगे डॉक्युमेंट के अनुसार, इंश्योरेंस फर्म्स को ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस स्कीमों से बचने की सलाह दी गई है, जिनमें क्लेम्स की देनदारी प्रीमियम्स से अधिक होती है.

कंपनियों को सम्पत्ति, देनदारी और मुनाफे वाले दूसरे बिज़नेस पर फोकस करने और मोटर थर्ड पार्टी और ग्रुप मेडिक्लेम कवरेज का हिस्सा उसी हिसाब से कम करने को कहा गया है. लक्ष्य ये दिया गया है कि मुनाफे वाले कारोबार को बढ़ाएं, जिनमें क्लेम्स का अनुपात 70 प्रतिशत से कम, हर साल 25 प्रतिशत से कम हो.

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मोदी सरकार ने फर्म्स से ये भी कहा है कि शिकायतें मिलने के दो हफ्ते के भीतर उनका निपटारा किया जाए और पहला जवाब 72 घंटे में सुनिश्चित किया जाए. उसने कंपनियों से ये भी कहा है कि घाटे में चल रहे मोटर इंश्योरेंस बिज़नेस के लिए दिए जा रहे डिस्काउंट्स में कमी करे. कंपनियों से ये भी कहा गया है कि शिकायतों का संग्रह करने के अलावा, पॉलिसी और क्लेम के लिए सरल फॉर्म तैयार किए जाएं.

कर्मचारियों की लागत के अलावा, इंश्योरेंस कंपनियों को किराए, ट्रैवल, ट्रेनिंग, विज्ञापन और प्रचार के खर्चे भी घटाने के लिए कहा गया है, जिनमें डायरियां और कैलेंडर छापने में 20 प्रतिशत कटौती भी शामिल है.

दस्तावेज़ के अनुसार इन संकेतकों की हर महीने समीक्षा की जाएगी.


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बीमा कंपनियों की स्थिति

बुधवार को सरकार ने तीन सामान्य बीमा कंपनियों- ओआईसीएल, एनआईसीएल और यूआईसीएल- में 12,450 करोड़ रुपए के पूंजी निवेश का ऐलान किया. इसमें से 3,475 करोड़ रुपए इसी चालू वित्त वर्ष में डाले जाएंगे.

लेकिन फंड्स के साथ ही सरकार ने ये भी ऐलान किया कि उसने इन तीन कंपनियों के विलय का विचार त्याग दिया है, जिसके लिए मर्ज की गई इकाई की, बाद में स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टिंग करानी पड़ती.

ये तीन कंपनियां पिछली कुछ तिमाहियों से घाटे में चल रही हैं और इन संकेतकों के ज़रिए सरकार, घाटे की भरपाई को कम करना चाहती है- या उन घाटों को कम करना चाहती है, जब क्लेम्स की देनदारी प्राप्त प्रीमियम्स से अधिक रही ही.

बीमा दलालों के अनुसार, ग्रुप बीमा कारोबार को पकड़ने के लिए ये कंपनियां, आक्रामक तरीक़े से कम प्रीमियम मांग रही हैं, जिससे इनके मुनाफे पर असर पड़ा है.

क्या कहते हैं विश्लेषक

एक इंडस्ट्री एक्सपर्ट के रामचंद्रन, जिन्होंने बीमा दलाली और निजी क्षेत्र की सामान्य बीमा कंपनियों में काम किया है, ने कहा कि मोटर थर्ड पार्टी और ग्रुप मेडिक्लेम, खासकर सरकारी सामान्य बीमा कंपनियों के लिए, घाटे का सौदा रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘मोटर थर्ड पार्टी देनदारी के हिस्से में भारी नुकसान रहा है और ये प्रीमियम में इज़ाफे के बावजूद हुआ है. देनदारियों की राशि बहुत होती है. और इसमें धोखाधड़ी भी बहुत है’.

उनका ये भी कहना था कि जब ग्रुप मेडिक्लेम की बात आती है तो ग्रुप मेडिक्लेम पॉलिसियों में प्रति व्यक्ति प्रीमियम, हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों की रीटेल दरों से बहुत कम होता है. इसके अलावा ग्रुप मेडिक्लेम पॉलिसियों में परिवार के तकरीबन सभी सदस्यों की कवरेज हो जाती है.


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सरकारी कंपनियों के घाटे वाले कारोबार की हिस्सेदारी घटाने के औचित्य पर रामचंद्रन ने कहा कि कॉरपोरेट इंश्योरेंस परस्पर जुड़े हुए पोर्टफोलियो होते हैं. मसलन, किसी कंपनी का फायर इंश्योरेंस बिज़नेस लेने के लिए, बीमा कंपनी उसे काफी कम दरों पर, ग्रुप मेडिक्लेम पॉलिसी ऑफर कर सकती है.

उन्होंने आगे कहा, ‘अगर एक बीमा कंपनी मना करती है तो कोई दूसरी सामने आ सकती है. इससे बीमा कंपनी उस कंपनी से मिलने वाला पूरा बिज़नेस गंवा सकती है’.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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