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Friday, 29 March, 2024
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गुस्से में था इसलिए बृज भूषण के खिलाफ पहली बार दिया था गलत स्टेटमेंट – नाबालिग पहलवान के पिता का बयान

यह पूछे जाने पर कि उन्होंने नया बयान क्यों दिया, नाबालिग के पिता का कहना है कि उन्हें 'डराया जा रहा है, धमकाया जा रहा है' और यह अनुभव उनकी बेटी और उनके लिए काफी थकाऊ रहा.

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नई दिल्ली: एक नाबालिग पहलवान के पिता ने 5 जून को पटियाला हाउस कोर्ट में एक ताजा बयान दर्ज कराया, जिसमें उन्होंने कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोप को वापस ले लिया.

नाबालिग के पिता और पुलिस अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की.

यह कहते हुए कि उन्होंने और उनकी बेटी ने इस तरह के आरोप द्वेष के कारण लगाए हैं उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘पहली बार मैंने कुछ ‘झूठी’ बातें लिखी थीं, मेरी बेटी द्वारा एक महत्वपूर्ण मैच हराने के लिए मैं उससे (बृज भूषण) नाराज था.”

जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने अब अपने बयान से पीछे हटने का फैसला क्यों किया है, तो उन्होंने कहा कि वह “डर गए” थे और “धमकी दी जा रही थी” और यह अनुभव उनके और उनकी बेटी दोनों को थका देने वाला है.

लेकिन जब उनसे विशेष रूप से पूछा गया कि क्या उन्हें बृजभूषण द्वारा धमकी दी गई थी, या आंदोलनकारी पहलवानों द्वारा झूठी शिकायत दर्ज कराने के लिए दबाव डाला गया था, तो इस पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. उन्होंने कहा, “मैं पहलवानों का समर्थन करता हूं,”

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यह पूछे जाने पर कि क्या बृजभूषण द्वारा उनकी बेटी के साथ कमरे में मारपीट करने का प्रयास भी झूठा था, उन्होंने अचानक जवाब दिया: “कोई यौन उत्पीड़न नहीं हुआ.”

पीटीआई ने बताया है कि सरकार द्वारा मुकदमे की समीक्षा करने का वादा करने के बाद पिता ने “सच बोलने का फैसला किया” जिस बारे में उनका दावा है कि उसे गलत तरीके से जज किया गया था.

पुलिस को अपनी प्रारंभिक शिकायत में भाजपा सांसद बृज भूषण द्वारा अपनी बेटी के कथित हमले का आरोप लगाया गया था, और कहा था कि इसी कारण से उसकी बेटी के साथ भेदभाव किया गया था व एक महत्वपूर्ण ट्रायल में गलत तरीके से जज किया गया था. उन्होंने आगे उल्लेख किया था कि मुकाबलों में उनकी बेटी के अंक नहीं गिने जाते थे और वीडियोग्राफी बार-बार कट जाती थी.

जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने पहले झूठ क्यों बोला, तो उन्होंने कहा, “चूंकि मैंने अपनी शिकायत वापस नहीं ली, इसलिए मैंने (5 जून को) एक नया बयान दर्ज किया था.”

दिप्रिंट ने बताया था कि नाबालिग पहलवान द्वारा भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख के खिलाफ अपनी शिकायत वापस लेने की खबर सोमवार को वायरल होने के बाद पिता ने दावा किया कि उन्होंने अपनी शिकायत वापस नहीं ली है.

उसके बाद, उन्होंने स्वीकार किया था कि न्याय पाने की प्रक्रिया उन्हें काफी कठिन मालूम पड़ रही है और ऐसे में कई बार ऐसा होता है जब बेटी और उनका दृढ़ संकल्प जवाब दे जाता है.

‘वापसी नहीं’

हरियाणा के खेल मंत्री संदीप सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला कोच के वकील दीपांशु बंसल ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 164 के तहत नए सिरे से बयान दर्ज कराने को वापसी नहीं कहा जा सकता.

“अदालत पहले बयान पर भी विचार कर सकती है. यह कोर्ट के विवेक पर निर्भर करता है. शिकायत दर्ज होने के तुरंत बाद धारा 164 के तहत बयान दर्ज किए जाते हैं ताकि गवाह को दबाव में आकर अपने बयान से मुकरने से बचाया जा सके.” इस तरह के बयानों की दोबारा रिकॉर्डिंग किया जाना एक आम चलन नहीं है.”

दिल्ली के फौजदारी वकील अनस तनवीर ने कहा कि यह यू-टर्न निश्चित रूप से मामले को कमजोर करता है लेकिन अदालतें पहले इकबालिया बयान पर पूरी तरह से आंखें नहीं मूंद सकती हैं. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “अभियोजन पक्ष को पिछले बयान की जांच जारी रखने की स्वतंत्रता है. लेकिन यह बैकट्रैकिंग निश्चित रूप से मामले को कमजोर करती है. 7 शिकायतों में से, यह बृज भूषण के खिलाफ सबसे मजबूत थी क्योंकि इसमें POCSO अधिनियम के तहत आरोप शामिल थे,”

उन्होंने कहा कि अगर दूसरा बयान दबाव में दिया गया है तो अदालतें जांच कर सकती हैं, लेकिन यह चार्जशीट दाखिल होने के बाद ही होगा.

बंसल ने कहा कि पुलिस दूसरे बयान को अपनी जांच का आधार मान सकती है.

तनवीर ने कहा कि अदालत महत्वपूर्ण सबूतों वाले महत्त्वपूर्ण बयानों से पीछे हटने पर नाराज हो सकती है, लेकिन यह किसी भी तरह से पिता या बेटी को दंडित नहीं करेगी. “धारा 164 के बयान शपथ के तहत नहीं दिए गए हैं; ये स्वतंत्र इच्छा वाले बयान हैं.’

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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