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Tuesday, 19 November, 2024
होमदेश'यह फिल्म एक कहानी है, न कि इतिहास', हाईकोर्ट ने 'द केरल स्टोरी' पर रोक लगाने से किया मना

‘यह फिल्म एक कहानी है, न कि इतिहास’, हाईकोर्ट ने ‘द केरल स्टोरी’ पर रोक लगाने से किया मना

अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि केरल एक धर्मनिरपेक्ष समाज वाला राज्य है और यह फिल्म को उसी रूप में स्वीकार करेगा जैसा कि वह है.

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नई दिल्ली/कोच्चि : केरल हाईकोर्ट ने शुक्रवार फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ पर रोक लगाने से मना कर दिया. जस्टिस एन नागारेश और जस्टिस मोहम्मद नियास सीपी की खंडपीठ ने यह फैसला कई याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिया. इन याचिकाओं में फिल्म का सेंसर सर्टिफिकेट रद्द करने की मांग की गई थी.

फिल्म के रिलीज पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कोर्ट ने कहा कि फिल्म केवल ‘सच्ची घटनाओं से प्रेरित’ कहानी को कहती है. पीठ ने यह भी कहा कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने इसको पास किया है. पीठ ने फिल्म का ट्रेलर भी देखा और कहा कि इसमें किसी विशेष समुदाय के लिए कुछ भी आपत्तिजनक बात नहीं है. पीठ ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ताओं में से किसी ने भी इस फिल्म को नहीं देखा है और निर्माताओं ने एक डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) जोड़ा है कि फिल्म घटनाओं का एक काल्पनिक वर्जन है.

अदालत ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि केरल एक धर्मनिरपेक्ष समाज वाला राज्य है और फिल्म को उसी रूप में स्वीकार करेगा जैसा कि वह है, उच्च न्यायालय ने कहा कि जिस फिल्म को उसने देखा, वह एक कहानी है न कि इतिहास, यह कैसे समाज में संप्रदायिकता और संघर्ष पैदा करेगी? अदालत ने जानना चाहा कि क्या पूरा ट्रेलर समाज के खिलाफ था.

केरल उच्च न्यायालय ने कहा कि वह ‘द केरल स्टोरी’ फिल्म की स्क्रीनिंग के खिलाफ कोई अंतरिम आदेश देना नहीं चाहता.

वहीं, द केरल स्टोरी के निर्माता ने केरल हाईकोर्ट को बताया कि फिल्म का टीजर, जिसमें कि केरल की 32,000 महिलाओं के आईएसआईएस में भर्ती होने का दावा किया गया है वह इसे अपने सोशल मीडिया अकाउंटों से हटा देंगे.

न्यायमूर्ति एन. नागारेश और न्यायमूर्ति सोफी थॉमस की खंडपीठ ने फिल्म के टीजर को लेकर निर्माता की दलील दर्ज कर ली है.

अदालत ने कहा, ‘सिर्फ फिल्म दिखाए जाने से कुछ नहीं होगा. फिल्म का टीजर नवंबर में रिलीज हुआ था. फिल्म में क्या आपत्तिजनक था? यह कहने में क्या गलत है कि अल्लाह ही एक भगवान है? देश नागरिकों को अपने धर्म और भगवान में विश्वास करने और इसके प्रसार का अधिकार देता है. ट्रेलर में ऐसा क्या आपत्तिजनक था?’

कोर्ट ने कहा, ‘इस तरह के संगठनों के बारे में कई फिल्में पहले ही आ चुकी हैं. पहले भी कई फिल्मों में हिंदू पुजारियों और ईसाई पादरियों के खिलाफ संदर्भों का जिक्र किया गया है. क्या आपने यह सब काल्पनिकता के साथ देखा है? अब इसमें ऐसा क्या खास है? यह फिल्म कैसे समाज में संघर्ष और सांप्रदायिकता पैदा करती है.’

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि फिल्म सीधे-साधे लोगों के दिमाग में जहर भर देगी. याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि अभी तक किसी भी एजेंसी ने केरल में ‘लव जिहाद’ का पता नहीं लगा पाई है.

याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि ‘आज फिल्म का प्रभाव लोगों के दिमाग पर पहले की किताबों की तुलना में कही अधिक होता है.’ उन्होंने कहा, मैं भी स्वतंत्रता का प्रबल पक्षधर हूं. लेकिन अगर स्वतंत्रता के जरिए सीधे-साधे लोगों के मन में जहर घोलने की संभावना हो और सार्वजनिक व्यवस्था को खतरा हो तो ऐसी स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया जाना चाहिए.’

दवे ने आग्रह किया कि अदालत मामले की जांच करते समय भाईचारे के संवैधानिक आदर्श को ध्यान में रखे. समाज में भाईचारा बहुत महत्वपूर्ण है, यह बुनियादी ढांचे का हिस्सा है.

अदालत ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह फिल्म ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित नहीं है, बल्कि यह महज एक कहानी है. इस पर दवे ने जवाब दिया- कृपया देखें कि इस कहानी का मकसद क्या है. इस कहानी का मकसद मुस्लिम समुदाय को खलनायक के रूप में चित्रित करना है. इक्का-दुक्का घटनाओं को सच बनाकर फिल्म नहीं बनाई जा सकती.

सुदीप्तो सेन ने बनाई है फिल्म

सुदीप्तो सेन द्वारा निर्देशित और विपुल अमृतलाल शाह द्वारा निर्मित इस फिल्म ने एक बड़े राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है और विभिन्न नेताओं ने इस पर प्रतिक्रिया दी है. ‘द केरल स्टोरी’ में अदा शर्मा, योगिता बिहानी, सिद्धि इडनानी और सोनिया बलानी ने प्रमुख भूमिका निभाई है.

सेन की फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ के ट्रेलर की आलोचना हुई हैं, क्योंकि इसमें दावा किया गया है कि राज्य की 32,000 लड़कियां लापता हो गईं और बाद में आतंकवादी समूह, आईएसआईएस को ज्वाइन कर लिया.

विरोध का सामना करने के बाद निर्माताओं ने इस आंकड़े को वापस ले लिया है और अपनी फिल्म के ट्रेलर में शामिल किया कि यह केरल की तीन महिलाओं की कहानी है.


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