(शफीक अहमद)
कन्नूर, 30 मार्च (भाषा) केरल के कन्नूर में इन दिनों पारंपरिक धार्मिक उत्सव ‘थेय्यम’ को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग जुट रहे हैं, जिनमें विदेशी पर्यटक भी शामिल हैं।
केरल पर्यटन विभाग से जुड़े ‘स्टोरी टेलर’ (किस्सागो) रजीश राघवन ने बताया कि उत्तरी केरल के कन्नूर और आसपास के जिलों में थेय्यम बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, जिसमें 3-4 या अधिक थेय्यम पात्र विशेष प्रकार की पारंपरिक वेशभूषा पहनकर इस कला का प्रदर्शन करते हैं।
उन्होंने बताया कि यह एक प्रकार का नृत्य-पूजा अनुष्ठान है, जिसमें थेय्यम के पात्र मूक-अभिनय करते हैं।
थेय्यम का शाब्दिक अर्थ ‘देवता का प्रतिरूप’ होता है।
रजीश ने बताया कि यह सदियों पुरानी परंपरा है और एक समूह कई प्रकार के थेय्यम की प्रस्तुति करता है।
उन्होंने बताया कि थेय्यम का प्रदर्शन करने वाले कलाकारों के चेहरे, हाथों और पैरों को विशेष प्रकार के रंगों से सजाया जाता है। साथ ही हर थेय्यम के प्रदर्शन के लिए अनोखे आभूषणों का इस्तेमाल होता है।
रजीश ने बताया कि इसका आयोजन ‘काव’ (एक तरह का पूजा स्थल) परिसर में किया जाता है।
यहां के पिनरायी गांव में थेय्यम देखने पहुंचीं ब्रिटेन की थौरा मिशेल ने बताया कि वह इस कला प्रदर्शन देखने के लिए खासतौर पर केरल आई हैं।
अपने पति के साथ 21 दिनों के लिए भारत घूमने आईं 60 वर्षीय मिशेल ने बताया कि उन्हें इंटरनेट के माध्यम से थेय्यम और इसके इतिहास के बारे में पता चला और फिर उन्होंने इसका प्रदर्शन देखने का फैसला किया।
केरल पर्यटन विभाग के ‘रिस्पॉन्सिबल टूरिज्म’ की कन्नूर शाखा से जुड़ीं शिखा अमित ने बताया कि थेय्यम एक तरह का धार्मिक अनुष्ठान है, जिसमें सैकड़ों साल पुराने रीति-रिवाज और परंपराएं शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि थेय्यम के चरित्र कभी बोलते नहीं हैं, बल्कि उनके हाव-भाव, चेहरे की अभिव्यक्ति और नृत्य प्रदर्शन से ही दर्शकों के सामने उनकी कहानी पेश की जाती है।
शिखा ने बताया कि सितंबर से शुरू होने वाला थेय्यम अप्रैल के अंत तक अलग-अलग गांवों में दो से छह दिनों के लिए विभिन्न काव परिसर में आयोजित किया जाता है।
उन्होंने बताया कि मलयालम कैलेंडर के जरिये लोगों को पहले ही पता होता है कि किस दिन और किस गांव के काव परिसर में थेय्यम प्रदर्शित किया जाएगा।
शिखा ने बताया कि ‘कुट्टीचातन’ और ‘पदमदक्की भगवती’ समेत थेय्यम के कई अलग-अलग प्रकार हैं, जिसमें पात्र अलग तरह की वेशभूषा और आभूषण पहनकर प्रदर्शन करते हैं।
गुजरात के अहमदाबाद से आए पर्यटक नीलेशभाई शाह ने बताया कि वह यहां सेंट एंजेलो किला और पय्यम्बलम बीच समेत अन्य पर्यटन स्थलों का आनंद लेने पहुंचे थे।
शाह ने बताया कि यहां आकर उन्हें थेय्यम के बारे में पता चला और वह इसे देखने पिनरायी गांव आए हैं।
पिनरायी गांव के निवासी दिनेशन (55) ने बताया कि वह अपने बचपन से ही हर साल थेय्यम का प्रदर्शन देखते आए हैं।
उन्होंने बताया कि ऐसा माना जाता है कि थेय्यम के रूप में देवता स्वयं सामने आते हैं।
दिनेशन ने कहा कि लोग थेय्यम को खुद को भगवान से जुड़ने के एक माध्यम के रूप में देखते हैं और इस प्रकार वे थेय्यम से आशीर्वाद मांगते हैं।
केरल के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन भी इस गांव से ताल्लुक रखते हैं।
भाषा शफीक दिलीप
दिलीप
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