नई दिल्ली: पटियाला की राजीव लॉ यूनिवर्सिटी (RGNUL) के आंदोलनकारी छात्र अपने कुलपति जयशंकर सिंह के साथ नए गतिरोध में फंस गए हैं, जिन्होंने बिना किसी पूर्व सूचना के लड़कियों के छात्रावास के कथित निरीक्षण को लेकर अपने इस्तीफे से इनकार कर दिया है.
पिछले दो सप्ताह से कुलपति को हटाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी है, वहीं छात्रों ने 6 अक्टूबर को ‘स्वतंत्रता और निजता के लिए उपवास’ नामक भूख हड़ताल शुरू कर दी है.
आंदोलनकारी छात्रों में से एक ने दिप्रिंट को बताया, “जब हमने यह विरोध प्रदर्शन शुरू किया था, तब भूख हड़ताल का विचार हमारे दिमाग में नहीं था, लेकिन हमें यह स्पष्ट संदेश देना था कि हम इस मुद्दे की गहराई से परवाह करते हैं और वकील होने के नाते हम इसे शांतिपूर्ण और कानूनी तरीके से हासिल करेंगे.”
छात्र सिंह को हटाने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं क्योंकि उनका आरोप है कि वीसी ने 22 सितंबर को बिना किसी पूर्व सूचना या सहमति के लड़कियों के कमरों की “गोपनीयता का उल्लंघन” करके “अनुचित और लैंगिक भेदभावपूर्ण व्यवहार” किया.
हालांकि, आरजीएनयूएल के कुलपति ने उनके इस्तीफे की संभावना को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया.
उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “विपक्ष लगातार पीएम मोदी के इस्तीफे की मांग कर रहा है, क्या वे इस्तीफा देंगे? मैं ऐसे ही इस्तीफा नहीं दे सकता. कुलाधिपति, जो खुद मुख्य न्यायाधीश हैं, ने मुझसे इस्तीफा देने के लिए नहीं कहा है, तो मैं इस्तीफा क्यों दूंगा? उनकी (छात्रों की) मांगें हर रोज़ बदल रही हैं.”
उन्होंने आगे कहा, “मैं छात्रों की किसी भी मांग को स्वीकार करने के लिए तैयार हूं. अगर छात्रों के इंटरनेट कनेक्शन या किसी अन्य मुद्दे में कोई समस्या है, तो हम उसका समाधान करेंगे. ये सभी फर्ज़ी खबरें हैं जो अखबारों में छप रही हैं.”
27 सितंबर को पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने प्रदर्शनकारी छात्रों से संपर्क किया था और उन्हें आश्वासन दिया था कि वे उनके साथ खड़े हैं. इसी से संबंधित घटनाक्रम में कुलपति ने रविवार को चौथे वर्ष के एक छात्र से संपर्क किया और कहा कि वे कुछ लड़कियों और लड़कों से बातचीत के लिए उनके आवास पर आएं, लेकिन छात्रों ने मना कर दिया और उनसे प्रशासनिक ब्लॉक के बाहर विरोध स्थल पर मिलने का आग्रह किया.
सिंह ने दिप्रिंट से कहा, “मैंने इन दिनों कुछ लड़कों के साथ पांच लड़कियों को बातचीत के लिए बुलाया था, लेकिन उन्होंने मुझे विरोध स्थल पर बुलाया, जहां सैकड़ों लड़कियां बैठी हुई हैं. वहां उचित चर्चा संभव नहीं होगी.”
कुलपति ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने विवाद की जांच के लिए गठित समिति के किसी सदस्य को नियुक्त नहीं किया है.
उन्होंने कहा कि सदस्यों को कुलाधिपति ने चुना था, जिनके निर्देश पर पैनल का गठन किया गया था.
शुरुआत में “कैंपस विवाद में मध्यस्थता” के लिए दो सदस्यों वाली बाहरी समिति गठित की गई थी, लेकिन बाद में इसमें पांच सदस्यों की समिति बना दी गई, क्योंकि छात्रों ने चयन प्रक्रिया में कुलपति की “मिलीभगत” को लेकर चिंता जताई और अपने सदस्यों को शामिल करने का प्रस्ताव रखा.
कुलपति ने कहा कि उन्होंने छात्रावास का दौरा एक महिला वार्डन की मौजूदगी में किया था, ताकि छात्रों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर चर्चा की जा सके. उन्होंने कहा, “उन्हें टेबल, कुर्सी और अलमारी जैसी सुविधाओं को लेकर चिंता थी, इसलिए मैं निरीक्षण के लिए गया था.”
लेकिन, आंदोलनकारी छात्रों का आरोप है कि कुलपति ने तीसरे वर्ष के छात्रावास का भी दौरा किया, जिसने अब तक कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई है.
जवाब में कुलपति ने कहा, “कुछ लड़कियों ने अपनी सहेलियों के साथ रहने का अनुरोध किया था, इसलिए मैंने वार्डन से निरीक्षण के लिए मुझे डबल रूम दिखाने के लिए कहा.”
सिंह ने कहा, “कुछ मीडिया आउटलेट रिपोर्ट कर रहे हैं कि मैं निरीक्षण के लिए हर रात छात्रावास जाता हूं. अगर यह सच होता, तो वे मुझे बंद कर सकते थे, मुझे पीट सकते थे और पुलिस को बुला सकते थे.”
आरजीएनयूएल के कुलपति ने दिप्रिंट को बताया, “डीन, प्रोफेसर और मैं जन्माष्टमी जैसे उत्सवों के लिए कई मौकों पर हॉस्टल आए हैं, हमेशा निमंत्रण पर और बिना किसी समस्या के. हालांकि, इस बार उन्होंने इसे मुद्दा बना दिया है.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: ‘किसी भी कीमत पर चाहिए VC का इस्तीफा’ — पटियाला की RGNUL के महिला हॉस्टल में अचानक जांच पर क्या है विवाद