( नरेश कौशिक )
नयी दिल्ली, 26 दिसंबर (भाषा) साहित्य अकादमी पुरस्कार के लिए चयनित मणिपुर की प्रख्यात लेखिका हाओबाम सत्यबती देवी का कहना है कि मेइती-कुकी संघर्ष के चलते राज्य के लोगों के लिए यह दुर्भाग्यपूर्ण और चुनौतियों से भरा समय है लेकिन प्रदेश में कुछ हिस्सों को छोड़कर, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कोई रोक नहीं है।
हाल ही में साहित्य अकादमी ने हाओबाम सत्यबती देवी को उनकी काव्य रचना ‘माइनू बोरा नूंग्शी शिइरोल’ के लिए 2024 के साहित्य अकादमी पुरस्कार के लिए चुने जाने की घोषणा की है।
मणिपुर में पिछले एक साल से अधिक समय से जारी मेइती-कुकी संघर्ष की पृष्ठभूमि में एक सवाल के जवाब में हाओबाम ने राजधानी इंफाल से ‘भाषा’ को फोन पर दिए साक्षात्कार में बताया कि प्रदेश में समाज, विशेष रूप से साहित्यकारों के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण समय है।
उन्होंने कहा, ‘‘स्थानीय लोगों और विशेष रूप से लेखकों के लिए यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण और चुनौतीपूर्ण समय है, आए दिन इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। लोग घरों में रहने को मजबूर हैं। घाटी को छोड़कर हम बाहर दूसरे इलाकों में नहीं जा सकते।’’
मेइती-कुकी संघर्ष के संबंध में एक सवाल के जवाब में हाओबाम ने कहा, ‘‘संघर्ष से प्रभावित इलाकों को छोड़कर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कोई प्रतिबंध नहीं है। हां, इतना जरूर है कि लोगों की आवाजाही सीमित हो गई है। आवाजाही पर कोई प्रतिबंध नहीं है लेकिन कुछ हिस्सों में फैली अशांति लोगों को इसकी इजाजत नहीं देती।’’
राज्य में मेइती और कुकी समुदाय के बीच जातीय हिंसा में पिछले वर्ष मई से अब तक 250 से अधिक लोग मारे गए हैं।
वर्ष 1952 में 11 अप्रैल को जन्मीं हाओबाम की पहली किताब मणिपुरी लघु कहानियों के संग्रह के रूप में ‘मलाबा डायरी’ शीर्षक से 1976 में आई थी। इसके बाद 1984 में उनका पहला उपन्यास ‘सखांगदाबी’ प्रकाशित हुआ। उनकी कृतियों में ‘पोकनाफम’, ‘इगी नुगापी माचा’, ‘महाकटुबू’, और ‘वारोरमगादरा’ प्रमुख हैं।
हाओबाम ने इस बात को विशेष रूप से रेखांकित किया कि केंद्र सरकार और मणिपुर सरकार प्रदेश में शांति बहाल करने के लिए बहुत प्रयास कर रही हैं और उन्हें उम्मीद है कि राज्य में बहुत जल्द सामान्य स्थिति बहाल हो सकेगी।
मणिपुर साहित्य परिषद, दी कल्चरल फोरम मणिपुर, राइटर्स फोरम इंफाल समेत और भी कई सृजनात्मक मंचों से बतौर सदस्य जुड़ीं हाओबाम ने मणिपुर में हिंदी साहित्य की उपलब्धता संबंधी सवाल पर कहा कि हिंदी साहित्य का मणिपुरी में अनुवाद ना के बराबर हुआ है।
मणिपुर के पहले महिला संगठन ‘मणिपुरी छानुरा लाइसेम मारुप’ (एमएसीएचएएलईआईएमए) की संस्थापक सदस्य और पेशे से अध्यापिका और लेखिका हाओबाम कहती हैं कि हिंदी साहित्य या अन्य भारतीय भाषाओं के साहित्य से मणिपुरी समाज बहुत परिचित नहीं है।
वर्ष 2021 में ‘राजकुमार शीतलजीत सिंह लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड’ समेत विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित हाओबाम ने इस क्षेत्र में अभी काफी काम किए जाने की जरूरत बताते हुए कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों को एक दूसरे से जोड़ने के लिए क्षेत्रीय भाषाओं में साहित्यिक कृतियों के अनुवाद पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करना होगा।
साहित्य अकादमी ने हाल ही में हिंदी के लिए प्रतिष्ठित कवयित्री गगन गिल और अंग्रेजी में ईस्टरिन किरे समेत 21 भारतीय भाषाओं के रचनाकारों को वर्ष 2024 का प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार देने की घोषणा की थी।
विजेता रचनाकारों को अगले साल आठ मार्च को आयोजित एक समारोह में पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
भाषा नरेश नरेश माधव मनीषा
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