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Saturday, 18 May, 2024
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पूर्वोत्तर में कोविड संक्रमण में उछाल और पॉजिटिविटी रेट ने भारत की औसत वृद्धि को पीछे छोड़ा

विशेषज्ञों का कहना है कि पूर्वोत्तर में नजर आ रहा ट्रेंड इस बीमारी की प्रकृति के अनुरूप ही है हालांकि इन राज्यों में बढ़ती संख्या पर अधिक निगरानी की जरूरत है.

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नई दिल्ली: कोविड-19 पर पिछले सप्ताह (30 जुलाई से 6 अगस्त) तक के आंकड़ों को देखें तो नोवेल कोरोनोवायरस बड़ी आबादी के बोझ वाले क्षेत्रों जैसे महाराष्ट्र और दिल्ली से अब पूर्वोत्तर की ओर रुख करता नजर आ रहा है.

उत्तर-पूर्व के आठ राज्यों में पिछले सप्ताह आरटी वैल्यू से लेकर प्रतिदिन मामलों में होने वाली वृद्धि और दर दिन के पॉजिटिविट रेट तक में वृद्धि दर्ज की गई है. उदाहरण के तौर पर 25 मई को अपना पहला मामला दर्ज करने वाले नगालैंड में, भारत के अधिकांश अन्य हिस्सों की तुलना में लंबे समय बाद, पिछले एक सप्ताह में आरटी वैल्यू सबसे ज्यादा है और टेस्ट पॉजिटिव रहने की दर राष्ट्रीय औसत से दोगुनी हो गई है.

आरटी वैल्यू या संक्रमण दर जहां एक मरीज से फैलने वाले संक्रमण के मामलों की अनुमानित संख्या को दर्शाती है, वहीं, टेस्ट पॉजिटिविटी रेट कुल परीक्षणों में पॉजिटिव पाए जाने वाले मरीजों की संख्या बताता है.

विशेषज्ञों का कहना है कि पूर्वोत्तर में नजर आ रहे ट्रेंड बीमारी की प्रवृत्ति के अनुरूप है, लेकिन इन राज्यों में बीमारी फैलाने की स्थिति को देखते हुए टेस्टिंग रेट ज्यादा न होने को लेकर उन्होंने चिंता जताई.

हालांकि, पूर्वोत्तर राज्यों में महामारी से निपटने में जुटे अधिकारी इसके उलट दावा करते हैं. वे कहते हैं कि मामलों की अधिक संख्या बेहतर निगरानी का संकेत है, साथ ही इसके लिए मई में अंतर-राज्यीय यात्रा की अनुमति मिलने के बाद यहां लौटने वाले लोगों पर अंगुली भी उठा रहे हैं.

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शुक्रवार तक भारत ने 41,585 से अधिक मौतों और 14.27 लाख मरीजों के ठीक होने के साथ करीब 22 लाख कोविड-19 मामले दर्ज किए थे. पूर्वोत्तर के आठ राज्यों-असम, सिक्किम, त्रिपुरा, मेघालय, मणिपुर, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम, में अब तक 68,660 मामले दर्ज किए गए हैं. इनमें से 48,075 ठीक हो चुके हैं और 195 की मौत हुई है.

आरटी वैल्यू

आरटी वैल्यू को महामारी की गंभीरता का एक संकेतक माना जाता है. अनुसंधान एवं विकास में जुटे विशेषज्ञों के एक वॉलंटियर ग्रुप आईकार्ट द्वारा संचालित डैशबोर्ड कोविड टुडे इंडिया के डाटा से पता चलता है कि भारत में शुक्रवार को आरटी वैल्यू 1.08 थी.

इससे पता चलता है कि हर संक्रमित व्यक्ति दूसरे 1.08 लोगों को वायरस से संक्रमित कर सकता है.

उसी दिन आठ पूर्वोत्तर राज्यों में से पांच–नगालैंड, सिक्किम, मिजोरम, असम, मणिपुर–ने उच्च आरटी वैल्यू दर्ज की.

नगालैंड में आरटी वैल्यू देश में उच्चतम 1.56 दर्ज की गई. आरटी वैल्यू सिक्किम में 1.35, मिजोरम में 1.29, असम में 1.28 और मणिपुर में 1.25 दर्ज की गई.

शेष तीन में से त्रिपुरा में आरटी वैल्यू 1.01 थी. अन्य दो राज्यों में आरटी वैल्यू 1 से नीचे ही थी, जिसे इस बात का संकेत माना जाता है कि बीमारी एक ऐसे स्तर पर है जहां इस पर काबू पाया जा सकता है. अरुणाचल प्रदेश में शुक्रवार को यह आंकड़ा जहां 0.99 था वहीं मेघालय में 0.82 ही था.

रोज की वृद्धि दर

शुक्रवार को भारत ने 62,538 मामलों के साथ एक दिन में अब तक की सबसे ज्यादा वृद्धि दर्ज की थी. हालांकि, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 15 जुलाई को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि दैनिक वृद्धि दर में गिरावट देखी गई है.

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी राजेश भूषण के मुताबिक, ‘अगर आप देखें तो मार्च में कोविड-19 मामलों की वृद्धि दर प्रतिदिन 31.28 प्रतिशत थी, जो मई में घटकर लगभग 9 प्रतिशत रह गई और मई के अंत तक यह घटकर 4.82 प्रतिशत पर पहुंच गई.’

दैनिक वृद्धि दर सात दिनों के औसत में हर दिन सामने आने वाले संक्रमण के मामलों का प्रतिशत है. शुक्रवार तक भारत की दैनिक वृद्धि दर 2.9 प्रतिशत थी.


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क्राउडसोर्स डैशबोर्ड कोविड-19 इंडिया के डाटा के मुताबिक, इसकी तुलना में पूर्वोत्तर के सभी आठ राज्यों में दर्ज दैनिक वृद्धि दर अधिक है.

शुक्रवार को नगालैंड की दैनिक वृद्धि दर 9.3 प्रतिशत थी. असम में 5.4 फीसदी, सिक्किम में 5.1 फीसदी, मिजोरम में 4.6 फीसदी, अरुणाचल में 4.5 फीसदी, मणिपुर में 4.1 फीसदी, मेघालय में 3.3 फीसदी और त्रिपुरा में 3.1 फीसदी थी.

नगालैंड ने भारत में कोविड-19 के सबसे ज्यादा केसलोड वाले शीर्ष पांच राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की तुलना में ज्यादा दैनिक वृद्धि दर दर्ज की है. वहीं असम और सिक्किम ने इनमें से चार राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को पीछे छोड़ दिया.

सबसे ज्यादा केसलोड वाले राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में शुक्रवार को दैनिक वृद्धि दर इस प्रकार रही थी: महाराष्ट्र (2.4 प्रतिशत), तमिलनाडु (2.3 प्रतिशत), आंध्र प्रदेश (7.2 प्रतिशत), कर्नाटक (4.8 प्रतिशत) और दिल्ली (0.8 फीसदी)।

डेली मूविंग एवरेज

पूर्वोत्तर राज्यों में पांच दिन का डेली मूविंग एवरेज (पांच दिनों में दैनिक मामलों का औसत) पर नजर डालें तो यह भी मामलों में वृद्धि को दर्शाता है. कोविड टुडे इंडिया के डाटा से पता चलता है कि पिछले सप्ताह की तुलना में पूर्वोत्तर के पांच राज्यों ने पांच दिन के डेली मूविंग एवरेज में वृद्धि दर्ज की है.

नगालैंड में पांच दिवसीय डेली मूविंग डाटा 30 जुलाई के 56 से बढ़कर 6 अगस्त को 144 हो गया. असम में यह आंकड़ा 2,112 से बढ़कर 2,372 हो गया. त्रिपुरा ने 149 से 169 की वृद्धि दर्ज की, जबकि मणिपुर में लगभग दोगुना बढ़कर 55 से 101 हो गया. मिजोरम में डेली मूविंग एवरेज पिछले सप्ताह 16 से बढ़कर 21 हो गया.

केवल तीन पूर्वोत्तर राज्यों ने अपने पांच-दिवसीय डेली मूविंग एवरेज में गिरावट देखी. अरुणाचल प्रदेश में डेली मूविंग एवरेज 70 से 66, मेघालय की 38 से 26 और सिक्किम की 31 से 21 तक गिरावट दर्ज की गई.

डेली टेस्ट पॉजिटिविटी रेट

शुक्रवार तक भारत में सात दिन का औसत पॉजिटिविट रेट 8.8 प्रतिशत था, जिसका अर्थ है कि प्रत्येक 100 कोविड टेस्ट में नौ लोग संक्रमित पाए जा रहे हैं.

हेल्थ इकोनॉमिस्ट डॉ. रिजो एम. जॉन, जो आईआईएम-कोझिकोड में एक फैकल्टी मेंबर के तौर पर कार्यरत हैं, ने दिप्रिंट से फोन पर बातचीत में कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों में से कुछ में पॉजिटिविटी रेट बहुत ज्यादा है. इस तथ्य को उन्होंने बेहद ‘चिंताजनक’ करार दिया.

डॉ. जॉन के विश्लेषण पर आधारित आंकड़ों के अनुसार, मिजोरम और नगालैंड में पॉजिटिविट रेट राष्ट्रीय औसत से दोगुना क्रमशः 15.3 प्रतिशत और 17.1 प्रतिशत है. सिक्किम में टेस्ट पॉजिटिविटी रेट राष्ट्रीय औसत 5.7 प्रतिशत के करीब है.

पूर्वोत्तर में अचानक उछाल क्यों?

डॉ. जॉन के अनुसार, पूर्वोत्तर में कोविड-19 का ट्रेंड यह बताता है कि ये महामारी बड़े राज्यों से निकलकर पूर्वोत्तर के सुदूरपूर्व हिस्सों में पहुंच रही है.

उन्होंने कहा, ‘वायरस अपनी नैसर्गिक प्रवृत्ति का अनुसरण कर रहा है और पूरे देश में फैल रहा है. लेकिन उच्च टेस्ट पॉजिटिविटी रेट और पिछले सप्ताह मामलों में आई तेजी का मतलब है कि वायरस टेस्ट की तुलना में ज्यादा तेजी से फैल रहा है.

उन्होंने कहा, ‘परीक्षण इसके अनुरूप तेज करने की जरूरत है, जो नहीं हो रहा है. पूर्वोत्तर में इसके प्रसार पर रोक लगाने के लिए परीक्षण और कांटैक्ट ट्रेसिंग तेज करने की आवश्यकता है.’

हालांकि, इन राज्यों में कोविड-19 से बचाव के उपायों की निगरानी कर रहे अधिकारियों का कहना है कि पूर्वोत्तर वायरस से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है.

नगालैंड के विधायक और कोविड-19 पर एक उच्चस्तरीय सरकारी समिति के प्रवक्ता के रूप में कार्यरत महोन्लुमो किकोन ने कहा, ‘इस तथ्य के बावजूद कि पूर्वोत्तर राज्यों ने क्वारंटाइन के सख्त नियम लागू रखे, अन्य राज्यों से लौटे लोगों के कारण यहां मामलों में भारी वृद्धि हुई है. सशस्त्र बलों और अर्धसैनिक बल के जवानों की वापसी से भी मामले बढ़े हैं.’


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किकोन ने कहा, ‘निगरानी और परीक्षण में तेजी आई है और हमने सुनिश्चित किया है कि कोई समुदायिक प्रसार न हो.’

पूर्वोत्तर राज्यों में सबसे अधिक कोविड-19 केसलोड वाले राज्य असम के अधिकारियों ने कहा कि ‘दूरवर्ती क्षेत्रों में भी रैपिड एंटीजन किट की मदद से टेस्ट में तेजी के कारण संख्या इतनी ज्यादा नजर आ रही है. ‘

नाम न देने की शर्त पर एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘अस्पताल स्तर की व्यवस्था में सभी रैपिड एंटीजन टेस्ट निगेटिव आरटी-पीसीआर (कोविड-19 परीक्षण का सर्वोत्तम मानक कहा जाता है) के लिए भेजे जाते हैं और कम्युनिटी स्तर की व्यवस्था में केवल सिमप्टमैटिक निगेटिव आरटी-पीसीआर के लिए भेजे जाते हैं. हमारी रणनीति ट्रैक और टेस्ट और छिपे रह गए मामले खोजने की है. इसलिए, मामले अधिक होना केवल व्यापक स्तर पर सतर्कता को दिखाते हैं.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )

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