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गुरूवार, 29 मई, 2025
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वरिष्ठ नागरिक अधिनियम के तहत उपहार विलेख की शर्तों का उल्लंघन होने तक बेदखली नहीं होगी: अदालत

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लखनऊ, 28 मई (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने फैसला दिया है कि न्यायाधिकरण और जिलाधिकारी माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम के तहत किसी भी व्यक्ति को वरिष्ठ नागरिक की संपत्ति से बेदखल नहीं कर सकते।

हालांकि अदालत ने कहा कि अगर कोई वरिष्ठ नागरिक या माता-पिता किसी व्यक्ति को इस आश्वासन पर अपनी संपत्ति देते हैं कि वह उनकी सेवा करेगा, और वह दान विलेख (गिफ्ट डीड) कानूनी रूप से रजिस्टर्ड भी हो चुका हो और फिर भी अगर वह व्यक्ति बाद में सेवा करने से मुकर जाता है, तो इसे ‘धोखा’ माना जाएगा और ऐसी स्थिति में, वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण के लिए बनाए गए न्यायाधिकरण उस गिफ्ट डीड को रद्द कर सकता है।

यह फैसला न्यायमूर्ति एआर मसूदी, न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की पूर्ण पीठ ने ओंकार नाथ गौर की याचिका पर उसे प्रेशित संदर्भ को मंजूर करते हुए पारित किया है।

दरअसल इस विषय पर अलग अलग पीठों के भिन्न भिन्न फैसले थे जिस कारण मामले को पूर्ण पीठ को संदर्भित किया गया था।

पूर्ण पीठ ने अपने फैसले में यह साफ किया कि 2007 के इस अधिनियम की मंशा वरिष्ठ नागरिक और माता पिता को समाज में सुरक्षा प्रदान करना है।

अदालत ने कहा कि राज्य सरकार ने ‘सवेरा योजना’ शुरू की है जिसमें कोई भी वरिष्ठ नागरिक या माता पिता खुद का पंजीकरण हेल्पलाइन नंबर 112 पर करा सकता है जिससे उन्हें सहायता मिल सकती है।

भाषा सं जफर

नोमान

नोमान

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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