रायपुर: राजधानी रायपुर से लगभग 160 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के मझगांव गांव की आबादी सिर्फ 1,500 है. लेकिन गांव में लगभग 100 ग्रामीण पिछले एक पखवाड़े के दौरान कोरोना संक्रमित पाए गए हैं. ग्रामीणों का कहना है कि कम से कम 500 से अधिक लोगों में कोरोना के लक्षण दिख रहे हैं लेकिन अभी तक परीक्षण नहीं किया गया है.
स्थानीय निवासियों का मानना है कि यह सब मझगांव में पिछले दिनों संपन्न नौ दिवसीय धार्मिक आयोजन के बाद शुरू हुआ है, जिसमें बड़ी संख्या में गांव वालों ने हिस्सा लिया था.
दिप्रिंट से बात करते हुए, सरपंच चंद्र प्रकाश ध्रुव ने बताया कि मझगांव में कोविड मामलों में वृद्धि गांव में सालाना आयोजित होनेवाले नौ दिवसीय एक ‘भागवत पाठ’ कार्यक्रम के बाद ही हुई. भागवत का आयोजन 26 मार्च और 3 अप्रैल के बीच किया गया था.
ध्रुव ने कहा कि ‘धार्मिक समारोह आयोजित होने से पहले मझगांव में कोई पॉजिटिव मामला नहीं था.’
उन्होंने यह भी बताया कि गांव में कोरोना की एंट्री का कारण मार्च में आयोजित होने वाली रोड सेफ्टी वर्ल्ड सिरीज़ टी 20 देखने के लिए कई स्थानीय युवाओं का नियमित रायपुर जाना भी हो सकता है. टूर्नामेंट का समापन 21 मार्च को हुआ. वहीं भागवत का आयोजन 26 मार्च को शुरू हुआ था. ध्रुव के अनुसार, ‘अब तक लगभग 95-100 लोग कोविड पॉजिटिव पाए गए हैं, लेकिन यह केवल एंटीजन टेस्ट रिपोर्ट है.’
सरपंच ने आगे बताया कि, ‘हालांकि उनमें से कुछ संक्रमित ठीक हो चुके हैं लेकिन गांव में पॉजिटिव मरीजों की संख्या आरटी रिपोर्ट्स को मिलाकर ज्यादा भी हो सकती है क्योंकि आर टी पीसीआर रिपोर्ट सीधे रोगियों के पास जाती है.’
करीब 70 वर्षीय सेवानिवृत्त शिक्षक कौशल सिंह के अनुसार, गांव में कोविड पॉजिटिव मामलों कके मिलने की शुरुआत अप्रैल के पहले सप्ताह में हुई थी. ‘यह सच है कि इस गांव में लगभग सभी पॉजिटिव मामलों का पता 26 मार्च से 3 अप्रैल तक गांव में आयोजित नौ दिवसीय ‘भागवत पाठ’ के दौरान या बाद में लगा.’
उन्होंने यह भी कहा, ‘हालांकि, इस कार्यक्रम को इस घटना के लिए जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं होगा. ‘भागवत पाठ’ इस गांव का एक पारंपरिक वार्षिक कार्यक्रम है.’
सिंह ने सरपंच ध्रुव की बात को भी दोहराते हुए कहा कि चर्चा है कि गांव के ‘8-10 युवा’ जो क्रिकेट वर्ल्ड सिरीज़ देखने के लिए रायपुर जा रहे थे, वे भी गांव में कोविड संक्रमण का कारण बन सकते थे. क्योंकि उनमें से कुछ धार्मिक आयोजन में शामिल हुए थे.’
ग्रामीणों के मुताबिक, इनमें से कम से कम तीन युवा गांव के 100-पॉजिटिव रोगियों में से हैं. सिंह, जो स्वयं कोविड पॉजिटव पाए जाने के बाद होम क्वारंटाइन हैं ने भी ‘भागवत पाठ’ में हिस्सा लिया था.
वे आगे कहते हैं ‘हमें अपने गांव में इतनी बड़ी तादात में कोविड मरीजों के मिलने की उम्मीद नहीं थी. ज्यादातर घरों में खांसी और बुखार के लक्षण वाले लोग हैं.’
ज्ञात हो कि मझगांव से लगने वाले दो अन्य गांव छिरहा और बीरसिंघी में अबतक सिर्फ 3 पॉजिटिव के पाए गए हैं.
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गांव में परीक्षण 5-6 दिनों से ठप
ग्रामीणों ने यह भी दावा किया कि मझगांव में कोविड जांच पिछले करीब 5-6 दिनों से बंद हो गई है. गांव के ही 20-वर्षीय स्थानीय युवक आदित्य सिंह ने कहा, ‘स्वास्थ्य विभाग की एक मोबाइल टीम 3 अप्रैल के बाद पहले कुछ दिनों के लिए नियमित रूप से जांच के लिए सैंपल एकत्र करने के लिए आई थी, लेकिन अब उन्होंने इस गांव में आना बंद कर दिया है.’
आदित्य ने कहा, ‘यहां लगभग 400-500 लोग खांसी, बुखार और सर्दी से पीड़ित हैं, लेकिन अभी उनका परीक्षण किया जाना बाकी है.’
मझगांव पंचायत सचिव बंकेश्वर निषाद ने भी दिप्रिंट को बताया कि परीक्षण बंद हो गया है. ‘पीड़ित अपने अपने घरों के अंदर रह रहे है.’
निषाद बताते हैं, ‘स्वास्थ्य विभाग की मोबाइल परीक्षण टीम ने अब एंटीजन परीक्षणों के लिए गांव में आना बंद कर दिया है. आखिरी बार मोबाइल टेस्ट टीम ने पांच दिन पहले गांव का दौरा किया था.’
निषाद के मुताबिक ‘हालांकि, यहां के ग्रामीण अब जांच के लिए पड़ोसी गांव छिरहा के पब्लिक हेल्थ सेंटर (PHC) जा रहे हैं. हमने स्वास्थ्य विभाग से गांव में नए सिरे से परीक्षण अभियान चलाने का अनुरोध किया है क्योंकि अभी भी कई लोग खांसी और सर्दी के लक्षणों के साथ घरों में हैं.’
निषाद के अनुसार, गांव में पहले सकारात्मक मामलों का पता 5 अप्रैल के बाद गांव के एक परिवार के छः सदस्यों के रूप में सामने आया. उन्होंने कहा कि जिस समय उनके स्वैब सैंपल 31 मार्च को लिए गए थे उस समय भागवत कार्यक्रम जारी था.
उन्होंने कहा, ‘भागवत पाठ समाप्त होने के बाद इन सभी मामलों की रिपोर्ट 5 अप्रैल के बाद आई. नौ दिनों तक भागवत प्रवचन करने वाले पंडित भी बाद में कोरोना पॉजिटव पाए गए.’ उन्होंने यह भी बताया कि पॉजिटव पाए जाने वालों में से 20 अस्पताल में इलाज करा रहे हैं जबकि बाकी होम क्वारंटाइन हैं.
यह पूछने पर कि भागवत की अनुमति क्यों दी गई जब राज्य में मार्च की शुरुआत से कोविड मामलों में काफी तेज वृद्धि देखी जा रही थी, बेमेतरा के एसडीएम दुर्गेश वर्मा ने कहा, ‘हम इस घटना से अवगत हैं जो गांव में परेशानी का मुख्य कारण है. संक्रमण को रोकने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए गए हैं. यहां पॉजिटव मामलों में अचानक और तेजी आई हैं.’
उन्होंने कहा कि ‘सभी परिस्थितियां भागवत पाठ का मुख्य कारण हैं.’ ‘हालांकि, सभी सकारात्मक रोगियों को अच्छी तरह से देखभाल की जा रही है. उन्हें पंचायत और स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों द्वारा दवाएं दी गई हैं. स्वास्थ्य विभाग की टीमों द्वारा उनको सोशल डिस्टेनसिंग बनाए रखने मझगांव की स्थिति पर पूरी नजर रखी जा रही है.’
ग्रामीण क्षत्रों में हर व्यक्ति की होगी जांच
ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ते कोविड मरीजों की संख्या को देखते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल रविवार को एक हाई लेवल बैठक के बाद अधिकारियों को निर्देशित किया कि जिन ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा संक्रमण के मामले आ रहे हैं, वहां गांवों में हर व्यक्ति की जांच के लिए विशेष अभियान चलाकर टेस्टिंग करने, उन्हे अलग रखने और उनकी मॉनीटरिंग की व्यवस्था की जाए.
बघेल ने क्वारेंटाइन और होम आइसोलेशन वालों को टेलीमेडिसिन के माध्यम से सलाह देने की व्यवस्था बनाने का भी आदेश दिया.
मुख्यमंत्री ने ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाली जांच को मॉनिटर करने के लिए कंट्रोल रूम बनाने का भी आदेश दिया है. उन्होंने अधिकारियों को राज्य के सभी जिलों से लगने वाले अंतर्राज्यीय बार्डर सील करने का भी आदेश दिया.
पिछले 24 घंटों के दौरान छत्तीसगढ़ में मिले13,832 पॉजिटिव मामलों के साथ प्रदेश में अबतक कुल पॉजिटव केस 5,58, 674 हो गए हैं. इनमें 2 लाख 9,000 से ज्यादा मामले अकेले अप्रैल के 19 दिनों में दर्ज किए गए. 17 अप्रैल को एक दिन में अधिकतम 16,084 पॉजिटिव मामले सामने आए थे.
इसी दौरान सोमवार की रात 165 मौतों के साथ राज्य में कोविड संक्रमण से होनेवाली मौतों का आंकड़ा 6,084 हो गया है. लगभग 4,23,591 लोग रिकवर कर चुके हैं. महाराष्ट्र के बाद देश में दूसरे सबसे अधिक सक्रिय 1, 29, 000 मामले छत्तीसगढ़ में हैं.
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